Long Story in Hindi

नमस्कार दोस्तों, आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट Long Story in Hindi के साथ। आज की ये कहानी एक राजा की है। हम उम्मीद करते है की आप इस कहानी को पसंद करेंगे और अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करेंगे।

अनहोनी

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राजा मंगल सेन नाम का राजा पृथ्वीपुर राज्य पर राज करता था। मंगल सेन को अपने बगीचों में घूमने का बड़ा ही शौक था। उसे जब भी समय मिलता वह अपने बाग बगीचों की सैर करने को निकल जाता। प्रकृति के बीच में समय गुजारना उसे बड़ा ही अच्छा लगता था। एक दिन वह जब अपने शानदार बगीचे की सैर कर रहा था तो उसने देखा कि एक बारहसिंघा उसके बगीचों में घुस आया है और वह इधर-उधर दौड़कर बगीचे में लगे हुए फूल पौधों को तहस-नहस कर रहा था। राजा को अपने बगीचे के पौधे और फूलों से बहुत ही लगाव था।

यह दृश्य देखकर राजा आग बबूला हो गया। राजा मंगलसेन ने तुरंत अपने सैनिकों को आवाज़ लगाई कि वह बारहसिंगा को पकड़े और राजा खुद भी बारहसिंगा का पीछा करते हुए दौड़ने लगा। बारहसिंगा बगीचे से बाहर आ गया और राजा ने भी उसके पीछे अपना घोड़ा दौड़ा दिया। मंगल सेन बारहसिंगा का पीछा करते-करते अपने राज्य की अंतिम सीमा तक आ गया परंतु वह बारहसिंगा को ना पकड़ सका। उछलता कूदता बारहसिंगा उसकी आंखों से ओझल हो गया।

अब राजा मंगल सेन थक चुका था उसकी वहां से आगे जाने की इच्छा नहीं हुई। तो वह वहीं पर रुक गया मौसम बहुत ही गरम था और राजा को प्यास भी लगने लगी। उसने नहाने की सोची जब वह नहा रहा था तो एक चोर उसका घोड़ा और कपड़े लेकर भाग गया। चोर अपने पुराने कपड़े वहीं पर फेंक गया। राजा के लिए अब बहुत ही खराब हालत हो गई थी। अब वह क्या करता कि अपने महल में वह वापस कैसे लौटे?

क्योंकि बिना घोड़े और बिना कपड़ों के लोग उसकी हंसी उड़ाएंगे। राजा ने वहां पर पड़े हुए चोर के पुराने कपड़े पहन लिए और अपने पड़ोसी राज्य को घूमने के विचार से राज्य की सीमा को पार करके दूसरे राज्य में चला गया। बहुत दूर तक राजा मंगल सेन चोर के कपड़ों में घूमता रहा। तभी उसकी नजर झाड़ियां में चमकती हुई एक वस्तु पर पड़ी। राजा ने तुरंत वह वस्तु उठा ली यह वस्तु चमकता हुआ एक मोतियों का हार था।

वह भी बहुत ही कीमती मोतियों का हार राजा सोचने लगा भगवान का लाख-लाख धन्यवाद। जो यह मोतियों का हार मुझे मिल गया। अब मैं अपने लिए नए कपड़े और एक घोड़ा खरीद सकता हूं। चलो चलकर इसे बाजार में बेचने की कोशिश करता हूं। चलते-चलते वह पड़ोसी राज्य के बाजार में जा पहुंचा। वहां वह एक सुनार के पास गया और कहने लगा – सेठ जी क्या तुम मुझसे एक मोतियों का हार खरीदोगे। मेरे पास बेचने के लिए एक कीमती हार है। मैं एक नदी पार कर रहा था तो मुझे वहां पर यह हार मिला। सुनार बोला दिखाओ तो कैसा कीमती हार है?

राजा मंगल सेन ने वह हार सुनार को दिखाया। हार को देखते ही सुनार चिल्ला पड़ा अरे चोर इसको तुमने कहां से चुराया? मैंने ऐसे ही दो हार राजा साहब के लिए बनवाए थे। उसमें से एक पता नहीं कहां चला गया। जरूर तुमने ही यह चुराया होगा। चलो इसी समय राजा के दरबार में। मंगल सेन बोल – नहीं सेठ जी ऐसी बातें मत करो मैं चोर नहीं हूं। मुझे तो यह हार पड़ा हुआ मिला था।

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परंतु सेठ ने उसकी एक न सुनी और तुरंत अपना नौकर भेज कर कोतवाल को बुला भेजा। मंगल सेन ने कोतवाल के सामने भी अपनी बेगुनाही की बात कही। मगर उसे पकड़कर महाराज के सामने हाजिर कर दिया गया। जब मंगल सेन को महाराज के दरबार में लाया गया तो सुनार ने महाराज के सामने अपनी शिकायत रखी और मंगल सेन को चोर बताया। राजा ने मंगल सेन का पक्ष सुने बिना ही कहा क्योंकि यह सुनार हमारे राज्य का एक सम्मानित व्यापारी है तो इसकी बात एकदम सच्ची मानी जाएगी।

