दोस्तों, जिन्दगी के खेल में हमेशा जीत हमेशा उसी की नहीं होती जो ताकतवर और तेज होता है, बल्कि आज नहीं तो कल वह इंसान भी जीतता है। जिसे खुद पर पूरा यकीन होता है कि वह जीत ही जाएगा और वह आखिरी मौके तक कोशिश करना बंद नहीं करता। दोस्तों, आज हम आपके लिए ऐसे ही कुछ Motivational Story in Hindi for Success लेकर आए है। हम उम्मीद करते है की ये कहानी आपको जरूर पसंद आएगा और आप इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करेंगे।
हाथी की कहानी
आज की मोटिवेशनल स्टोरी है एक हाथी की एक सर्कस से। जिसके मालिक को अपने सर्कस में तरह-तरह के जानवर रखने का शौक था और इन्हीं जानवरों के करतब दिखाकर वह लोगों को इंटरटेनमेंट करता और पैसे कमाता था।,उसके सर्कस में शेर, भालू, बंदर जैसे जानवर होते ही थे लेकिन एक हाथी की कमी थी। सर्कस के मालिक की दोस्ती एक शिकारी से थी जो उसे जंगल से जानवर पड़कर लाकर देता था।
एक दिन सर्कस के मालिक ने शिकारी से कहा इस बार तुम मुझे जंगल से एक हाथी लाकर दोगे तो मैं तुम्हें पैसों से मालामाल कर दूंगा। इतना सुनते ही शिकारी निकल पड़ा जंगल की तरफ हाथी की तलाश में। सर्कस के मालिक ने यह खास हिदायत दी थी कि हाथी का छोटा बच्चा ही लेकर आना क्योंकि उसे संभालना और उसे ट्रेंड करना आसान होता है। शिकारी अपने साथ कुछ और लोगों को भी ले गया क्योंकि काम जो इतना खतरनाक था। शिकारी और उसके साथियों ने जंगल में ही अपना डेरा डाल दिया।
कई दिन और रात जंगल में बिताने के बाद आखिरकार शिकारी को हाथी और उसके बच्चों का एक झुंड दिखाई दे ही गया। शिकारी ने अपनी बंदूक से गोलियां चला-चला कर हाथियों के झुंड को तीतर भीतर कर दिया और एक हाथी के छोटे बच्चों को उनके झुंड से अलग करने में कामयाब हो गए। फिर जैसे तैसे उसे हाथी के बच्चे को पड़कर सर्कस के मालिक को सौंप दिया गया। इसके बदले में शिकारी को एक मोटी रकम इनाम में मिली।
अब शिकारी हाथी के बच्चे को सर्कस के मालिक को सौंप कर जा ही रहा था कि उसने देखा कि सर्कस के पहरेदारों ने हाथी के बच्चे के पैर में एक बहुत ही मोटी लोहे की जंजीर बांधी ताकि वह भाग ना जाए। यह देखकर शिकारी वापस अपने घर को चला गया कुछ समय बाद सर्कस के मालिक ने फिर से उसे शिकारी को सर्कस में बुलाया।
शायद वह कोई नया जानवर पकड़ने का काम उसको सौंपना चाहता था। शिकारी जब सर्कस में आया तो उसने देखा वही हाथी का बच्चा अब एक बड़ा हाथी बन चुका था। लेकिन वह यह देखकर बहुत ही हैरान रह गया कि अब उसके पैर में सिर्फ एक पतली सी रस्सी बंधी हुई थी। फिर भी वह हाथी उसे बिना तोड़े ही वहीं पर खड़ा था।
