Top 10 Moral Stories in Hindi

दोस्तो, कहानियां पढ़ना और सुनना किसे नहीं अच्छा लगता है। आज हम कुछ ऐसी ही रोचक Top 10 Moral Stories in Hindi आपके लिए लेकर आए है।हम आशा करते है की ये कहानियां आपको पसंद आएंगी और आप इसको अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।

भला आदमी

एक बार एक धनी पुरुष ने एक मंदिर बनवाया । मंदिर में भगवान की पूजा करने के लिए एक पुजारी । मंदिर के खर्च के लिए बहुत सी भूमि, खेत और बगीचे मंदिर के नाम लगाएं । उन्होंने ऐसा प्रबंध किया था कि जो मंदिरों में भूखे, दीन दुखी या साधु-संतों आवे, वे वहां दो-चार दिन ठहर सके और उनको भोजन के लिए भगवान का प्रसाद मंदिर से मिल जाया करे ।

अब उन्हें एक ऐसे मनुष्य की आवश्यकता हुई जो मंदिर की संपत्ति का प्रबंध करें और मंदिर के सब कामों को ठीक-ठीक चलाता रहे।
बहुत से लोग उस धनी पुरुष के पास आए। वे लोग जानते थे कि यदि मंदिर की व्यवस्था का काम मिल जाए तो वेतन अच्छा मिलेगा | लेकिन उस धनी पुरुष ने सबको लौटा दिया | वह सब से कहता था – मुझे एक भला आदमी चाहिए, मैं उसको अपने आप चुन लूंगा।

बहुत से लोग मन ही मन में उस धनी पुरुष को गालियां देते थे । बहुत लोग उसे मूर्ख या पागल बतलाते थे । लेकिन वह धनी पुरुष किसी की बात पर ध्यान नहीं देता था | जब मंदिर के पट खुलते थे और लोग भगवान के दर्शन के लिए आने लगते थे, तब वह धनी पुरुष अपने मकान की छत पर बैठकर मंदिर में आने वाले लोगों को चुपचाप देखता रहता था।

एक दिन में एक मनुष्य मंदिर में दर्शन करने आया। उसके कपड़े मैले और फटे हुए थे, वह बहुत पढ़ा लिखा भी नहीं जान पड़ता था | जब वह भगवान का दर्शन करके जाने लगा तब धनी पुरुष उसे अपने पास बुलाया और कहा ‘क्या आप इस मंदिर की व्यवस्था संभालने का काम करेंगे ? वह मनुष्य बड़े आश्चर्य में पड़ गया | उसने कहा – मैं तो बहुत पढ़ा लिखा नहीं हूं मैं इतने बड़े मंदिर का प्रबंध कैसे कर सकूंगा ?

धनी पुरुष ने कहा – ‘मुझे बहुत विद्वान नहीं चाहिए मैं तो एक भले आदमी को मंदिर का प्रबंधक बनाना चाहता हूं।

उस मनुष्य ने कहा – आपने इतने मनुष्य में मुझे ही क्यों भला आदमी माना। धनी पुरुष बोला – मैं जानता हूं कि आप भले आदमी हैं। मंदिर के रास्ते में एक ईंट का टुकड़ा गड़ा रह गया था और उसका एक कौना ऊपर निकला था। मैं उधर से बहुत दिनों से देख रहा था कि उस मंदिर के टुकड़े की नोक से लोगों को ठोकर लगती थी लोग गिरते थे लुढ़कते थे और उठ कर चलते थे ।

आपको उस टुकड़े से ठोकर नहीं लगी किंतु आपने उसे देख कर ही उखाड़ देने का यतन किया मैं देख रहा था कि आप मेरे मजदूर से फावड़ा मांगकर ले गए और उस टुकड़े को खोदकर आपने वहां की भूमि भी बराबर कर दी। उस मनुष्य ने कहा – यह तो कोई बात नहीं है रास्ते में पड़े कांटे, कंकड़ और पत्थर लगने योग्य पत्थर, ईटों को हटा देना तो प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है। धनी पुरुष ने कहा ‘अपने कर्तव्यों को जानने और पालन करने वाले लोग ही भले आदमी होते हैं। वह मनुष्य मंदिर का प्रबंधक बन गया उसने मंदिर का बड़ा सुंदर प्रबंध किया |

शिक्षा: प्रत्येक मनुष्य को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए ।

