Life Story in Hindi

नमस्कार दोस्तों, हमेशा की तरह आज एक नए पोस्ट Life Story in Hindi के साथ हाजिर है। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको पसंद आएगी और आप इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करेंगे।

कौन राजा होगा ?

Life Story in Hindi
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पुराने समय मे एक बहुत सुंदर राज्य था। वहाँ का राजा बड़ा ही उदार, धर्मात्मा और प्रजा को प्रेम करने वाला था। वह अपनी प्रजा के सुखों के लिए एक से बढ़कर एक सुंदर राज्य व्यवस्थाएं करवाता और उनकी सुरक्षा के लिए कड़े से कड़े कानून बनाता। उसने एक नया कानून प्रचलित किया कि अमुक अपराध करने के लिए अपराधी को देश निकाले की सजा दी जाएगी। कानून तोड़ने वाले बहुत से दुष्ट आत्माओं को राज्य से निकल बाहर किया गया। राज्य में चारों तरफ सुख शांति और समृद्धि का माहौल था लेकिन एक बार भूल बस वही अपराध राजा से हो गया। राजा बड़ा दुखी हुआ राजा चाहता तो अपराध को छुपा सकता था लेकिन राजा सच्चा था।

अगले दिन बड़े दुखी मन के साथ वह राज दरबार में उपस्थित हुआ और सभी के सामने अपना अपराध सुनाया। उसने कड़े शब्दों में यह आदेश भी दिया कि मैं अपराधी हूं और मुझे इस अपराध की सजा भी मिलनी चाहिए। दरबार में उपस्थित सभी सभासद इतने धर्मात्मा राजा को राज्य से निर्वासित नहीं करना चाहते थे लेकिन राजा अपनी बात पर अड़ा रहा। उसने स्पष्ट शब्दों में कहा -जब राज्य के कानून को मैं ही नहीं मानूंगा तो प्रजा उनका किस प्रकार पालन करेगी। इसलिए मुझे देश निकाला होना ही चाहिए। अंततः राज दरबार में यह निर्णय हुआ कि राजा को राज्य से निर्वासित कर दिया जाएगा। लेकिन अब प्रश्न यह था कि अगला राजा किसे बनाया जाए?

Life Story in Hindi

उस राज्य में प्रजा में से ही किसी योग्य व्यक्ति को ढूंढ कर राजा बनाने की प्रथा थी। जब तक नया राजा ना चुन लिया जाए तब तक उस पुराने राजा को ही कार्यभार संभालने के लिए विवश किया गया और यह बात उस राजा को मजबूरन माननी पड़ी। उस जमाने में आज की तरह वोट डालकर चुनाव नहीं होते थे। ऐसा नहीं था की चुनाव का यह तरीका उन्हें पता नहीं था बल्कि उन्हें अच्छे से पता था कि यह तरीका उतना प्रभावशाली नहीं है। क्योंकि लालच और झूठे प्रचार के बल पर कोई नालायक भी चुना जा सकता है इसीलिए व्यक्ति के सदगुण ही उसके चुनाव की कसौटी थे।

जो भी व्यक्ति सभा में अपनी योग्यता को सिद्ध करता वही चुन लिया जाता। जितना उस राज्य का राजा धर्मात्मा था उतना ही उस राज्य का प्रधानमंत्री भी बुद्धिमान था। उसने नए राज्य के चुनाव का दिन निश्चित किया और पूरे राज्य में यह घोषणा करवा दी कि जो भी इस निश्चित दिन को सुबह 10:00 बजे राजमहल में आकर महाराज से सबसे पहले मिलेगा उसे राजा बना दिया जाएगा।

राजमहल एक पथरीली पहाड़ी पर मुख्य शहर से लगभग 2 मिल की दूरी पर जरूर था। लेकिन उसके सभी द्वार खोल दिए गए थे। भीतर जाने की कोई भी रोक-टोक ना थी। राजा के बैठने की जगह भी खुले में थी और वह घोषणा के दौरान सभी को चिल्ला चिल्लाकर बता दी गई थी। राजा के चुनाव से दो दिन पहले प्रधानमंत्री ने सारा शहर खाली करवाया और उसे अच्छी तरह से सजवाया। सभी प्रकार के आराम और भोग विलास की वस्तुएं पूरे शहर में जगह-जगह रखवा दी गई और उन्हें लेने की सभी को छूट थी। किसी से कोई कीमत नहीं वसूली जानी थी, सब कुछ मुफ्त में था।

कहीं मिष्ठान के भंडार खुले हुए थे तो कहीं खेल तमाशे हो रहे थे। कहीं आराम के लिए मखमली पलंग बिछे हुए थे तो कहीं सुंदर वस्त्र आभूषण मुफ्त में मिल रहे थे। सुंदर और कोमल अंगों वाली सुंदरियाँ लोगों के सेवा सत्कार के लिए खड़ी थी। जगह जगह राजकीय नौकर हाथ में दूध और शरबत की गिलास लिए खड़े थे। इत्रों की छिड़काव और चंदन की सजावट से पूरा शहर महक रहा था। शहर का हर एक गली ऐसी सजा हुआ था मानो कोई राजमहल हो।

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चुनाव के दिन सुबह से ही राजमहल के सारे द्वार खोल दिए गए और लोगों को उस सजे हुए शहर में आने की अनुमति दे दी गई। शहर के बाहर खड़ी प्रजाजन जब शहर में घुसी तो उसकी सजावट देखकर हक्के-बक्के रह गए। मुफ्त के शरबत और दूध हर कोई पीने लगा। किसी ने मिठाई की दुकान पर आसन जमाया तो कोई सिनेमा देखने जा बैठा। कुछ मुफ्त के गहने और कपड़े पसंद करने लगे तो कोई सुंदरियों के गले में हाथ डालकर नाचने लगा। सभी लोग अपनी-अपनी रुचि के अनुसार सुख सामग्री का उपभोग करने लगे।