यह देखकर शिकारी से रहा नहीं गया और उसने सर्कस के मालिक से पूछ ही लिया कि जब यह हाथी छोटा था तब आपने एक बहुत ही मोटी लोहे की जंजीर इसके पैरों में बांध रखी थी। लेकिन अब जब यह इतना बड़ा हो गया है तो आपने सिर्फ एक मामूली सी रस्सी से ही इसके पैर में बांध रखी है।
सर्कस का मालिक मुस्कुराया और बोला सुनो मेरे दोस्त जब यह हाथी का बच्चा छोटा था। तब मैंने इसे लोहे की जंजीर से बांधा था। क्योंकि यह बहुत ही ताकतवर था और उसने कई महीनो तक सैकड़ो बार उसे जंजीर को तोड़ने की कोशिश की लेकिन तोड़ नहीं पाया। धीरे-धीरे इसके मन में यह बात बैठ गई कि इसमें जंजीर को तोड़ पाने जितनी ताकत ही नहीं है।
इसका अपने आप से और अपनी ताकत पर से विश्वास खत्म हो गया था। फिर इसने धीरे-धीरे कोशिश करना बंद ही कर दिया। तब मैंने एक मामूली सी रस्सी इसके पांव में बांधी है। अब यह कभी भी इसे तोड़ने की कोशिश नहीं करता क्योंकि यह मन ही मन में हार मान चुका है। हालांकि यह पहले से भी ज्यादा ताकतवर है। अगर चाहे तो अभी एक झटके में ही इस रस्सी को तोड़ सकता है।
दोस्तों हम में से भी बहुत से इंसानों की कहानी कुछ ऐसी ही है हम अपनी लाइफ में अपने गोल को हासिल करने की कोशिश में कई बार हार मान चुके होते हैं और अपने अंदर की ताकत को भूल जाते हैं। या यूं कहें हमने भी हाथी की तरह हार ही मान ली होती है। एक खिलाड़ी ओलंपिक में मेडल जीतने के लिए 4 साल तक ट्रेनिंग करता है। इस दौरान वह कई तरह के कंपीटीशन खेलता है और कई बार उसे हार का सामना करना पड़ता है लेकिन वह इन सभी हार को अपने ऊपर हावी नहीं होने देता।
ठीक इसी तरह जिंदगी के खेल में भी लगातार नाकाम होती कोशिशें से डर कर हार नहीं मानना चाहिए। बहुत मुमकिन है कि हम जिस काम पर हार माँ रहे हैं। सफलता उससे ठीक अगले ही कदम पर हमें मिल जाए। मैं एक बार फिर कहता हूं कि जिंदगी के खेल में हमेशा उसी की जीत नहीं होती जो ताकतवर और तेज होता है, बल्कि आज नहीं तो कल वह इंसान भी जीतता है जिसे विश्वास है कि वह जीतेगा।
चूहे की कहानी
(Motivational Story in Hindi for Success)
एक घने जंगल से जहां पर एक साधु अकेले अपने कुटिया में रहते थे। वह साधु जंगल के एकांत में ही बहुत खुश रहते थे। एक बार उनकी कुटिया में एक चूहा आ गया। साधु को चूहे से कोई परेशानी नहीं हुई, क्योंकि वह बहुत दयालु थे और उन्होंने चूहे को अपनी कुटिया में ही रहने दिया। धीरे-धीरे समय बीतता गया। चूहा दिन रात उस कुटिया में रहता था। वह कभी भी कुटिया से बाहर ही नहीं जाता था। एक दिन साधु ने चूहे से पूछा – तुम बाहर जंगल में क्यों घूमने नहीं जाते। दिन-रात कुटिया में ही पड़े रहते हो क्या तुम परेशान नहीं हो जाते कुटिया में रहते रहते।
चूहे ने कहा – महाराज मेरा मन तो करता है कुटिया से बाहर जाकर घूमने का लेकिन मुझे डर है कि जैसे ही मैं बाहर निकलूंगा मुझे देखते ही बिल्ली कहा जाएगी। हां अगर आप मुझे अपनी शक्ति से चूहे से बिल्ली बना दें तो मैं आसानी से कुटिया के बाहर भी घूम सकता हूं।