Top 10 Moral Stories in Hindi – लालची राजा

यूरोप में यूनान नाम का एक देश है। यूनान मे पुराने समय मे मिदास नाम का एक राजा राज करता था | राजा मिदास बड़ा ही लालची था। उसकी पुत्री को छोड़कर उसे दूसरी कोई वस्तु संसार में प्यारी थी तो बससोना ही प्यारा था। वह रात में सोते – सोते भी सोना इकट्ठा करने का स्वप्न देखा करता था ।

एक दिन राजा मिदास अपने खजाने में बैठा सोने की ईटे और अशर्फियां गिन रहा था। अचानक वहां एक देवदूत आया उसने राजा से कहा – “मिदास ! तुम बहुत धनी हो ।” मिदास ने मुंह लटकाकर उत्तर दिया “मैं धनी कहां हूं मेरे पास तो यह बहुत थोड़ा सोना है ।” देवदूत बोला – “तुम्हें इतने सोने से भी संतोष नहीं है कितना सोना चाहिए तुम्हें ।” राजा ने कहा – “मैं तो चाहता हूं कि मैं जिस वस्तु को हाथ से स्पर्श करूं वही सोने की हो जाए ।” देवदूत हंसा और बोला – “अच्छी बात है ! कल सवेरे से तुम जिस वस्तु को छूवोगे वह सोने की हो जाएगी ।

उस दिन और रात में राजा मिदास को नींद नहीं आई। वह सुबह उठा उसने एक कुर्सी पर हाथ रखा वह सोने की हो गई । एक मेज को छुआ वह सोने की बन गई । राजा मिदास प्रसंता के मारे उछलने और नाचने लगा वह पागलों की भांति दौड़ता हुआ अपने बगीचे में गया और पेड़ों को छूने लगा फूल, पत्ते, डालिया, गमले छुए सब सोने के हो गए । सब चमाचम चमकने लगा मिदास के पास सोने का पार नहीं रहा ।दौड़ते-उछलते में मिदास थक गया।

उसे अभी तक यह पता ही नहीं लगा था कि उसके कपड़े भी सोने के होकर बहुत भारी हो गए हैं । वह प्यासा था और भूख भी उसे लगी थी। बगीचे से अपने राजमहल लौटकर एक सोने की कुर्सी पर बैठ गया । एक नौकर ने उसके आगे भोजन और पानी लाकर रख दिया। लेकिन जैसे ही राजा ने भोजन को हाथ लगाया वह भोजन सोने का बन गया । उसने पानी पीने के लिए गिलास उठाया तो गिलास और पानी सोना हो गया । मिदास के सामने सोने की रोटियां, सोने के चावल, सोने के आलू आदि रखे थे | वह भूखा था -प्यासा था सोना चबाकर उसकी भूख नहीं मिट सकती थी ।

मिदास रो पड़ा उसी समय उसकी पुत्री खेलते हुए वहां आई । अपने पिता को रोते हुए देखकर पिता की गोद में चढ़ कर उसके आंसू पहुंचने लगी । मिदास ने पुत्री को अपनी छाती से लगा लिया, लेकिन अब उसकी पुत्री वहां-कहां थी। गोद में तो उसकी पुत्री की सोने की इतनी वजनी मूर्ति थी कि उसे वह गोद में उठाए भी नहीं रख सकता था। बेचारा मिदास सिर पीट-पीट कर रोने लगा । देवता को दया आ गई वो फिर प्रकट हुआ उसे देखते ही मिदास उसके पैरों पर गिर पड़ा और “गिड़गिड़ाकर प्रार्थना करने लगा अपना वरदान वापस लौटा लीजिए।”

देवता ने पूछा – “मिदास अब तुम्हें सोना नहीं चाहिए । अब बताओ एक गिलास पानी मूल्यवान है या सोना, कपड़ा, रोटी मूल्यवान है या सोना ।” मिदास ने हाथ जोड़कर कहा – “मुझे सोना नहीं चाहिए मैं जान गया हूं कि मनुष्य को सोना नहीं चाहिए। सोने के बिना मनुष्य का कोई काम नहीं अटकता । एक गिलास पानी और एक टुकड़े रोटी के बिना मनुष्य का काम नहीं चल सकता | अब सोने का लोभ नहीं करूंगा | देवदूत ने एक कटोरे में जल दिया और कहा – “इसे सब पर छिड़क दो |”

