Suspense Story in Hindi

नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से एक नए पोस्ट Suspense Story in Hindi के साथ हाजिर है। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको पसंद आयेगी और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।

डायरी ने खोला कत्ल का रहस्य

Suspense Story in Hindi
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पुलिस जब मौका-एं-वारदात पर पहुंची तो निकुंज निवास के आगे भीड़ लगी थी। लोहे का बड़ा सा दरवाजा बंद था पर उसमें बना छोटा सा गेट खुला हुआ था। सुबह दूध वाले ने आकर वही बाहर लगी घंटी बहुत देर तक बजाई थी परंतु जब दरवाजा नहीं खुला तो वह छोटे गेट से अंदर बरामदे तक आ गया था। एक घंटी वहां भी थी, दूध वाले ने वह भी बजाई पर अंदर से कोई आवाज नहीं आई तो उसने ड्राइंग रूम के अंदर पर्दे की झिल्ली में से झांकने की कोशिश की।

कोई और दिन होता तो वह बाहर से ही वापस लौट चुका होता परंतु कल घर के मालिक ने खुद बाहर आकर 7 लीटर दूध का आर्डर दिया था और कहा था कि बहुत मेहमान आएंगे तो ज्यादा दूध की आवश्यकता होगी, अंदर झांकने में वह सफल रहा पर नजारा दिल दहलाने वाला था।

साहब कुर्सी पर पैर ऊपर रखकर थरथर कांपते ऐसे बैठे थे जैसे होश-हवाश खो चुके थे और मेम साहब नीचे जमीन पर पड़ी थी। उनके शरीर पर कोई हलचल नहीं थी, शायद वह जीवित ही नहीं थी। दूध वाला फौरन छोटे गेट से बाहर निकल आया और उसने पड़ोस वाले मिश्रा जी के घर की घंटी बजाकर उन्हें स्थिति से अवगत करवाया। उन्होंने बिना आवाज लगाये झांक कर देखा तो दूध वाला सच बोल रहा था। फौरन कुछ पड़ोसियों को एकत्रित करके मिश्रा जी ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस के आने तक तो वहां भारी भीड़ एकत्रित हो चुकी थी। पुलिस के अंदर जाकर दरवाजा जोर-जोर से पीटने पर कुछ ही मिनट में दरवाजा खुल गया।

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पुलिस की पूछताछ में जो सामने आया वह इस प्रकार था कि 6 महीने पूर्व ही राकेश और तारा इस घर को खरीद कर इसमें रहने आए थे। उनके विवाह को 4 वर्ष हुए थे और अभी कोई संतान नहीं थी। दोनों ही पड़ोस में किसी से बात नहीं करते थे। पड़ोसियों ने प्रारंभ में घनिष्टता बढ़ाने का प्रयास किया परंतु रूखी सी मुस्कान के अतिरिक्त कोई उत्तर नहीं मिला।

सामने पड़ने पर औपचारिक हाय हेलो के अतिरिक्त किसी से बात नहीं होती थी। यह मकान दो बरस तक बंद रहा था उससे पहले जो परिवार यहां रहता था उनकी युवा बेटी ने आत्महत्या कर ली थी यही एक कमरे में। उसके बाद वह परिवार यहां से कहीं और चला गया था।अंतत कोई इस मकान को खरीदना नहीं चाहता था।

ऐसे में राकेश को यह मकान कम दामों में मिल गया था और उसने इसे खरीद लिया। पड़ोसियों के अनुसार पति-पत्नी के संबंध मधुर नहीं थे। लड़ाई झगड़े की आवाज़ अक्सर ही वहां से आया करती थी। तारा की मृत्यु के बारे में राकेश ठीक से कोई जवाब नहीं दे पा रहा था। उसके गले में निशान थे जिससे पता चल रहा था कि किसी कपड़े से गला घोटकर उसे मारा गया है परंतु कपड़ा गायब था।

राकेश के अनुसार जब वह सुबह करीब 5:30 बजे पानी पीने उठा था तो उसने तारा को इसी तरह पड़े देखा। उसने हिलाया डुलाया तब समझ में आया कि वह नहीं रही। पुलिस द्वारा पूछने पर की मेहमान कौन से आने वाले थे राकेश का जवाब था दूधवाले से ऐसा बोलने के लिए तारा ने कहा था। वह कोई सरप्राइज देना चाहती थी। जैसे ही सूचना मिली दोनों के परिवार भी वहां पहुंच गई। तारा के घर वाले राकेश को कोस रहे थे। राकेश के घर वाले मानने को तैयार ही नहीं थे कि वह ऐसा कर सकता है। शक की सूईया हालांकि राकेश की ओर ही जा रही थी।