साधु को चूहे पर दया आ गई तो उन्होंने चूहे को अपनी शक्ति से बिल्ली बना दिया। अब वह चूहा बिल्ली बनकर कुटिया से बाहर गया। थोड़ी ही देर में वह हांफते हुए वापस कुटिया में आ गया। साधु ने उससे पूछा क्या हुआ अब बिल्ली बन चुका चूहा बोला कि बाहर एक बहुत ही भयानक कुत्ता मुझे दिख गया इसलिए मैं वापस कुटिया में आ गया। आप कृपा करके मुझे कुत्ता ही बना दीजिए फिर मैं आराम से रह सकता हूं। साधु ने उसे कुत्ता बना दिया कुत्ता बनकर वह चूहा जब जंगल में बाहर घूमने निकला तो उसे एक शेर की दहाड़ सुनाई दी।
शेर की दहाड़ सुनते ही वह दुम दबाकर वापस कुटिया की तरफ भाग कुटिया में पहुंचकर कुत्ता बने हुए चूहे ने साधु से कहा कि कुत्ता बनकर भी मैं बिलकुल सेफ नहीं हूं मुझे शेर से बहुत ही डर लगता है। आप प्लीज मुझे शेर ही बना दीजिए क्योंकि जंगल का राजा होता है शेर और उसे किसी का भी डर नहीं होता। साधु ने एक बार फिर उस चूहे की बात मान ली और उसे अपनी शक्ति से शेर बना दिया। शेर बनकर चूहा बहुत ही खुश था। वह पूरे जंगल में अपनी मर्जी से इधर-उधर घूम रहा था। शेर बनकर वह जब जंगल में घूमता तो सारे जानवर उससे डरते भी थे।
एक दिन वह शेर के रूप में जंगल में घूम रहा था तभी उसे एक गोली चलने की आवाज सुनाई दी और सारे पक्षी और जानवर इधर-उधर भागने लगे। तब शेर ने एक खरगोश को रोक कर पूछा कि क्या हुआ तुम सब इधर-उधर डर के मारे क्यों भाग रहे हो तो खरगोश ने कहा कि आपको नहीं पता जंगल में शिकारी आ गए हैं। उनके पास बंदूक भी है और इस बार तो वह खास तौर पर शेर का ही शिकार कर रहे हैं। यह सुनते ही शेर दुम दबाकर फिर से अपनी कुटिया की तरफ भागा और सीधे साधु के पास पहुंच गया।
उसने यह सारी बात उस साधु को बताई तब साधु ने उससे कहा कि तुम मेरी बात बहुत ध्यान से सुनो – मैं अपनी शक्ति से तुम्हें जो भी चाहे बना दूं तुम्हारा शरीर तो बदल जाएगा, लेकिन तुम्हारे दिल के अंदर जो डर है वह नहीं बदल पाएगा। तुम्हें खुद ही अपने डर को निकलना होगा तभी तुम आराम से जिंदगी बिता पाओगे। जब तक यह डर तुम्हारे अंदर है तुम किसी भी तरह से चैन से नहीं जी पाओगे। बात चूहे के समझ में आ गई और उसने कहा महाराज आप मुझे वापस चूहा ही बना दीजिए। वह वापस चूहा बनकर खुशी से रहने लगा।
दोस्तों यही बात हम सब के साथ भी जुड़ी हुई है। हम सब किसी न किसी चीज का डर अपने मन में बसा कर बैठे हुए हैं। कोई स्टूडेंट है तो उसके मन में एग्जाम्स का डर है, कोई खिलाड़ी है तो उसके मन में हारने का डर है, किसी के मन में मौत का डर है, इस तरह से इस दुनिया में कोई भी ऐसा इंसान नहीं है जिसे डर ना लगता हो। लेकिन लाइफ में सफल वही होता है जो इस डर को अपने ऊपर हावी नहीं होने देता। इसीलिए अपने डर को अपने मन से निकाल कर अपना पूरा ध्यान अपने लक्ष्य पर फोकस करना चाहिए।