जबकि यह आदमी हमें कोई घुसपैठिया मालूम पड़ता है इसीलिए इसे चोरी के अपराध में कारागार में डाल दिया जाए और ठीक 3 दिन के बाद इसके हाथ काट दिए जाएंगे। यही हमारे राज्य का कानून है। फैसला सुनकर मंगलसेन घबरा गया और दया की भीख मांगने लगा। परंतु किसी ने उसकी एक न सुनी और उसे कारागार में डाल दिया गया। इस राज्य का राजा जितना अन्यायी था उसकी रानी उतनी ही दयालु थी। जब रानी को यह सारी बात मालूम हुई तो उसने राजा से कहा महाराज आप इतना बेरहम हुकुम कैसे दे सकते हैं?

जबकि इस मामले में कोई गवाह भी पेश नहीं किया गया और ना ही आपने उसे अपराधी को अपना पक्ष रखने दिया। यह सुनार तो होते ही बदमाश है आप तो जानते ही हैं कि यह पैसे के लिए कितना झूठ बोलते हैं और धोखा देते हैं। सच कहिए तो मुझे उसे आदमी की बात पर पूरा विश्वास है। राजा ने उसे डांटते हुए कहा जुबान संभाल कर बात करो। तुम्हें राजकाज के मामलों में दखल देने का कोई हक नहीं है।

रानी बोली मैं चुप नहीं रहूंगी कुछ दिनों से मैं दरबार में आपका खराब व्यवहार देख रही हूं। आपके सलाहकार और मंत्री आपसे ना खुश हैं और आपकी जनता आपसे विद्रोह करने को तैयार हैं। अगर आप इसी रास्ते पर चलते रहे तो सारा राज्य बर्बाद हो जाएगा। रानी की बातें सुनकर महाराज का गुस्सा और भी भड़क गया मानो आग में घी डाल दिया गया हो। उसने कहा ठीक है तुम्हें अगर उस आदमी से इतनी हमदर्दी है तो मैं तुम्हें उसी के पास पहुंचा देता हूं।

राजा ने सैनिकों को आदेश दिया की रानी को भी उसी चोर के साथ कैदखाने में डाल दिया जाए। सैनिक यह सुनकर चौंक पड़े। वह चाहते तो नहीं थे परंतु राजा के हुक्म का पालन करना उनकी मजबूरी थी। सैनिकों ने रानी को मंगल सेन के साथ उसी कारागार में डाल दिया। मंगल सेन ने जब रानी को अपने कारागार में देखा तो आश्चर्यचकित रह गया। रानी ने उसे पूरी बात बताई अब मंगल सेन और रानी दोनों को ही एक दूसरे से हमदर्दी हो गई थी। वह रात दोनों ने जागकर बिताई।

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कारागार के कुछ सैनिक रानी के वफादार थे। जबकि वह महाराज से नाखुश थे। अगली रात रानी अपने वफादार सैनिकों की मदद से मंगल सेन को साथ लेकर कारागार से फरार हो गई। दोनों भाग कर राज्य से दूर एक जंगल में जा पहुंचे और झोपड़ी बनाकर वहां रहने लगे। मंगल सेन को कारागार में बहुत ही यातनाएं दी गई थी।

जिसकी वजह से वह अस्वस्थ रहने लगा था। रानी ने उसकी बहुत ही सेवा की जब तक की मंगल सेन ठीक नहीं हो गया। जल्दी ही रानी मंगल सेन को पसंद करने लगी मंगल सेन भी रानी के प्यार का बदला प्यार से ही दिया और दोनों ने विवाह कर लिया। मंगल सेन जंगल से लकड़िया काटकर बेचने लगा। जिससे कि वह अपना जीवन निर्वाह करने लगे थे। कुछ महीनो बाद मंगल सेन की पत्नी ने एक सुंदर बालक को जन्म दिया।

एक दिन की बात है जब मंगल सेन की पत्नी जंगल में कुछ फल तोड़ने गई हुई थी तो उसका पति और बच्चा सोए हुए थे। अपने बच्चों को वह मंगल सेन के निगरानी में छोड़ गई थी। घुटनों के बल चलते-चलते बच्चा नजदीक के ही एक कुएं के पास जा पहुंचा और कुएं में गिर गया। जब मंगल सेन की आंख खुली तो बच्चे को वहां न पाकर वह बहुत ही दुख हुआ।