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केस जल्दी ही सीबीआई के सुपुर्त कर दिया गया। संजय एक जाना माना नाम था। इस तरह के उलझे हुए केस की तह तक पहुंचने में उसकी ही मदद ली जाती थी। जब से केस उसके हाथ में आया लोग केस सुलझने की उम्मीद करने लगे थे। जब तारा की डायरी संजय के हाथ लगी तब राकेश और भी फसता नजर आया क्योंकि उसमें रोजाना के झगड़ों का जिक्र था।

कहीं तारा ने आत्महत्या की बात लिखी थी तो कहीं कुछ और। ऐसा ही हत्या से दो दिन पहले तो उसने राकेश से जान का खतरा ही लिख दिया था। आखिरी पेज पर जब संजय ने यह पढ़ा कि राकेश से 7 लीटर दूध क्यों बोला दूध वाले को – मेरे क्रिया कर्म पर लोग इकट्ठा होने वाले हैं। तो उसका माथा ठनका अब शक की गुंजाइश कहां बची थी ?

राकेश से सख्ती से पूछताछ की गई परंतु उसका कहना यही था कि ऐसा बोलने को तारा ने कहा था। पूछताछ में यह भी सामने आया कि घर में कई दफा अजीब अजीब आवाज़ भी सुनाई देती थी जिससे तारा बहुत डर जाती थी। उसे किसी आत्मा के साये की आशंका भी होती थी। राकेश ने बताया की आवजे तो उसे भी सुनाई देती थी। पर इस बात पर संजय ने विश्वास नहीं की, उसने राकेश से पूछा की तारा डायरी मे हर बात लिखती थी तो उसने डायरी मे ये बात क्यू नहीं लिखी?

इस पर राकेश ने बताया – तारा को मैंने काभी डायरी लिखते नहीं देखा वों डायरी लिखती थी यह तो मुझे आपसे पता चला राकेश ने हैरानी से बोला।

संजय ने डायरी निकाल कर राकेश को दिखाई। डायरी पिछले 5 से 6 महीने से लिखी जा रही थी। जब राकेश ने डायरी देखि तब उसने वो डायरी तारा की है यर मानने से ही इनकार कर दिया। उसके अनुसार डायरी की लिखावट तारा की नहीं थी।

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एक बार तो संजय चकराया फिर उसने तारा की हैंडराइटिंग दिखाने के लिए कहा। उसे डायरी के अतिरिक्त घर में तारा के हाथ से लिखा हुआ कुछ नहीं मिला। राकेश ने कहा – वह सारे काम लैपटॉप और मोबाइल फोन पर करती थी। मैंने उसे घर पर कुछ लिखते कभी नहीं देखा था। संजय ने पूछा – फिर तुम कैसे यह दावा कर सकते हो की राइटिंग उसकी है या नहीं?

राकेश – क्योंकि शादी से पहले उसने कुछ पत्र मुझे लिखे थे और एक बार हमारी जोरदार लड़ाई हुई तो गुस्से में उसने खुद ही सब फाड़ डाले थे।

संजय ध्यान से उसके चेहरे को पढ़ रहा था। लिखावट तारा की है या नहीं यह साबित करना मुश्किल नहीं था उसके लिए पर राकेश जो कह रहा था उसमें क्या थोड़ी सी भी सच्चाई है?

राकेश से आगे कहा – इस डायरी से तो ऐसा लगता है कि हमारे रिश्ते बेहद खराब थी। जबकि ऐसा नहीं है हम लड़ते बेशक थे पर प्यार भी एक दुसरे से बहुत करते थे। राकेश ने दिमाग पर जोर डालते हुए कहा – मुझे कुछ याद नहीं आ रहा।

तारा की मां को भी डायरी दिखाई गई तो उन्होंने भी लिखावट तारा की होने से इनकार किया। आगे की पूछताछ में तारा की मां से पता चला कि तारा की एक गहरी दोस्त थी जो अक्सर उससे मिलने आती थी और तारा उससे बहुत प्रभावित थी। उसका नाम नीलम था पर तारा का फोन खंगालने पर पता चला कि उस नाम से उसके मोबाइल मे कोई नंबर सेव नहीं था। राकेश को उसके बारे में कुछ खास जानकारी नहीं थी।

