Bedtime Stories for Kids in Hindi

Bedtime Stories for Kids in Hindi: जैसा हम सभी जानते है की बच्चों को कहानी सुनना बहुत पसंद होता है। कहानिया बच्चों को रात के समय सुलाने के लिए सुनाई जाती है ताकि वो मीठे सपनों मे सो जाए। हम उम्मीद करते है की Bedtime Stories in Hindi with Moral आपको पसंद आएगी और आप इसको अपने बच्चों को सुनाएंगे और वो इसका आनंद लेंगे।

1. कपटी बाज


एक बाज एक पेड़ की डाली पर रहता था उसी पेड़ की खोह में एक लोमड़ी रहती थी।
एक दिन, जब लोमड़ी अपनी खोह से निकली तो बाज उसमें घुस गया और अपने बच्चों को खिलाने के लिए लोमड़ी के बच्चों को उठाकर ले गया जब लोमड़ी लौटी, तो उसने बाज से अनुरोध किया कि उसके बच्चे लौटा दे।

बाज जानता था कि लोमड़ी उसके घोंसले तक नहीं पहुँच पाएगी उसने लोमड़ी के अनुरोध पर कोई ध्यान नहीं दिया। लोमड़ी पास के एक मंदिर गई और वहाँ से जलती हुई लकड़ी लेकर आई। उसने पेड़ के नीचे आग लगा दी आग की गर्मी और धुएँ से बाज डर गया अपने बच्चों की जान बचाने के लिए वह जल्दी से लोमड़ी के पास आया और उसके बच्चे लौटा दिए।

शिक्षा: निर्दयी व्यक्ति जिनका दमन करता है, उनसे उसे हमेशा खतरा रहता है।

2. किसान
Kids Bedtime Story Hindi

Bedtime Stories for Kids in Hindi


एक बार एक किसान एक बकरी, घास का एक शहर और एक शेर को लिए नदी के किनारे खड़ा था। उसे नाव से नदी पार करनी वी लेकिन नाव बहुत छोटी थी कि वह सारे सामान समेत एक बार में पार नहीं जा सकता था। वह अगर शेर को पहले ले जाकर नदी पार छोड़ आता है तो इधर बकरी घास खा जाएगी और अगर घास को पहले नदी पार ले जाता है तो शेर बकरी को खा जाएगा।


अंत में उसे एक समाधान सूझ गया। उसने पहले बकरी को साथ में लिया और नाव में बैठकर नदी के पार छोड़ आया। इसके बाद दूसरे चक्कर में उसने शेर को नदी पार छोड़ दिया लेकिन लौटते समय बकरी को फिर से साथ ले आया।
इस बार वह बकरी को इसी तरफ छोड़कर घास के गहर को दूसरी ओर शेर के पास छोड़ आया इसके बाद वह फिर से नाव लेकर आया और बकरी को भी ले गया। इस प्रकार उसने नदी पार कर ली और उसे कोई हानि भी नहीं हुई।

3. परिचय से मिलता है साहस
Bedtime Stories for Kids in Hindi

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एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी। एक दिन, उसने अपने जीवन में पहली बार किसी शेर को देखा लंबा अयाल भयानक शरीर, डरावनी दहाड़ और राजा की तरह चाल-ढाल देखकर लोमड़ी डर गई। वह वहीं पर बेहोश होकर गिर पड़ी। अगले दिन, फिर वही शेर उसे दिखाई दिया। वह अब भी डरी हुई थी

लेकिन उसने साहस जुटाया और अपने डर को छिपाने की कोशिश की। जल्द से जल्द वह वहाँ से भाग गई। तीसरे दिन, स्थिति पूरी तरह से बदल गई। लोमड़ी सीधे शेर के पास पहुँच गई और बोली, “जय हो महाराज, सब ठीक-ठाक है न?” वह शेर से बिलकुल परिचितों की तरह बात करने लगी। अब उसे शेर से बिलकुल डर नहीं लग रहा था। पिछले दो दिनों से लगातार शेर को देख-देखकर, वह उससे परिचित हो गई थी।