अनोखा मेंढक
एक मेंढक की छोटी सी मोटिवेशनल स्टोरी जो हमें सिखाएगा की कैसे हम अपनी नेगेटिव थॉट्स को दूर कर सकते हैं। एक घने जंगल के बीचों बीच एक तालाब था जंगल के सभी जानवर उस तालाब पर पानी पीने के लिए आते थे। यह तालाब उस जंगल में इकलौता पानी का साधन था। इसलिए सभी जानवर अपनी प्यास बुझाने के लिए इस तालाब पर निर्भर थे। उस तालाब में मेंढकों का एक झुंड भी रहता था। मेंढकों ने तालाब में अपनी एक पूरी दुनिया बसा रखी थी । मेंढक इस तालाब में पलने वाले कीड़े मकोड़े को खाते और वहीं पर दिन-रात टर्र टर्र करते रहते थे।
मेंढकों के टर्र टर्र करने के शोर से जंगल के दूसरे जानवर बहुत ही परेशान थे। एक दिन जंगल के सभी जानवरों ने एक मीटिंग बुलाई और यह निर्णय किया कि इन मेंढकों के झुंड को जंगल से बाहर कर दिया जाए। लेकिन कैसे तो एक चालाक कौवे ने कहा कि मेरे पास एक प्लान है। बाकी सभी जानवरों को मेरे प्लान के हिसाब से चलना होगा और बस सिर्फ मेरी हां में हां मिलनी होगी।
सभी जानवर मान गए और सभी जानवर पहुंचे तालाब के किनारे और कौवे ने आगे बढ़कर मेंढकों के सरदार को बुलाया और कहा कि तुम मेंढक दिन रात इस तालाब में टर्र टर्र करते रहते हो टर्र टर्र करने के अलावा तुम्हारे अंदर कोई भी गुण नहीं है और ना ही तुम में से कोई भी मेंढक कोई खास टैलेंटेड है। इसलिए तुम्हें जंगल को छोड़कर जाना होगा।
मेंढकों का सरदार यह सुनकर सोच में पड़ गया तभी कौवा तपाक से फिर से बोल पड़ा कि तुम्हें एक मौका दे सकते हैं – तुम्हें अपना टैलेंट दिखाना होगा। अगर तुम में से कोई भी मेंढक आपके साथ वाले पेड़ की सबसे ऊंची डाली पर चढ़ जाए तो तुम जंगल में रह सकते हो। सरदार मन ही मन सोचने लगा कि यह तो बिल्कुल नामुमकिन है, क्योंकि आज तक किसी भी मेंढक ने इतनी ऊंचाई तक छलांग नहीं लगाई है कि वह पेड़ पर चढ़ सके। जंगल के बाकी जानवर भी कौवे की हां में हां मिलाने लगे और मेंढकों को अगले दिन का समय दिया गया।
अगले दिन सभी मेंढक पेड़ के नीचे इकट्ठे हो गए और जंगल के बाकी जानवर भी वहां पर पहुंच गए। अब शुरू हुआ मेंढकों के कूदने और कूद कूद कर पेड़ पर चढ़ने का सिलसिला। एक-एक करके मेंढक आते और पेड़ पर कूद कर चढ़ने की कोशिश करने लगे। लेकिन इस काम में वे सभी फेल होने लगे। अगर कोई मेंढक पेड़ की एक डाली तक पहुंच भी जाता तो चालाक कौवा जोर-जोर से चिल्लाने लगता। अरे मेंढक रहने दे यह तुमसे नहीं हो पाएगा यह तुम्हारे बस की बात नहीं है। क्योंकि जो आज तक कोई मेंढक नहीं कर पाया वह तुम कहां से कर लोगे। जंगल के बाकी जानवर भी कौवे की यह बात पीछे-पीछे दोहराने लगते।
