Sad Story in Hindi for Life

नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से एक नए पोस्ट Sad Story in Hindi for Life के साथ हाजिर है। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको पसंद आयेगी और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।

एक शिष्य की कहानी

Sad Story in Hindi for Life

Sad Story in Hindi for Life
Sad Story in Hindi for Life

एक प्राथमिक स्कूल में अंजली नाम की एक टीचर थी। वह कक्षा 5 की क्लास टीचर थी। उसकी एक आदत थी कि वह कक्षा में आते ही हमेशा लव यू बोला करती थी। मगर वह जानती थी कि वह सच नहीं बोल रही है। वह कक्षा के सभी बच्चों से एक जैसा प्यार नहीं करती थी। कक्षा में एक ऐसा बच्चा था जो उनको फटी आंख भी नहीं भाता था उसका नाम राजू था। वह मैली कुचली स्थिति में स्कूल आया जाया करता था। उसके बाल खराब होते थे, जूते के लेस खुले होते थे, शर्ट के कलर पर मैल के निशान होता था। पढ़ाई के दौरान भी उसका ध्यान कहीं और ही होता था।

मैडम के डाँटो पर वह चौक कर उन्हें देखता। मगर उसकी खाली-खाली नजरों से साफ पता लगता रहता कि राजू शारीरिक रूप से कक्षा में उपस्थित होने के बावजूद भी मानसिक रूप से गायब है। धीरे-धीरे मैडम को राजू से नफरत सी होने लगी। क्लास में घुसते ही राजू मैडम की आलोचना का निशाना बनने लगता। सब बुराई के उदाहरण राजू के नाम पर किए जाते। बच्चे उस पर खिल खिलाकर हँसते और मैडम उसको अपमानित करके संतोष प्राप्त करती।

राजू ने हालांकि किसी बात का कभी कोई जवाब नहीं देता था। मैडम को वह एक बेजान पत्थर की तरह लगता जिसके अंदर आत्मा नाम की कोई चीज नहीं थी। प्रत्येक डाँट और सजा के बावजूद वह बस अपनी भावनाओं से खाली नजरों से उन्हें देखा करता और सर झुका लेता। मैडम को अब उससे गंभीर नफरत हो चुकी थी।

पहला सेमेस्टर समाप्त हुआ और प्रोग्रेस रिपोर्ट बनाने का चरण आया तो मैडम ने राजू की प्रगति रिपोर्ट में यह सब बुरी बातें लिख डाली। प्रगति रिपोर्ट माता-पिता को दिखाने से पहले हेड मास्टर के पास जाया करती थी। उन्होंने जब राजू की प्रोग्रेस रिपोर्ट देखी तो मैडम को बुला लिया और बोला – मैडम प्रकृति रिपोर्ट में कुछ तो राजू की प्रगति भी लिखनी चाहिए आपने तो जो कुछ लिखा है इससे राजू के पिता बिल्कुल निराश हो जाएंगे।

मैडम ने कहा मैं माफी मांगती हूं लेकिन राजू एक बिल्कुल ही अशिष्ट और निकम्मा बच्चा है। मुझे नहीं लगता कि मैं उसकी प्रगति के बारे में कुछ लिख सकती हूं। मैडम घृणित लहजे में बोलकर वहां से उठकर चली गई और फिर स्कूल की छुट्टी हो गई।

अगले दिन हेड मास्टर ने विचार किया और उन्होंने चपरासी के हाथ मैडम की डेस्क पर राजू की पिछले वर्षों की प्रगति रिपोर्ट रखवा दी। अगले दिन मैडम ने कक्षा में प्रवेश किया तो रिपोर्ट पर नजर पड़ी। जब उन्होंने पलट कर देखा तो पता लगा कि यह राजू की प्रगति रिपोर्ट है। मैडम ने सोचा कि पिछली कक्षा में भी राजू ने निश्चय यही गुल खिलाए होंगे और फिर उन्होंने कक्षा तीन की रिपोर्ट खोली।