मिदास ने वह जल अपनी मेज पर, कुर्सी पर, भोजन पर, पानी पर और बगीचे के पेड़ों पर छिड़क दिया | सब पदार्थ पहले जैसे थे, वैसे ही हो गए।

शिक्षा: मनुष्य चाहे कितना भी अमीर और कितना भी गरीब हो उसे कभी भी लालच नहीं करना चाहिए । अत्यधिक लालच करने से उसके पास जो होता है वह उसे भी गवां देता है।

बिना विचारे काम मत करो

एक किसान ने एक नेवला पाल रखा था । नेवला बहुत चतुर और स्वामीभगत था । एक दिन किसान कहीं गया था । किसान की स्त्री ने अपने छोटे बच्चे को दूध पिला कर सुला दिया और नेवले को वहीं छोड़ कर वह घड़ा और रस्सी लेकर कुएं पर पानी भरने चली गई ।

किसान की स्त्री के चले जाने पर वहां एक काला सांप बिल में से निकल आया | बच्चा पृथ्वी पर कपड़ा बिछाकर सुलाया गया था और सांप बच्चे की ओर ही आ रहा था । नेवले ने यह देखा तो सांप के ऊपर टूट पड़ा और उसने सांप को काटकर टुकड़े-टुकड़े कर डाला और घर के दरवाजे पर किसान की स्त्री का रास्ता देखने गया।

किसान की स्त्री घड़ा भर कर लौटी उसने घर के बाहर दरवाजे पर नेवले को देखा नेवले के मुख्य वक्त लगा देखकर उसने समझा कि इसने मेरे बच्चे को काट डाला है । दुख और क्रोध के मारे भरा घड़ा उसने नेवले पर पटक दिया बेचारा नेवला कुचल कर मर गया |

वह स्त्री दौड़कर घर में आई उसने देखा कि उसका बच्चा सुख से सो रहा है । वहां एक काला सांप कटा पड़ा है । स्त्री को उसकी भूल का पता लग गया वह दौड़ कर फिर नेवले के पास आई और नेवले को गोद में उठा कर रोने लगी लेकिन अब उसने रोने से क्या लाभ ?

शिक्षा – बिना विचारे जो करें, सो पाछे पछताए । काम बिगारे आपनो जग में होत हंसाए।

Top 10 Moral Stories in Hindi – दया का फल

बादशाह सुबुतगिन पहले बहुत गरीब था । एक साधारण सैनिक था | एक दिन वह बन्दुक लेकर घोड़े पर बैठकर जंगल में शिकार खेलने गया था । उस दिन उसे बहुत दौड़ना और हैरान होना पड़ा | बहुत दूर जाने पर उसे एक हिरणी अपने छोटे बच्चे के साथ दिखाई पड़ी। सुबुतगिन ने उसके पीछे घोडा दौड़ा दिया |

हिरणी डर के मारे भाग कर एक झाड़ी में छिप गई; लेकिन उसका छोटा बच्चा पीछे छूट गया | सुबुतगिन ने हिरण के बच्चे को पकड़ लिया और उसके पैर बांधकर घोड़े पर उसे लाद लिया | बहुत ढूढने ने पर भी जब हिरणी नहीं मिली तो बच्चे को लेकर ही वह लोट पड़ा ।

हिरण ने देखा कि उसके बच्चे को शिकारी बांधकर लिए जा रहा है । वह अपने बच्चे के मोह से झाड़ी से निकल आई । और सुबुतगिन के घोड़े के पीछे पीछे दौड़ने लगी बहुत दूर जाकर सुबुतगिन ने पीछे देखा । अपने पीछे हिरणी को दौड़ता देख उसे आश्चर्य हुआ और दया आ गई । उसने उसके बच्चे के पैर खोल कर घोड़े से उतार दिया । हिरणी प्रसन्न होकर अपने बच्चे को लेकर भाग गई।

उस दिन घर लौट कर जब रात में सुबुतगिन सोया तो उसने एक स्वप्न देखा | उससे कोई देवदूत कह रहा था ‘सुबुतगिन तू ने आज एक गरीब ” – हिरणी पर जो दया की है । परमात्मा ने तेरा नाम बादशाहों की सूची में लिख लिया है। तू एक दिन बादशाह बनेगा” सुबुतगिन का स्वप्न सच्चा था | वह आगे चलकर बादशाह हुआ |