यह सभी नेगेटिव बातें सुनकर मेंढक घबरा जाते और आगे बढ़ाने की बजाय वह नीचे गिर जाते थे। लेकिन एक दूसरे की देखा देखी मेंढक आते गए और चढ़ने की कोशिश करते गए और मेंढकों के गिरने का सिलसिला यूं ही चला रहा। तभी अचानक से एक मेंढक उछला और पेड़ की पहली डाली से दूसरी डाली और फिर तीसरी डाली पर कूद गया। यह देखते ही कौवा फिर से चिल्लाने लगा रहने दो मेंढक यह तेरे बस की बात नहीं है जो आज तक कोई मेंढक नहीं कर पाया तू कहां से कर लेगा और जंगल के बाकी जानवर भी इसी तरह की बातें जोर-जोर से चिल्लाने लगे।
लेकिन यह क्या इस बार नेगेटिव बातों का असर इस मेंढक पर तो बिल्कुल भी नहीं पड़ा। वह तो लगातार पेड़ के ऊपर चढ़ता ही जा रहा था। सभी जानवर यह देखकर हैरान थे। यहां तक की मेंढकों का सरदार और बाकी सभी मेंढक भी सोच में पड़ गए और कुछ ही मिनट में वह मेंढक पेड़ की सबसे ऊंची डाली पर पहुंच चुका था। यह देखकर सभी मेंढक खुशी में नाचने लगे क्योंकि अब उन्हें कोई जंगल से बाहर नहीं निकल सकता था।
जब वह मेंढक पेड़ से नीचे उतरा तो सभी मेंढकों ने उसे घेर लिया और पूछने लगे कि उसने यह सब कैसे कर लिया। लेकिन उस मेंढक ने कोई जवाब नहीं दिया तभी एक दूसरा मेंढक जो कि पेड़ पर चढ़ने वाले मेंढक का दोस्त था वह वहां पर आया और उसने कहा मैं बताता हूं कि इसने यह सब कैसे कर लिया। क्योंकि यह मेंढक बहरा है इसे कुछ भी सुनाई नहीं देता। जब कौवा और बाकी जानवर इसके बारे में नेगेटिव बातें बोल रहे थे तो इस पर उनका कोई भी असर नहीं पड़ा। क्योंकि इसने कुछ भी नहीं सुना बस यह अपनी धुन में ऊपर से ऊपर ही चढ़ता गया।
तो दोस्तों, ठीक इसी तरह से इंसान को भी किसी भी परेशानी में मन में आने वाले नेगेटिव थॉट्स को बिल्कुल भी नहीं सुनना चाहिए और ना ही दूसरे लोगों के बोले गए नेगेटिव थॉट्स पर हमें ध्यान देना चाहिए। एक तरह से हमें बहरा ही हो जाना चाहिए, तभी हम उस मुसीबत से बाहर आने का रास्ता ढूंढ सकते हैं।
अपनी कुल्हाड़ी की धार तेज करो
(Motivational Story in Hindi for Success)
दोस्तों आज की कहानी है जॉन नाम के एक आदमी की। जॉन जो एक ऐसी कंपनी में काम करता है जो पेड़ों की कटाई का कॉन्ट्रैक्ट लेती है और फिर पेड़ों की लकड़ी को आगे फर्नीचर बनाने वाली कंपनी को भेज देती थी। जॉन इस कंपनी में पेड़ काटने का काम करता है। जॉन पिछले 5 साल से इस कंपनी में काम कर रहा है लेकिन उसे ना तो कभी कोई प्रमोशन मिला और ना ही उसकी सैलरी में कोई खास बढ़ोतरी हुई थी।