शिक्षा: इसीलिए कहा गया है कि परिचय होने पर साहस मिलता है।

4. मूर्ख मित्र

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एक बार एक राजा ने एक बंदर को अपना अंगरक्षक बना लिया। एक दिन, जब राजा आराम कर रहा था, तब बंदर उसके बिस्तर के पास खड़ा ध्यान से उनकी रखवाली कर रहा था। कुछ देर में एक मक्खी कमरे में घुसी और सोते हुए राजा पर लगी। बंदर ने अपने हाथ से को बार-बार मक्खी को हटाता और वो फिर लौट आती बंदर फिर भगाता और थोड़ी देर में मक्खी फिर लौट आती।


इस बार बंदर को सिखाने का निश्चय किया। उसने राजा की तलवार निकाली और जब भनभनाती हुई मक्खी राजा की गर्दन पर मंडराई तो उसने मक्खी पर तलवार मार दी। मक्खी तो बच गई लेकिन बेचारे सोते हुए राजा की गर्दन कट गई।

शिक्षा: कई बार मूर्ख मित्र, बुद्धिमान शत्रु से भी अधिक हानिकारक होता है।

5. गधा और धोबी
Bedtime Stories for Kids in Hindi

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एक निर्धन धोबी था। उसके पास एक गधा था। गधा काफी कमजोर था क्योंकि उसे बहुत कम खाने-पीने को मिल पाता था। एक दिन धोबी को एक मरा हुआ बाघ मिला। उसने सोचा, “मैं गधे के ऊपर इस बाघ की खाल डाल दूँगा और उसे पड़ोसियों के खेतों में चरने के लिए छोड़ दिया करूँगा। किसान समझेंगे कि वह सचमुच का बाघ है और उससे डरकर दूर रहेंगे और गधा आराम से खेत पर लिया करेगा।धोबी ने तुरंत अपनी योजना पर अमल कर डाला। उसकी योजना काम कर गई।

एक रात, गधा खेत में चर रहा था कि उसे किसी गधी की रैंकने की आवाज सुनाई दी। उस आवाज को सुनकर वह इतने जोश में आ गया कि वह भी जोर-जोर से रैंकने लगा।
गधे की आवाज सुनकर किसानों को उसकी असलियत का पता लग गया और उन्होंने गधे की खूब पिटाई की।

शिक्षा: अपनी सचाई नहीं छिपानी चाहिए।

6. उपचार और कौए

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एक बार एक राजा ने अपने राजवैद्य को अपने बीमार हाथियों के उपचार के लिए बुलाया। राजमहल जाते समय राजवैद्य एक पेड़ की छाया में लेट गया। अचानक, एक कौए की बीट उसके माथे पर गिरी। वह बहुत क्रोधित हुआ और उसने सारे कौओं को मरवा देने का निश्चय किया।
उसने राजा के पास जाकर सुझाव दिया, “हाथियों के घावों पर कौओं की चर्बी मलने से वे ठीक हो जाएँगे।


राजा ने आदेश दिया कि दवा बनाने के लिए सारे कौओं को मार डाला जाए। कौओं को मारने का काम शुरू कर दिया गया। कौओं का सरदार राजा के पास गया और विनती करने लगा, “हम लोगों को मत मारिए। सच तो यह है कि कौओं के शरीर में चर्बी होती ही नहीं है।राजा को अपनी गलती महसूस हुई और उसने दुष्ट राजवैद्य को दंड देने का आदेश दिया।

7. थंबलीना
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किसी समय की बात है, एक अत्यंत दयालु औरत थी। एक जादूगरनी ने उसे एक बीज दिया। बीज फूटा पौधा बना और फिर एक बहुत ही सुंदर फूल खिला । उस फूल में से एक प्यारी सुंदर सी लड़की निकली। वह बस अंगूठे बराबर थी इसलिए उसका नाम थंबलीना रखा गया।


वह इतनी प्यारी थी कि एक रात एक बदसूरत सा मेंढक, अपने पुत्र का विवाह थंबलीना से कराने के इरादे से उसे उठाकर ले गया। थंबलीना उससे विवाह नहीं करना चाहती थी इसलिए एक भौरे के साथ भाग गई।
सर्दी के दिन आए । थंबलीना एक चूहे के बिल में रहने लगी। चूहा उसका विवाह अपने पड़ोसी छछूंदर से करना चाहता था। वह फिर भागी । एक दिन उसे एक घायल अबाबील मिली थंबलीना ने उसके जख्मों को पोंछा और उसकी सेवा की। अबाबील शीघ्र ही थंबलीना की देखरेख से ठीक हो गई । कृतज्ञ अबाबील थंबलीना की सहायता करना चाहती थी।