कहानी की शिक्षा: “एक हिरणी पर दया करने का जो जीवो पर दया करता है । उस पर भगवान अवश्य प्रसन्न होते हैं।

पिता और पुत्र

एक जवान बाप अपने छोटे पुत्र को गोद में लिए बैठा था। कहीं से उड़कर एक कौवा उसके सामने खपरैल पर बैठ गया ।

पुत्र ने पिता से पूछा – ‘यह क्या है’ ” “

पिता कौवा है” “

पुत्र ने फिर पूछा – पिता ने फिर कहा ‘ यह क्या है ” यह कौवा है’

पुत्र बार-बार पूछता था -” क्या है

पिता स्नेह से बार-बार कहता था – कौवा है कुछ वर्षों में पुत्र बड़ा हुआ और पिता बुड्ढा हो गया | पिता चारपाई पर बैठा था | घर में कोई उसके पुत्र से मिलने आया | पिता ने पूछा ‘ कौन आया है। पुत्र ने नाम बता दिया थोड़ी देर में कोई और आया । और ने पिता ने फिर पूछा। इस बार झल्लाकर पुत्र ने कहा- आप चुपचाप पड़े क्यों नहीं रहते । आपको कुछ करना धरना तो है नहीं ! कौन आया है कौन गया यह टाय-टाय दिन भर क्यों लगाए रहते हैं ।

पिता ने लंबी सांस खींची । हाथ से सिर पकड़ा बड़े दुख भरे स्वर में धीरे-धीरे वह कहने लगा । मेरे एक बार पूछने पर तुम क्रोध करते हो और तुम सैकड़ों बार पूछते थे ।

एक ही बात -” यह क्या है ” ! मैंने कभी तुम्हें झिकड़ा

नहीं !” मैं बार-बार बताता कौवा है।”

शिक्षा: अपने माता पिता का तिरस्कार करने वाले ऐसे लड़के बहुत बुरे माने जाते हैं। तुम सदा इस बात का ध्यान रखो कि माता-पिता ने तुम्हारे पालन पोषण में कितना कष्ट उठाया है और तुमसे कितना प्यार किया है।

Top 10 Moral Stories in Hindi – ईश्वर सब कहीं है

रमेश अपने लड़के गोपाल को नित्य शाम को सोने से पहले कहानियां सुनाया करता था। एक दिन उसने गोपाल से कहा -” बेटा ! एक बात कभी मत भूलना कि भगवान सब कहीं है । “

गोपाल ने इधर-उधर देखा पूछा- ” पिताजी ! भगवान सब कहीं हैं, वह मुझे तो कहीं दिखते नहीं । रमेश ने कहा – ‘हम भगवान को देख नहीं सकते। किंतु । वह सब कहीं हैं । और हमारे सब कामों को देखते है।

गोपाल ने पिता की बात याद कर ली । कुछ दिन बाद अकाल पड़ा | रमेश के खेतों में कुछ हुआ नहीं। वह दूसरे किसान के खेत में से चोरी से एक गठा अन्न काटकर घर लाना चाहता था । गोपाल को मेढ पर खड़ा करके उसने कहा -” तुम चारों और देखते रहो ! कोई इधरआए या देखे तो मुझे बता देना । जैसे ही रमेश खेत में अन्न काटने बैठा गोपाल ने कहा-” पिताजी ! रुकिए । “रमेश ने पूछा क्यों कोई देखता है ! क्या ।” गोपाल ने कहा – “हां ! देखता है ।” रमेश खेत से निकलकर मेढ पर आया । उसने चारों ओर देखा जब कोई कहीं न दिखा तो उसने पुत्र से पूछा ‘ कहां ! कौन देखता है ।”

गोपाल – आपने ही तो कहा था कि ईश्वर सब कहीं है और सबके काम देखता है । तब वह आप को खेत काटते क्या नहीं देखेगा। रमेश पुत्र की बात सुनकर लज्जित हो गया और चोरी का विचार छोड़कर वह घर लौट आया।