उसे सिर्फ इतना ही पता था कि कुछ महीने पहले उसकी दोस्ती नीलम नाम की किसी लड़की से हुई थी और वह दोनों अक्सर मिलती-जुलती थी। परंतु राकेश की उपस्थिति में वह कभी नहीं आई। राकेश ने उसका फोटो तक कभी नहीं देखा था ना उसने कभी देखने की इच्छा जाहिर की थी और ना ही तारा ने स्वयं कभी दिखाया था। लेकिन उसने यह आवश्यक बताया था कि नीलम बाकी लड़कियों से बहुत अलग है। उसे फोटो खींचना खिंचवाना पसंद नहीं था।

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राकेश का घर पुराने बसे हुए मोहल्ले में था। दिन के समय वहाँ कोई गार्ड भी नहीं होता था। लेकिन रात को अवश्य ही एक चौकीदार डंडा फटकारते हुए कभी-कभी गली में चक्कर लगा लेता था परंतु पूछताछ में वह कुछ नहीं बता सका। सीसीटीवी कैमरा भी घर के सामने नहीं था। गली के कैमरे की फुटेज में देर रात कोई आता जाता दिखाई भी नहीं दिया । सबका शक बार-बार राकेश पर ही जा रहा था लेकिन नीलम को ढूंढना भी जरूरी था। आखिर खास सहेली थी तो आई क्यों नहीं?

सारे शहर मे ये खबर आग की तरह फैल चुकी थी। राकेश बार-बार डायरी उठाकर लिखावट पहचानने का प्रयास करता रहा। अचानक याद आया ऐसी लिखावट तो माया की भी थी। माया उसकी पुरानी महिला मित्र थी परंतु वह निश्चित तौर पर यह बात नहीं कह सकता था। माया से रिश्ता खत्म हुए 5 साल हो गए थे।

तारा से बात पक्की होते ही राकेश ने माया के पत्र और उससे जुड़ी हर निशानी मिटा दी थी पर उसकी मोती जैसी खूबसूरत लिखावट उसे रह रहकर आज याद आ रही थी। जो की डायरी वाली लिखावट से हूबहू मिलती थी। उसने संजय को बताना उचित समझा। संजय को जैसे ही यह पता चला उसने फिर से सीसीटीवी फुटेज राकेश को दिखाई।

शाम के करीब 5:00 बजे एक लड़की गली में दिखी हालांकि उसने अपना चेहरा काफी हद तक ढक रखा था।चाल ढाल से राकेश को वह माया ही लगी। सामने वाली पड़ोसन ने भी पूछताछ में बताया कि उन्होंने कल किसी को आते त नहीं देखा था पर यह फुटेज वाली लड़की अक्सर ही तारा के पास आती थी। माया अब कहां है इसके बारे मे राकेश को कुछ पता नहीं था परंतु उसके बारे में बाकी सब कुछ उसने संजय को बताया।

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करीब 6 बरस पहले उसकी मुलाकात माया से हुई थी। उसका बिंदास स्वभाव राकेश को भा गया। धीरे-धीरे दोस्ती बढ़कर प्यार में बदल गई। राकेश ने उसे जीवन संगिनी बनाने का फैसला भी कर लिया था कि कुछ विश्वसनीय सूत्रों से पता चला की माया सही लड़की नहीं है। उसका उठना बैठना अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के साथ है और वह स्वयं भी छोटी-मोटी वारदात में नियुक्त रहती है। राकेश का दिल टूट गयाउसने फौरन रिश्ता समाप्त करने का फैसला किया। माया ने बहुत मनाया बहुत समझाया खुद को बदलने की बात भी की पर राकेश दृढ़ निश्चय कर चुका था। कुछ दिन बाद घर वालों ने ही उसके लिए तारा को चुना था।

6 महीने रिश्ता तय रहा इस दौरान ही तारा ने राकेश को कई पत्र लिखा था। शादी के बाद माया के बारे में राकेश ने तारा को कुछ नहीं बताया था और उनके बीच सब ठीक-ठाक था। तारा को ही किसी ने इस सस्ते दाम पर मिलने वाले घर के बारे में बताया था और राकेश ने इसे खरीद लिया था। पता नहीं कैसे उसे माया के बारे में भी पता चला और तब से झगड़ा शुरू हो गई।

यहां शिफ्ट होने से पहले तारा अधिक मिलनसार भी थी और पिछले पड़ोस के लू से उसके रिश्ते भी अच्छे थे। राकेश थोड़ा संकोची था और शुरू से ही ज्यादा दोस्त नहीं बनाता था। परंतु यहां आकर तारा ने पड़ोसियों से रिश्ते नहीं बनाए। बस उसका सारा ध्यान नीलम की तरफ था शायद उसी ने उसको ज्यादा दोस्त ना बनाने की सलाह दी हो।