अबाबील उसे अपनी पीठ पर बैठाकर ले उड़ी और एक बगीचे में एक बड़े से फूल पर पहुँचा दिया। वहाँ थंबलीना की मुलाकात फूलों के राजकुमार से हुई थंबलीना की सुंदरता से मुग्ध होकर राजकुमार ने विवाह का प्रस्ताव रखा जिसे थंबलीना ने स्वीकार कर ने लिया और दोनों खुशी-खुशी रहने लगे।

8. दो माली

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एक गांव में दो पड़ोसी थे। दोनों माली थे। दोनों के पास अपने-अपने बागान थे और वे उनमें तरह-तरह के फलों के पौधे उगाते थे। यही बागान उनकी जीविका के साधन थे। उनमें से एक पड़ोसी बहुत सख्त था और अपने पौधों की जरूरत से ज्यादा देखभाल करता था। उसे लगता था कि पौधों की अगर ठीक से देखभाल नहीं की गयी तो वे नष्ट हो सकते हैं, लेकिन दूसरा पड़ोसी पौधों को प्राकृतिक रूप से विकसित होने देने पर विश्वास करता था।

वह पौधों की उतनी ही देखभाल करता था, जितने कि उन्हें आवश्यकता थी, लेकिन वह अपने पौधे के तनों और टहनियों को काट-छांट न करके अपनी मनमर्जी दिशा में बढ़ने देता था। इससे वे स्वाभाविक रूप से विकसित होते थे


एक शाम, बहुत भीषण तूफान आया, जिसमें भारी बारिश हुई। तूफान ने कई पौधों को नष्ट कर दिया। अगली सुबह, जब सख्त पड़ोसी उठा, तो उसने पाया कि उसके सारे पौधे उखड़ गये और बर्बाद हो गये। वहीं, जब दूसरा पड़ोसी उठा, तो उसने पाया कि उसके पौधे अभी भी मिट्टी में मजबूती से लगे हुए हैं, इतने तूफान के बावजूद।
रिलैक्स पड़ोसी के पौधे खुद ही चीजों का प्रबंधन करना सीख गये थे।

इसलिए, इसने अपना काम किया, गहरी जड़ें उगायीं और मिट्टी में अपने लिए जगह बनायी। इस प्रकार, यह तूफान में भी मजबूती से खड़ा रहा। जबकि, उस सख्त पड़ोसी ने अपने पौधों का जरूरत से ज्यादा ख्याल रखा था, लेकिन शायद वह भूल गया सिखाना कि बुरे समय में खुद का ख्याल कैसे रखते हैं।


शिक्षा : अभी या बाद में, आपको खुद से ही सबकुछ करना होगा। जब तक माता- पिता अत्यधिक सख्त होना बंद नहीं करते, तब तक कोई अपनी समझ के अनुरूप काम करना नहीं सीख पाता।

9. दो घड़े

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एक बार एक नदी में जोरों की बाढ़ आई तीन दिनों के बाद बाढ़ का जोर कुछ कम हुआ। बाढ़ के पानी में ढेरों चीजें बह रही थी उनमें एक ताँबे का घड़ा एवं एक मिट्टी का पड़ा भी था ये दोनों पड़े अगल-बगल तैर रहे थे।
ताँबे के घड़े ने मिट्टी के घड़े से कहा, ” अरे भाई, तुम तो नरम मिट्टी के बने हुए हो और बहुत नाजुक हो अगर तुम चाहो, तो मेरे समीप आ जाओ। मेरे पास रहने से तुम सुरक्षित रहोगे।


मेरा इतना ख्याल रखने के लिए आपको धन्यवाद, मिट्टी का घड़ा बोला, ” पर मैं आपके करीब आने की हिम्मत नहीं कर सकता। आप बहुत मजबूत और बलिष्ठ है मैं ठहरा कमजोर और नाजुक कहीं हम आपस में टकरा गए, तो मेरे टुकड़े-टुकड़े हो जाएँगे। यदि आप सचमुच मेरे हितैषी हैं, तो कृपया मुझसे थोड़ा दूर ही रहिए।”
इतना कहकर मिट्टी का पड़ा तैरता हुआ ताँबे के घड़े से दूर चला गया।