एक दिन उसी कंपनी में पीटर नाम के एक आदमी को नौकरी पर रखा जाता है। देखते ही देखते एक साल बीत गया और 1 साल के अंदर ही पीटर की सैलरी बढ़ा दी गई और उसका प्रमोशन भी कर दिया गया। जॉन को जब इस बात का पता चला तो उसने इस बात का विरोध किया और वह सीधा अपने बॉस के पास गया। लेकिन बॉस ने जवाब दिया जॉन तुम आज भी उतने ही पेड़ काटते हो जितने 5 साल पहले काटते थे। हमारी कंपनी में नतीजे को देखा जाता है अगर तुम भी ज्यादा पेड़ काटने लगे तो हमें तुम्हारी सैलरी बढ़ाने में बहुत ही खुशी होगी। यह सुनकर जॉन वहां से वापस लौट गया।
इस घटना के बाद जॉन ने पहले से भी ज्यादा पेड़ काटने का निर्णय लिया। वह सुबह चढ़ते सूरज के साथ ही काम पर लग जाता था और देर शाम तक सूरज ढलने तक वहां पर काम करता रहता था। इसके बावजूद भी वह ज्यादा पेड़ नहीं काट पा रहा था। जॉन फिर से एक बार अपने बॉस के पास गया और उसने बॉस को अपनी परेशानी बताई। बॉस ने जॉन को सुझाव दिया कि अगर तुम पीटर से जाकर मिलो तो शायद वह तुम्हें कुछ ऐसा बता सकता है जो तुमको नहीं मालूम है।
यह सुनकर जॉन सीधा पीटर से मिलने पहुंच जाता है। पीटर से मिलते ही जॉन ने पूछा पीटर तुम ज्यादा पेड़ कैसे काट लेते हो, जबकि मैं तुमसे ज्यादा देर तक काम करता हूं फिर भी कम ही पेड़ काट पाता हूं। यह सुनकर पीटर थोड़ा मुस्कुरा देता है और कहता है मेरे दोस्त जॉन मैं हर एक पेड़ काटने के बाद 2 मिनट के लिए अपना काम रोक देता हूं और अपनी कुल्हाड़ी की धार को तेज करता हूं। तुम बताओ तुमने अपनी कुल्हाड़ी की धार आखरी बार कब तेज की थी। यह सुनकर जॉन सोच में पड़ गया। क्योंकि शायद पिछले कई सालों से उसने अपनी कुल्हाड़ी को धार नहीं लगाई थी।
दोस्तों इंसान का दिमाग भी ठीक इसी तरह से काम करता है। हमने आज से पहले जितनी ही भी शिक्षा हासिल की हो लेकिन उसका कोई ज्यादा महत्व नहीं होता। हमें लगातार अपने दिमाग की कुल्हाड़ी की धार लगानी पड़ती है। हम जिस भी फील्ड से जुड़े हो हमें लगातार अपनी स्किल्स और अपनी नॉलेज को अपडेट करना पड़ता है।
गुब्बारे वाला
एक आदमी मेले में गुब्बारे बेचकर गुजर बसर करता था। उसके पास लाल, नीले, पीले, हरे और उसके अलावा भी कई रंगों के गुब्बारे थे। जब उसकी बिक्री कम होने लगती तो वह हिलियम गैस से भरा हुआ गुब्बारा हवा में उड़ा देता। बच्चे जब उस उड़ते हुए गुब्बारे को देखते तो वैसा ही गुब्बारा पाने के लिए उत्साहित हो जाते थे और वह गुब्बारे वाले के पास पहुंच जाते। ऐसे ही उस आदमी की बिक्री घटती तो वह एक गुब्बारा हवा में उड़ा देता।
एक दिन एक बच्चा उसके पास आया और पूछने लगा अंकल क्या जब आप यह काले रंग का गुब्बारा भी हवा में छोड़ोगे तो वह भी उड़ेगा। बच्चों के इस मासूम सवाल पर गुब्बारे वाला मुस्कुरा पड़ा और उसने कहा बेटा गुब्बारा उनके रंग की वजह से नहीं बल्कि उसके अंदर भरी हुई गैस की वजह से उड़ता है।