दो दिन पहले ही सभी प्रजा जनों को यह बता दिया गया था कि राजा से मिलने का सही समय ठीक 10:00 का है। इसके बाद पहुंचने वाले को राज्य का अधिकारी नहीं माना जाएगा। शहर की सजावट और सुख सामग्री का मेला सिर्फ उसी समय का है। एक नियत समय के बाद इसे हटा दिया जाएगा। शहर का ऐसा एक भी व्यक्ति न था जिसे दोहरा दोहराकर यह सारी बातें ना बता दी गई हूं और सभी ने कान खोलकर सुन भी लिया था।

लेकिन शहर की सजावट और मुफ्त की सुख सामग्री ने सभी का मन ललचा लिया था। किसी का भी उन्हें छोड़ने का मन नहीं कर रहा था। राज मिलने की बात को लोग परीक्षा की दृष्टि से देखने लगे। कुछ सोच रहे थे कि दूसरों को चलने दो मैं भाग कर उनसे पहले पहुंच जाऊंगा। कुछ सोच रहे थे कि अभी तो बहुत समय बाकी है। कुछ का विचार था कि सामने की चीजों को ले लो अगर राज्य ना मिला तो यह भी हाथ से जाएंगे। कुछ तो राज्य मिलने की बातों का मजाक उड़ाने लगे की यह गप तो इसीलिए उड़ाई गई है ताकि हम यह मिल रही सुख भोग की वस्तुओं का आनंद ना उठा सके।

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पूरी भीड़ में से एक दो ने हिम्मत की और शहर से निकलकर राजमहल की ओर चली लेकिन थोड़ी दूर चलने पर ही महल के पथरीले रास्ते पहाड़ी की ऊंचाई और शहर की सुंदरता ने उनका मन बदल दिया और वह उल्टे पांव शहर वापस चले आए। सारा नगर सुख भोग के संसाधनों में डूब चुका था। किसी को भी समय का ख्याल ना रहा। 10 बज चुके थे लेकिन हजारों प्रजा जनों में से कोई भी राजमहल ना पहुंच सका।

बेचारा राजा दरबार लगाए अकेला बैठा रहा। प्रधानमंत्री मन ही मन खुश हो रहा था कि उसकी चाल कैसी सफल रही। जब राजा से मिलने कोई ना आया तो मजबूरन उस राजा को फिर से राज्य का कार्यभार संभालना पड़ा।

दोस्तों यह कहानी काल्पनिक है लेकिन यह मनुष्य जीवन की सच्चाई को दर्शाती है। हम भी तो अपने छोटे-छोटे सुख भोगो के लिए अपने जीवन के लक्ष्य और उज्जवल भविष्य की आहुति दे देते हैं। हम मे से किसे नहीं पता कि हमारे पास लक्ष्य प्राप्ति का समय सीमित है लेकिन हम फिर भी इसे अपने झूठे सुखों के लिए बर्बाद करते रहते हैं और समय हाथ से निकल जाता है।

प्रत्येक विद्यार्थी को पता है कि उसके पास इस परीक्षा को पास करने का एक नियत समय है और ऐसा समय दोबारा नहीं मिलेगा। लेकिन फिर भी वह अपने समय को सिर्फ थोड़ी देर के मजे के लिए, गप्पे मारने, यूट्यूब शॉर्ट्स देखने, इंस्टा देखने या बेवजह घूमने भागने में बिता देते है।

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उसे लगता है कि दूसरों को पढ़ने दो मैं आखिरी के कुछ दिनों में ज्यादा मेहनत करके रात-रात भर जाग के सबको पीछे छोड़ दूंगा। लेकिन ऐसा हो नहीं पाता और जब समय हाथ से निकल जाता है तो सिर्फ पश्चाताप ही हाथ लगता है। आखिर सब कुछ जानने के बाद भी हम बार-बार वही गलती इसलिए करते हैं क्योंकि हमारा खुद पर नियंत्रण नहीं है।

यह नियंत्रण इसीलिए नहीं है क्योंकि हमने कभी गंभीरता के साथ अपनी आदतों को नियंत्रित करने का प्रयास ही नहीं किया। हम बीच-बीच में अपने मन को छोटे-छोटे मजे चखने की छूट देते रहते हैं। इसीलिए यह कभी भी दूर के बड़े आनंद को प्राप्त करने का प्रयास ही नहीं करता और हमें छोटे-छोटे सुखों में उलझाए रखता है।

हर काम के लिए समय सीमित है क्योंकि जीवन कभी भी खत्म हो सकता है। लेकिन हम में से कितने लोग हैं जो इस घोषणा को याद रखकर झूठे सुखों में नहीं डूबे रहते? अवसर चला जा रहा है और हम आज के छोटे-छोटे सुखों के भुलावे में पड़कर अपने अनमोल समय को बर्बाद किए जा रहे हैं और उज्जवल भविष्य की ओर आंख उठाकर भी नहीं देख रहे।

दोस्तों, आज की ये पोस्ट Life Story in Hindi आपको कैसी लगी ये आप हमें कॉमेंट करके बता सकते है। आगे भी हम ऐसे ही मजेदार कहानियों आपके लिए लेकर आते रहेंगे।

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