शिक्षा: ताकतवर पड़ोसी से दूर रहने में ही भलाई है।

10. टोपीवाला और बंदर

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बहुत पहले एक शहर में एक टोपीवाला रहता था। एक दिन कुछ टोपियों को बेचने के बाद वह काफी थक गया था। उसने थोड़ी देर के लिए पेड़ के नीचे आराम करने की सोची। उस पेड़ पर कई बंदर थे। उन्होने टोपी वाले को आराम करते हुए देखा। बंदरों ने नीचे आकर टोपियों को चुरा लिया और पेड़ पर वापस बैठ गए।

जब टोपी वाला जागा तो खाली झोला देखकर उसे बहुत ही दुःख हुआ। उसने देखा कि सारे बंदर टोपी पहने बैठे थे। वह जानता था कि बंदर नकल करते है तो उसने अपनी टोपी नीचे फेंक दी ये देखकर बंदरों ने भी अपने सिर से टोपियों को उतार कर फेंक दिया। टोपी वाले ने सारी टोपियां उठाई, झोले में रखी और चला गया।

शिक्षा: लड़ाई से ज्ञान ज्यादा बेहतर होता है।

11. बंदर और ऊँट

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कई साल पहले, जंगल से सारे जानवर अपनी-अपनी अभिनय और नाच-गाने की प्रतिभा दिखाने के लिए एकत्र हुए। जब सारे जानवर आ गए, तो बंदर से नाचने को कहा गया। बंदर तो उछल-कूद और कलाबाजियों में माहिर था ही उसने अपने नाच से सबका मनोरंजन किया। सभी लोगों ने बहुत सराहना की और बंदर को सभी ने बहुत अच्छा नर्तक मान लिया।

ऊँट से बंदर की सराहना सहन नहीं हुई और उसने भी नाचना शुरू कर दिया। उसका नाच बिलकुल बेतुका और बेढंगा था। उसका नाच किसी को भी पसंद नहीं आया और सबने उसकी बुराई की। उसने ईर्ष्या से भरकर नाच किया था, इसलिए उसे दंड के रूप में जंगल से निकाल दिया गया।

शिक्षा:अगर तुम अपनी बाँह से अधिक अपना हाथ पसारोगे, तो तुम्हें हानि ही होगी।

12. शेर का आसन
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शेर जंगल का राजा होता है। वह अपने जंगल में सब को डरा कर रहता है। शेर भयंकर और बलशाली होता है। एक दिन शहर का राजा जंगल में घूमने गया । शेर ने देखा राजा हाथी पर आसन लगा कर बैठा है। शेर के मन में भी हाथी पर आसन लगाकर बैठने का उपाय सुझा।

शेर ने जंगल के सभी जानवरों को बताया और आदेश दिया कि हाथी पर एक आसन लगाया जाए। बस क्या था झट से आसन लग गया। शेर उछलकर हाथी पर लगे आसन मैं जा बैठा। हाथी जैसे ही आगे की ओर चलता है, आसन हिल जाता है और शेर नीचे धड़ाम से गिर जाता है। शेर की टांग टूट गई शेर खड़ा होकर कहने लगा पैदल चलना ही ठीक रहता है।


शिक्षा: जिसका काम उसी को साजे, शेर ने आदमी की नक़ल करनी चाही और परिणाम गलत साबित हुआ।

13. मक्खी का लालच

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एक बार एक व्यापारी अपने ग्राहक को शहद बेच रहा था। तभी अचानक व्यापारी के हाथ से फिसलकर शहद का बर्तन गिर गया। बहुत सा शहद भूमि पर बीखर गया। जितना शहद ऊपर-ऊपर से उठाया जा सकता था उतना व्यापारी ने उठा लिया । परन्तु कुछ शहद फिर भी ज़मीन पर गिरा रह गया।