दोस्तों हमारी जिंदगी का भी यही उसूल है। इंसान कैसा दिखता है, उसका रंग कैसा है, काला है, गोरा है, वह कद से लंबा है, छोटा है। इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता, फर्क पड़ता है तो उसके नजरिए यानी उसके एटिट्यूड से। क्रिकेट का भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर क कद सिर्फ 5 फुट 2 इंच है। मैरी कॉम कई बार वर्ल्ड चैंपियनशिप जीत चुकी है कद सिर्फ 5 फुट 2 इंच है। सुपरस्टार नवाजुद्दीन सिद्दीकी सांवले रंग का एक साधारण सा दिखने वाला इंसान है और न जाने कितने उदाहरण दिए जा सकते हैं।
इसलिए लाइफ में अपना एटीट्यूड हमेशा पॉजिटिव रखिए वही आपको सफल बनाएगा। आपके पास जो है उसकी कद्र करो, ना कि अपनी परेशानियों का ही रोना रोते रहो।
तोते की कहानी
(Motivational Story in Hindi for Success)
आज की हमारी कहानी शुरू होती है एक जंगल से जहां पर एक साधु अपना आश्रम बनाकर शांति से रहते थे। उस साधु के आश्रम में जंगल के कई पक्षी इधर-उधर उड़ते रहते थे। साधु का स्वभाव बहुत ही दयालु था इसलिए वह उन पक्षियों को खाने के लिए दाना भी डाल दिया करते थे। उन साधु को सबसे ज्यादा लगाव तोतों के एक झुंड से था। जो अक्सर ही आश्रम में दाना चुगने आते। उन तोतों से लगाव होने का एक कारण यह भी था कि वह सुंदर तोते इंसानों की तरह बोलते भी थे। वे साधु महाराज जो भी उन तोतों को सिखाते वह बोलना सीख जाते थे।
साधु ने उन तोतों को कई अच्छी-अच्छी बातें बोलना सिखाई और वह तोते भी जल्दी ही साधु महाराज की बातें सीख भी जाते थे। एक दिन साधु महाराज को खबर मिली कि जंगल में पक्षी पकड़ने वाला एक शिकारी आ गया है। जो जंगल से पक्षियों को पकड़ पकड़ कर बाजार में बेच देता है और वह खास तौर पर तोता पकड़ने के लिए ही इस जंगल में आया है। साधु महाराज को जब इस बात का पता चला तो वह बहुत ही चिंता में पड़ गए। उन्हें इस बात की चिंता सताने लगी कि कहीं वह शिकारी उनके प्यारे तोतों को पकड़ कर ना ले जाए।
साधु महाराज ने एक उपाय ढूंढ ही लिया। उन्होंने सोचा कि मेरे तोता जो इतने समझदार हैं उनको मैं जो भी सिखाता हूं वह जल्दी ही सीख जाते हैं। आज से मैं एक बात बोलना और सिखा दूंगा।अब वह अपने तोतों को सिखाने लगे की शिकारी आएगा, जल बिछाएगा, हमें फसाएगा, हम फसेंगे नहीं। वह साधु महाराज ने कई दिनों तक तोतों को यही बात सीखनी शुरू कर दी। तोता भी बोलने में एक्सपर्ट थे तो जल्दी ही उन्होंने यह भी सीख लिया और वह बोलने लगे की शिकारी आएगा, जल बिछाएगा, हमें फसाएगा लेकिन हम फसेंगे नहीं।
अब वह साधु बेफिक्र हो गए कि मेरे तोतों को तो अब यह पाठ अच्छी तरह याद हो गया है। अब वह पक्का ही शिकारी के जाल में नहीं फसेंगे। कुछ दिन बीतने के बाद वह शिकारी जंगल में पहुंच गया। शिकारी ने साधु महाराज के आश्रम के पास ही अपना जाल बिछा दिया। जाल बिछाकर उसने पक्षियों के खाने के लिए कुछ दाने भी वहां पर फैला दिए। जिससे कि वह पक्षी दाना खाने के लिए आए और शिकारी के जाल फँस जाए।