मेल की शक्ति

मातादीन के 5 पुत्र थे – शिवराम, शिवदास, शिवलाल, शिवसहाय और शिवपूजन | ये पांचो लड़के परस्पर झगड़ा किया करते थे । छोटी सी बात पर आपस में तू-तू मैं-मैं करने लगते और गुत्थमगुत्थी कर लेते थे । मातादीन अपने लड़कों के झगड़े से बहुत ऊब गया था । उसने एक दिन उन्हें समझाने के विचार से पास बुलाया | पहले से पतली-पतली सुखी पाच टहनियों का उसने एक छोटा गट्ठर बना लिया था । पुत्रों से उसने कहा ” तुम मे से जो इन कहानियों के गट्ठर को तोड़ देगा, उसे एक रुपए का पुरस्कार मिलेगा ।”

पांचो लड़के झगड़ने लगे कि गट्ठर को वो पहले तोड़ेंगे । उन्हें डर था कि यदि दूसरा भाई पहले तोड़ देगा तो रुपया उसी को मिल जाएगा । मातादीन ने कहा- – भाई शिवपूजन को तोड़ने दो ।” ” पहले छोटे शिवपूजन ने गट्ठर उठा लिया और जोर लगाने लगा | दांत दबाकर, आंख मीच कर बहुत जोर उसने लगाया | सिर पर पसीना आ गया; किंतु गट्ठर की टहनीया नहीं टूटी | उसने गट्ठर शिवसहाय को दे दिया | उसने भी जोर लगाया, पर तोड़ नहीं सका । सब लड़कों ने बारी-बारी से गट्ठर लिया और जोर लगाया ; किंतु कोई उसे तोड़ने में सफल नहीं हुआ |

मातादीन ने गट्ठर खोलकर एक-एक टहनी सब लड़कों को दे दी | इस बार सभी ने टहनियों को फटाफट तोड़ दिया | अब मातादीन बोला – ” देखो यह टहनियां जब तक एक साथ थी । तुममें से कोई उन्हें तोड़ नहीं सका । और जब ये अलग-अलग हो गई तो तुमने सरलता से सब को तोड़ डाला | इसी प्रकार यदि तुम लोग आपस में झगड़ते और अलग रहोगे तो, दूसरे लोग तुम लोगों को तंग करेंगे और दबा लेंगे। लेकिन यदि तुम लोग परस्पर मेल से रहोगे तो तुम से कोई शत्रुता करने का साहस नहीं करेगा । मातादीन के लड़कों ने उसी दिन से आपस में झगड़ना छोड़ दिया । वे मेल से रहने लगे।

Top 10 Moral Stories in Hindi – झूठ पकड़ा गया

एक दिन एक घुड़सवार अपने गुस्सैल घोड़े को बेचने के लिए बाजार ले जा रहा था। चलते चलते उसे भूख लगी और वो खाना खाने के लिए एक बाग़ में रुक गया। उसने एक पेड़ से घोड़े को बांध दिया। घोड़ा पेड़ के नीचे लगी घास को खाने लगा और वो घुड़सवार भी खाना खाने लगा। तभी एक व्यक्ति अपने गधे के साथ आया और उसी पेड़ पर अपने गधे को बांधने लगा। यह देख घोड़े का मालिक बोला, ‘भाई अपने इस गधे को इस पेड़ पर मत बांधो, मेरा घोड़ा बहुत ही गुस्सैल है वह तुम्हारे इस गधे को मार डालेगा।

गधे का मालिक बोला, “यह पेड़ केवल तुम्हारा नहीं है और मैं इस पर ही अपने गधे को बाँधूगा । ” घोड़े का मालिक बोला, “यदि तुम मेरी बात नहीं मानोगे तो तुम खुद इसके जिम्मेदार होंगे।” गधे का मालिक नहीं माना और गधे को उसी पेड़ पर बांधकर चला गया।

घोड़े ने उस गधे को लाते मारकर नीचे गिरा दिया। इससे पहले की घोड़े का मालिक उसे संभाल पाता घोड़े ने लाते लाते मार मार कर गधे को मार दिया। तभी गधे का मालिक आया हो और अपने मरे हुए गधे को देखकर चिल्लाने लगा, “अरे यह क्या तुम्हारे घोड़े ने मेरे गधे को मार दिया है अब मुझे मेरा गधा ला कर दो, नहीं तो मैं तुम्हें यहां से नहीं जाने दूंगा।