कुछ ही देर में बहुत सी मक्खियाँ उस जमीन पर गिरे हुए शहद पर आकर बैठ गयीं। मीठा- मीठा शहद उन्हे बड़ा अच्छा लगा। वह जल्दी-जल्दी उसे चाटने लगीं। जब तक उनका पेट भर नहीं गया वह शहद चाटती रहीं।
जब मक्खियों का पेट भर गया और उन्होने उड़ना चाहा, तो वह उड़ ना सकीं। क्योंकि उनके पंख शहद में चिपक गए थे । उड़ने के लिए उन्होने बहुत कोशिश की परन्तु वह फिर भी उड़ ना पाय वह जितना छटपटाती उनके पंख उतने चिपकते जाते। उनके सारे शरीर में शहद लगता जाता ।


काफी मक्खियाँ शहद में लोट-पोट होकर मर गायीं। बहुत सी मक्खियाँ पंख चिपकने से छट पटा रहीं थीं। परन्तु तब भी नई मक्खियाँ शहद के लालच में वहाँ आती रहीं। मरी और छट पटाती मक्खियों को देखकर भी वह शहद खाने का लालच नहीं छोड़ पाई ।

मक्खियों की दुर्गति और मूर्खता देखकर व्यापारी बोला जो लोग जीभ के स्वाद के लालच में पड़ जाते है, वह इन मक्खियों के समान ही मूर्ख होते हैं। स्वाद के थोड़ी देर के सुख उठाने के लालच में वह अपने स्वास्थ को नष्ट कर देते हैं। रोगी बनकर तड़पते है और जल्द ही मर जाते हैं।

14. चालाक बन्दर
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किसी नदी के किनारे एक बहुत बड़ा पेड़ था। उस पर एक बन्दर रहता था। उस पेड़ पर बड़े मीठे फल लगते थे। बन्दर उन्हे भरपेट खाता और मौज उड़ाता । वह अकेले ही मजे में दिन गुजार रहा था ।


एक दिन एक मगर उस नदी में से पेड़ के नीचे आया। बन्दर के पूछने पर मगर ने बताया की वह वहाँ खाने की तलाश में आया है। इस पर बन्दर ने पेड़ से तोड़कर बहुत से मीठे फल मगर को खाने के लिए दिए। इस तरह बन्दर और मगर में दोस्ती हो गई । अब मगर हर रोज़ वहाँ आता और दोनों मिलकर खूब फल खाते । बन्दर भी एक दोस्त पाकर बहुत खुश था ।


एक दिन बात-बात में मगर ने बन्दर को बताया की उसकी एक पत्नी है जो नदी के उस पार उनके घर में रहती है। तब बन्दर ने उस दिन बहुत से मीठे फल मगर को उसकी पत्नी के लिए साथ ले जाने के लिए दिए ।
इस तरह मगर रोज़ जी भरकर फल खाता और अपनी पत्नी के लिए भी लेकर जाता ।

मगर की पत्नी को फल खाना तो अच्छा लगता पर पति का देर से घर लौटना पसन्द नहीं था। एक दिन मगर की पत्नी ने मगर से कहा कि अगर वह बन्दर रोज-रोज इतने मीठे फल खाता है तो उसका कलेजा कितना मीठा होगा। मैं उसका कलेजा खाऊँगी। मगर ने उसे बहुत समझाया पर वह नहीं मानी ।


मगरमच्छ दावत के बहाने बन्दर को अपनी पीठ पर बैठाकर अपने घर लाने लगा । नदी बीच में उसने बन्दर को अपनी पत्नी की कलेजे वाली बात बता दी । इस पर बन्दर ने कहा कि वो तो अपना कलेजा पेड़ पर ही छोड़ आया हे। वह उसे हिफाजत से पेड़ पर रखता है। इसलिए उन्हे वापिस जाकर कलेजा लाना पड़ेगा । मगर बन्दर को वापिस पेड़ के पास ले गया। बन्दर छलांग मारकर पेड़ पर चढ़ गया।

उसने हँसकर कहा कि- “जाओ मूर्खराजा, घर जाओ और अपनी पत्नी से कहना कि तुम दुनिया के सबसे बड़े मूर्ख हो । भला कोई भी अपना कलेजा निकालकर अलग रख सकता है।


शिक्षा: बन्दर की इस समझदारी से हमे पता चलता है कि मुसीबत के वक्त हमें कभी धैर्य नहीं खोना चाहिए।

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