अब वह शिकारी वही छिपकर अपने शिकार का इंतजार करने लगा। तभी उसकी नजर तोतों के झुंड पर पड़ी जो साधु के आश्रम में घूमते रहते थे। तोतों का वह झुंड उसी तरफ को आ रहा था, लेकिन जब तोतों का वह झुंड और नजदीक आया तो शिकारी हैरान रह गया और कुछ दुखी भी हुआ।
क्योंकि उसने सुन लिया तोता बोल रहे हैं की शिकारी आएगा, जाल बिछाएगा, हमें फसाएगा, लेकिन हम फसेंगे नहीं। शिकारी मन ही मन सोचने लगा कि यह तोता तो कितने समझदार हैं। इन्हें पहले से ही पता है कि शिकारी आएगा और जाल बिछाएगा और इन्होंने उसमें नहीं फसना है।
खैर शिकारी यह सब सोच ही रहा था तभी उसने देखा कि एक तोते की नजर जाल पर पड़ी और वह उन दोनों को खाने के लिए जाल की तरफ लपक पड़ा। बाकि तोता भी पीछे-पीछे जाल में बचे हुए दाने खाने के लिए आ गए। वह साथ ही साथ बोलते भी जा रहे थे की शिकारी आएगा, जाल बिछाएगा, हमें फसाएगा लेकिन हम फसेंगे नहीं। अब सारे तोता शिकारी के जाल में फंस चुके थे।
शिकारी यह देखकर बहुत ही हैरान हो गया कि तोते बोल तो रहे हैं कि नहीं फसेंगे लेकिन फँसते भी जा रहे हैं। कुछ ही मिनट में शिकारी की समझ में आ गया कि इसका कारण क्या है और कारण यह था कि वह तोते सिर्फ रट्टू तोता थे। जो बातों को बोलना तो सीख लेते थे और उन्हें अच्छी तरह से रट लेते थे। लेकिन उन बातों को कैसे अपनी लाइफ मे इस्तेमाल करना है। यह उन्हें नहीं आता था। शिकारी उन तोतों को पकड़ता है और जंगल से चला जाता है।
दोस्तों आज की दुनिया में भी ऐसे इंसान भरे पड़े हैं। जो इन रट्टू तोतों की तरह ही है वह सब कुछ देखते हैं, समझते हैं, उन्हें सही गलत की समझ भी है और उनके पास ज्ञान भी पूरी है। लेकिन जब उस ज्ञान का प्रयोग करने का टाइम आता है। तो वह फेल हो जाते हैं। सुबह-सुबह व्हाट्सएप पर आने वाले गुड मॉर्निंग मैसेज में लोग इतने अच्छे विचार एक दूसरे से शेयर करते हैं। लेकिन असल जिंदगी में कोई भी उन्हें प्रयोग नहीं करता।
शराब की बोतल, सिगरेट के पैकेट, तंबाकू इन सब पर लिखा रहता है कि यह चीज सेहत के लिए हानिकारक है। लेकिन फिर भी इनका इस्तेमाल करने वाले यह सब जानते हैं और उन्हें पैकेट पर लिखी हुई चेतावनी भी समझ में आती है। लेकिन वह इसको अपनी लाइफ में इंप्लीमेंट नहीं करते। इसलिए अपनी लाइफ में एक समझदार इंसान बनिए, ना कि एक रट्टू तोता।
आज की ये Motivational Story in Hindi for Success आपको जरूर पसंद आएगी। अगर आपको ये कहानी अच्छी लगी तो आप कॉमेंट कर के बता सकते है। हम ऐसे ही मजेदार कहानियाँ आप तक पहुँचाते रहेंगे।
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