रिपोर्ट पढ़कर उनके आश्चर्य की कोई सीमा नहीं रही। जब उन्होंने देखा की रिपोर्ट उसकी तारीफों से भरी पड़ी है। उसमें लिखा था राजू जैसा बुद्धिमान बच्चा मैंने आज तक नहीं देखा। बेहद संवेदनशील बच्चा है और अपने मित्रों, शिक्षक से बेहद लगाव रखता है। अंतिम सेमेस्टर में भी राजू ने प्रथम स्थान प्राप्त किया था।

इसके बाद मैडम ने कक्षा चार की रिपोर्ट खोली। इसमें लिखा था राजू अपनी मां की बीमारी से बहुत तनाव में है। उसका ध्यान पढ़ाई से हट रहा है। राजू की मां को अंतिम चरण का कैंसर हुआ है। घर पर उसका कोई और ध्यान रखने वाला नहीं है जिसका गहरा प्रभाव उसकी पढ़ाई पर पड़ा है। नीचे हेड मास्टर ने लिखा कि राजू की मां मर चुकी है और इसके साथ ही राजू के जीवन की चमक और रौनक भी। उसे बचाना होगा इससे पहले की बहुत देर हो जाए।

यह पढ़कर मैडम के आँखों मे आँसू आ गया। कांपते हाथों से उन्होंने प्रगति रिपोर्ट बंद की। मैडम की आंखों से आंसू एक के बाद एक गिरने लगे। मैडम ने साड़ी से अपने आंसू पोंछे। अगले दिन जब मैडम कक्षा में दाखिल हुई तो उन्होंने अपनी आदत के अनुसार अपना पारंपरिक वाक्यांश आई लव यू ऑल दोहराया।

मगर वह जानती थी कि वह आज भी झूठ बोल रही है क्योंकि इसी क्लास में बैठे एक उलझे बालों वाले बच्चे राजू के लिए जो प्यार वह है आज अपने दिल में महसूस कर रही थी वह कक्षा में बैठे और किसी भी बच्चे से अधिक था। पढ़ाई के दौरान उन्होंने रोजाना दिनचर्या की तरह एक सवाल राजू पर दागा और हमेशा की तरह राजू ने सर झुका लिया। जब कुछ देर तक मैडम से डांट फटकार और बाकी स्टूडेंट के हंसी की आवाज उसके कानों में नहीं पड़ी तो उसने आश्चर्य में सिर उठाकर मैडम की ओर देखा। आज उनके माथे पर आज गुस्सा नहीं था, वह मुस्कुरा रही थी।

उन्होंने राजू को अपने पास बुलाया और उसे सवाल का जवाब बता कर जबरन दोहराने के लिए कहा। राजू तीन-चार बार के आग्रह के बाद अंतत बोल ही पड़ा। इसका जवाब देते ही मैडम ने न सिर्फ खुद को खड़ा होकर तालियां बजाई बल्कि सभी बच्चों से भी बजवाई। फिर तो यह दिनचर्या बन गई मैडम हर सवाल का जवाब अपने आप बताती और फिर उसकी खूब सराहना और तारीफ करती। प्रत्येक अच्छा उदाहरण राजू के कारण दिया जाने लगा।

धीरे-धीरे पुराना राजू सन्नाटे की कब्र फाड़कर बाहर आ गया। अब मैडम को सवाल के साथ जवाब बताने की जरूरत नहीं पड़ती। वह रोज सही उत्तर देकर सभी को प्रभावित करता और नए-नए सवाल पूछ कर सबको हैरान भी करता। उसके बाल कुछ हद तक सुधरे हुए होते, कपड़े भी काफी हद तक साफ होते. जिन्हें शायद वह खुद धोने लगा था। देखते ही देखते साल समाप्त हो गया और राजू ने दूसरा स्थान हासिल कर पांचवी कक्षा पास कर ली। यानी अब वह दूसरी जगह स्कूल में दाखिल होने के लिए तैयार था। कक्षा पांचवी के विदाई समारोह में सभी बच्चे मैडम के लिए सुंदर उपहार लेकर आए और मैडम की टेबल पर ढेर लग गया।