घोड़े का मालिक बोला, ‘मैंने तो तुम्हें पहले ही कहा था कि मेरा घोड़ा गुस्सैल है। वह तुम्हारे इस गधे को मार देगा पर तुमने मेरी एक बात ना मानी। अब इसकी जिम्मेदारी तुम्हारी है, क्योंकि मैं पहले ही तुम्हें सावधान कर चुका था।” दोनों व्यक्ति बहस करने लगे। तभी एक राहगीर यह देख उनके पास आया और बोला, ‘तुम दोनों को राजा के दरवार जाना चाहिए वही न्याय करेंगे। दोनों सलाह मानकर राजा के दरबार की और न्याय के लिए चल दिए ।

दरवार में राजा ने गधे के मालिक से पूछा पूरी बात बताओ तुम्हार गधा कैसे मरा । गधे का मालिक बोला, “महाराज मेरा गधा और इसका घोडा एक ही पेड़ पर बंधें थे कि अचानक इसका घोडा पागल हो गया और उसने मेरे गधे को मार दिया।

राजा ने घोड़े के मालिक से पूछा, ‘क्या तुम्हारे घोड़े ने ही गधे को मारा है, बताओ। तुम बोल क्यों नहीं रहे हो। क्या यह सच है। बार बार पूछने पर भी घोड़े का मालिक कुछ नहीं बोला। राजा बोला “क्या तुम बहरे और गूंगे हो ? क्या तुम बोल नहीं सकते ?

फिर गधे का मालिक अचानक बोला, महाराज यह व्यक्ति गूंगा बहरा नहीं है। पहले तो यह मुझसे खूब चीख चीख कर बोल रहा था कि अपने घोड़े को इधर मत बांधों, मेरा घोड़ा इस गधे को मार देगा। अब आपके सामने गूंगा बहरा बनने का नाटक कर रहा है। यह सुन घोड़े का मालिक बोला, महाराज क्षमा करें, यह व्यक्ति बार बार झूठ बोल रहा था। मैंने चुप रहने का नाटक किया जिससे यह अपने मुँह से सचाई बोल दे और इसने ऐसा ही किया।

यह सुनकर राजा मुस्कुराने लगे और बोले “इसका मतलब इसने तुम्हें पहले ही सावधान कर दिया था की घोडा गुस्सैल है गधे को यहाँ मत बांधों पर तुमने इसकी बात नहीं मानी और फिर भी अपना गधा वही बाँध दिया। तुम्हारा झूठ पकड़ा गया है और अब तुम इसके लिए खुद जिम्मेदार हो ।

शिक्षा: झूठ नहीं बोलना चाहियें। झूठ को कितना भी छुपा लें सच सामने आ ही जाता है और झूठ पकड़ा जाता है।

पंडित जी की वेशभूषा

किसी गाँव में एक पंडित थे। वह सभी शास्त्रों के अच्छे जानकार थे। वह सब कुछ जानते थे, लेकिन, इतने ज्ञानी होने के बाबजूत भी वो गरीब थे। उसके पास घर नहीं था। वह अपना भोजन भी बड़ी कठिनाइयों से प्राप्त करते थे। यहां तक कि उसके पास पहनने को अच्छे कपडे भी नहीं थे। उनके कपडे फटे हुए थे।

पंडित जी अपने भोजन के लिए भीख मंगाते थे। वह घर- घर जाकर भीख मांगते “कृपया मुझे भिक्षा दो” उसके पुराने फटे कपड़ों को देखकर कई लोग सोचते थे कि वह पागल है, इसलिए, उन्हें देख दरवाजा बंद कर दिया करते थे। कई बार तो ऐसा होता था की वो कई दिनों तक खाना नहीं खा पाते थे।

एक दिन उनके फटे पुराने कपडे देख कर एक व्यक्ति को दया आ गई और उस व्यक्ति न उन्हें नए कपडे दिए। उन नए कपड़ों को पहनकर वह पहले की तरह भीख मांगने गए । कल एक घर से जहाँ उन्हें भगा दिया था और दरवाज़ा बंद कर दिया था, उस घर के गृहस्वामी ने कहा, “पंडित जी प्रणाम, कृपया अंदर आइए। कृपया हमारे घर में भोजन करें”। इस प्रकार, बड़े आदर के साथ, वह पंडित को भोजन के लिए अंदर ले गया।

पंडित जी खाना खाने बैठ गए। विभिन्न प्रकार के पकवान, मीठे भोजन, और मीठे पदार्थ खाने के लिए परोसे गए। पहले पंडित जी ने प्रार्थना की उसके बाद, पंडित जी ने अपने हाथ से एक मिठाई ली और अपने नए कपड़े को खाने के लिए कहने लगे, “खाओ, खाओ!”यह देखकर सभी घरवाले हैरान रह गए। वो समझ नहीं पा रहे थे कि पंडित जी ऐसा क्यों कर रहे हैं। उन्होंने पंडित जी से पूछा, पंडित जी आप कपड़ों को खाना क्यों खिला रहे हो ?