माया का आपराधिक रिकॉर्ड होने की वजह से संजय को उस तक पहुंचने में अधिक वक्त नहीं लगा। पड़ोसियों ने तारा की सहेली के रूप में उसकी पहचान भी कर ली। जब पूछताछ की गई तो सारी साजिश की जिम्मेदार वही निकली। इस सब के पीछे राकेश से बदला लेना ही उसका मकसद था। पिछले 4 वर्षों में उसका सारा ध्यान राकेश और तारा की हर गतिविधि पर रहा।

3 साल तक वह खामोशी से रही लेकिन पिछले 1 साल में उसने तारा से जान पहचान करके दोस्ती कर ली। यह मकान भी उसी ने दिलवाया क्योंकि वह ऐसी जगह उन्हें रखना चाहती थी जहां सुरक्षा व्यवस्था इतनी अच्छी ना हो। तारा को ऐसी पट्टी पढ़ाई की उसने किसी और से दोस्ती ही नहीं की।

नीलम बनकर तारा को माया और राकेश के रिश्ते के बारे में नमक मिर्च लगाकर खूब भड़काया और बताया कि माया उसकी रूममेट थी कॉलेज में और राकेश से मिले धोखे के बाद सब छोड़-छाड़ कर कहीं चली गई। यहां तक की राकेश द्वारा लिखी चिट्ठियां भी फड़वा डाली। तारा राकेश की लिखावट पहचानती थी और उसके बाद ही गुस्से में उसने अपनी लिखी चिट्ठियां फाड़ डाली या कह सकते हैं ऐसा करने के लिए भी नीलम ने भड़काया था।

क्योंकि वह तारा की लिखावट के सबूत मिटाना चाहती थी। उस घर में किसी की छाया होने का भ्रम भी उसने इसलिए ही पैदा किया। इसके लिए उसने कभी-कभी रिकॉर्ड की हुई सांसों की आवाज और कुछ अन्य आवाज़ चलाने का इंतजाम किया था।

इस सिलसिले में वह उसकी मददगार भी बन रही थी। दूध वाला 7 लीटर दूध इसलिए लाया था कि भूत भगाने के लिए घर में पूजा रखवाई गई थी और राकेश के लिए यह पूजा सरप्राइज थी। सब कुछ योजना बना कर एक दिन पहले शाम को राकेश के घर पहुंचने से पहले वह प्रसाद के नाम पर नशीली खीर दे गई थी और खाना खाने के बाद राकेश और तारा ने वह खीर खाई थी। दोनों गहरी नींद मे सो गए। उस दिन वह घर में ही छुपी रही।

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रात को तारा को खींचकर हाल में ले आई जिससे राकेश की नींद ना खुले। अपने ही दुपट्टे से उसका गला घोटकर मोबाईल से सारे सबूत मिटा डाली। मोबाइल फोन से वह नंबर, मैसेज सब कुछ डिलीट कर दिया। तारा की दराज में वह डायरी रखी फिर बाहर आकर सुबह की प्रतीक्षा करने लगी। 5:30 बजे जब राकेश का नशा टूटा तो उसे प्यास लगी। तारा बगल में नहीं थी उसे लगा वॉशरूम में होगी। पानी लेने वह बाहर आया तो उसकी चीख निकल गई उसने हिला कर देखा तो डरकर कुर्सी पर खुद को समेट कर बैठ गया।

यह सब माया ने बाहर से देखा था। जब रोशनी के साथ सड़क पर चहल पहल शुरू हो गया तो चुपचाप छोटा गेट खोल कर निकल गई। उसने पूरी कोशिश की थी कि हत्या के इल्जाम में राकेश फंस जाए और सजा पाए जिससे उसका बदला पूरा हो सके पर ऐसा नहीं हो सका। बड़े से बड़ा अपराधी भी कोई सबूत छोड़ ही देता है और वह तो फिर भी उतनी शातिर नहीं थी। संजय जैसा ऑफिसर सामने था जिसने निर्दोष को सजा मिलने से बचा लिया।

दोस्तो, आज की ये पोस्ट Suspense Story in Hindi आपको कैसी लगी ये आप हमें कॉमेंट करके बता सकते है। ऐसे ही मजेदार कहानियां आपके लिए आगे भी लेकर आते रहेंगे।

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