इन खूबसूरती से पैक हुए उपहार में एक पुराने अखबार में पत्थर से लेकर से पैक हुआ एक उपहार भी पड़ा था। बच्चे उसे देखकर हंस रहे थे। किसी को जानने में देर नहीं लगी कि यह उपहार राजू लाया होगा। मैडम ने उपहार के छोटे से पहाड़ में से लपक कर राजू वाले उपहार को निकाला। जब मैडम ने खोल कर देखा तो उसके अंदर एक महिलाओं द्वारा इस्तेमाल करने वाली इत्र की आधी इस्तेमाल की हुई सीसी और हाथ में पहनने वाला एक बड़ा सा कंगन था। उसके ज्यादातर मोती झड़ चुके थे। मैडम ने चुपचाप इत्र को खुद पर छिड़का और हाथ में कंगन पहन लिया।

यह दृश्य देखकर सब बच्चे हैरान रह गए। राजू से रहा नहीं गया और मिस के पास आकर खड़ा हो गया। कुछ देर बाद उसने अटक-अटक कर मैडम को बोला – आज आप में से मेरी मां जैसी खुशबू आ रही है। इतना सुनकर मैडम की आंखों में आंसू आ गए और मैडम ने राजू को अपने गले से लगा लिया। राजू अब दूसरी स्कूल में जाने वाला था। राजू ने दूसरी जगह स्कूल में दाखिला ले लिया था।

समय बीतने लगा दिन, सप्ताह, महीने और महीने साल में बदलते भला कहां देर लगती है। मगर हर साल के अंत में मैडम को राजू से एक पत्र नियमित रूप से प्राप्त होता। जिसमें लिखा होता इस साल मैं कई नए टीचर से मिला। मगर मैडम आप जैसा कोई नहीं था। फिर राजू की पढ़ाई समाप्त हो गई और पत्रों का सिलसिला भी समाप्त हो गया।

कई साल आगे गुजरे और मैडम रिटायर हो गई। एक दिन मैडम के घर अपनी मेल में राजू का एक पत्र मिला। जिसमें लिखा था – इस महीने के अंत में मेरी शादी है और आपके बिना शादी की बात मैं नहीं सोच सकता। एक और बात मैं जीवन में बहुत सारे लोगों से मिल चुका हूं मगर आप जैसा कोई नहीं है आपका डॉक्टर राजू। पत्र के साथ ही प्लेन का आने जाने का टिकट भी उसमें अटैच था। मैडम खुद को हरगिज नहीं रोक सकी। उन्होंने अपने पति से अनुमति ली और वह राजू के शहर के लिए रवाना हो गई। शादी के दिन जब वह शादी की जगह पहुंची तो थोड़ी लेट हो चुकी थी।

उन्हें लगा समारोह समाप्त हो चुका होगा। मगर यह देखकर उनके आश्चर्य की सीमा नहीं रही की शहर के बड़े डॉक्टर बिजनेसमैन और यहां तक की वहां पर शादी करने वाले पंडित जी भी थक गए थे कि आखिर कौन आना बाकी है? मगर राजू शादी के मंडप के बजाय गेट की तरफ टकाटक लगाए उनके आने का इंतजार कर रहा था। फिर सामने देखा कि जैसे ही एक बूढी औरत ने गेट से प्रवेश किया।

राजू उनकी ओर लपका और उनका वह हाथ पकड़ा जिसमें उन्होंने अब तक वह कड़ा पहना हुआ था। राजू उन्हें सीधा स्टेज पर ले गया और राजू ने माइक हाथ में पकड़कर कुछ यूँ बोला – दोस्तों आप सभी हमेशा मुझसे मेरी मां के बारे में पूछा करते थे और मैं आप सब से वादा किया करता था कि जल्द ही आप सबको उनसे मिलाऊंगा। ध्यान से देखो यह मेरी प्यारी मैम दुनिया की सबसे अच्छी है मां, यह मेरी मां है।

दोस्तों इस सुंदर सी कहानी को सिर्फ शिक्षक और शिष्य के रिश्ते के कारण ही मत पढ़िएगा। अपने आसपास देखें राजू जैसे कई फूल मुरझा रहे हैं जिन्हें आपका जरा सा ध्यान और प्यार नया जीवन दे सकता है।

दोस्तो, आज की ये पोस्ट Sad Story in Hindi for Life आपको कैसी लगी ये आप हमें कॉमेंट करके बता सकते है। ऐसे ही मजेदार कहानियां आपके लिए आगे भी लेकर आते रहेंगे।

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