तब पंडित जी ने इस प्रकार उत्तर दिया, “वास्तव में इस नए वस्त्र के कारण आपने मुझे आज भोजन दिया है । कल जब मैं आपके घर आया था तब आपने ही इस घर के दरवाज़े मेरे लिए बंद कर दिए थे। और आज मेरे कपड़ों के वजह से आपने मुझे भोजन के लिए आमंत्रित किया है। चूंकि मैंने इन कपड़ों के कारण भोजन प्राप्त किया, इसलिए मैं इनका आभारी हूं। इसी वजह से मैं इन्हें खाना खिला रहा हूं। “घरवाले शरमा गए और अपनी गलती की क्षमा मांगने लगे।

शिक्षा: कभी भी किसी को उनकी वेशभूषा के हिसाब से नहीं आंकना चाहिए।

Top 10 Moral Stories in Hindi – शक्तिशाली पिता

एक गरीब पिता ने अपने इकलौते बेटे को खूब पढ़ा लिखा कर एक बड़ा इंसान बनाने का फैसला कर लिया था। पिता दिन रात मेहनत करता और अपने बेटे के पढाई का खर्चा उठता। बीटा भी खूब मन लगाकर पढता। एक दिन पिता का सपना सच हो गया। बेटा पढ़ लिख कर बहुत बड़ा आदमी बन गया और उसने अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर लिया और उसमे बहुत सफल हो गया।

एक दिन बेटा अपने बड़े और आलिशान ऑफिस में बैठा हुआ था तभी उसके पिता उसका ऑफिस देखने आये। बेटा अपने ऑफिस की शानदार कुर्सी पर बैठा हुआ था। पिता का देख बेटा खुश हो गया और अपनी कुर्सी से खड़ा हो गया। पिता ने बेटे को कुर्सी पर बैठाया और बेटे के पीछे खड़े हो गए और उसके कंधो पर अपना हाथ रखते हुए कहा “बेटा, तुम्हे पता है कि आज इस दुनिया में सबसे शक्तिशाली इंसान का एहसास किसे होता होगा ?”

पिता आगे कुछ और बोल पाते तभी बेटे ने कहा “पिता जी मैं हूँ सबसे शक्तिशाली इंसान” पिता ने सोचा था कि बेटा उन्हें ही सबसे शक्तिशाली कहेगा लेकिन बेटे के इस जवाब से उन्हें बहुत निराशा हुई। “ठीक कहा बेटा” इतना कहते ही पिता बेटे के ऑफिस से जाने ही लगे थे कि एक बार और पीछे मुड़ कर वही सवाल बेटे से किया “बेटा, तुम्हे अभी भी लगता है कि तुम सबसे शक्तिशाली हो?”

बेटे ने कहा “नहीं पिता जी, इस दुनिया में अगर कोई सबसे शक्तिशाली है तो वो आप हैं”

“लेकिन अभी तो तुमने कहा था कि तुम ही सबसे शक्तिशाली हो” पिता ने फिर पुछा

“हाँ, वो मैंने इसलिए कहा था क्यूंकि उस वक़्त दुनिया के सबसे शक्तिशाली इंसान के हाथ मेरे कंधे पर थे, इसलिए उस वक़्त मैं खुद को सबसे शक्तिशाली महसूस कर रहा था” बेटे ने जवाब दिया

ये सुन पिता की आँखों में आंसू आ गए और उन्होंने अपने बेटे को गले से लगा लिया।

शिक्षा: माता पिता हमारे जीवन का आधार हैं। यदि उनका आशीर्वाद है तो हम इस दुनिया के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति हैं। अपने माता पिता के आशीर्वाद के बिना हम कुछ भी नहीं इसलिए हमेशा अपने माता पिता की आज्ञा का पालन करे और उनके दिए सुझाव को गंभीरता से ले।

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