वह तो बिल्कुल पागल सा ही हो गया था और चिल्ला चिल्ला कर रोने लगा। कहने लगा लगता है कि मेरे बच्चे को किसी जंगली जानवर ने खा लिया है। अब मैं क्या करूं? इसकी मां को मैं क्या मुंह दिखाऊंगा शाम के समय जब उसकी पत्नी जंगल से लौटी तो यह जानकर वह भी दुखी हुई कि उसका बच्चा वहां पर नहीं था। पर वह एक बहुत ही बहादुर और समझदार स्त्री थी इसीलिए उसने खुद भी धीरज रखा और अपने पति को भी समझाया कि हमारी किस्मत में ऐसा ही लिखा हुआ था आप दुख मत कीजिए।

रात के समय मंगल सेन सो नहीं सका वह अपने बच्चे के बारे में ही सोचता रहा और उसी को याद करता रहा। यह उसके लिए अच्छा ही हुआ कि वह सो ना पाया। क्योंकि रात के तीसरे पहर दो पक्षी उनके दरवाजे पर लगे हुए एक पेड़ पर आकर बैठ गए और आपस में बातें करने लगे। एक पक्षी ने कहा दोस्त देखो दुनिया में कितनी मुश्किलें हैं। जरा देखो इस आदमी के साथ क्या हुआ? इसको अपना देश छोड़ना पड़ा और बेचारा दूसरे देश में भिखारी की तरह रह रहा है। जहां उसकी बड़े अन्यायपूर्ण ढंग से सजा दी गई और अब यह अपने सुंदर से बेटे के दुख में परेशान भी है।

इसका बेटा कल दोपहर से ही इस कुएं में गिर गया था। दूसरा पक्षी बोला इन बेचारे लोगों को क्या-क्या परेशानियां उठानी पड़ी। क्या इनके लिए कुछ किया नहीं जा सकता। हां किया जा सकता है अगर मंगल सेन इस कुएं में कूद जाए तो वह आसानी से अपने बच्चों को बचा सकता हूँ । क्योंकि वह बच्चा अभी भी कुएं में जिंदा है राजा मंगल सेन ने उन दोनों पक्षियों की बातें सुनी तो उसे सुनकर बड़ा ही आश्चर्य हुआ और खुशी भी हुई।

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जैसे ही सुबह हुई उसने अपनी पत्नी को जगाया और उसे रात वाली बात बताई और उसकी सलाह मांगी रानी बोली – आप पक्षियों की बात मानकर कुएं में कूद जाइए राजा इस समय कुएं में कूद गया और उसने अपने बच्चों की जान बचा ली। इस घटना के कुछ दिनों बाद जब मंगल सेन और रानी सो रहे थे तो अचानक कुछआवाज सुनकर वे चौंक गए। बाहर देखा तो कुछ सैनिकों ने उन्हें घेर रखा था। वह भय के मारे कांपने लगे कि शत्रु राजा ने उन्हें फिर से पकड़ने के लिए सैनिक भेजे हैं।

परंतु तभी मंगल सेन का एक पुराना मंत्री उसके सामने आया और अपने राजा को प्रणाम करते हुए कहा – महाराज आखिर हमने आपको ढूंढ ही लिया। उसे देखकर मंगलसेन बहुत ही खुश हुआ। तब मंत्री ने बताया कि उसने अपने गुप्त चरों की सहायता से मंगल सेन को ढूंढने में सफलता पाया है। उसने यह भी बताया कि उसके राज्य की जनता बेसब्री से मंगल सेन का इंतजार कर रही है।

अब राजा अपनी पत्नी और बच्चे के साथ अपने राज्य वापस चला गया। मंगल सेन फिर से अपनी राजगद्दी पर बैठ गया और पहले की तरह ही राज करने लगा। गद्दी पर बैठते ही मंगल सेन सबसे पहले यह काम किया। उसने अपनी सेना को लेकर उस राजा के ऊपर चढ़ाई कर दी जिसने उसके साथ बुरा व्यवहार किया था। इस युद्ध में मंगल सेन जीत गया और वह दूसरा राजा हार गया।

शत्रु राजा मंगल सेन से दया की भीख मांगने लगा। शत्रु राजा ने बताया कि इन दुष्ट सुनार की वजह से उसने मंगल सेन के साथ ऐसा व्यवहार किया था। अब वह उसको जाते ही सजा देगा। शत्रु राजा को गिड़गिड़ाता हुआ देखकर मंगल सेन को उस पर दया आ गई। मंगल सेन ने उसे माफ कर दिया और उसे छोड़ दिया। उसके बाद सारे राज्य में शांति और खुशहाली फैल गई। मंगल सेन अब अपनी पत्नी और बच्चे के साथ एक खुशहाल जीवन बिताने लगा। सारी प्रजा अपने राजा के साथ-साथ नई रानी और उसके बच्चे को पाकर भी बहुत प्रसन्न थी।

आपको ये कहानी Long Story in Hindi कैसी लगी? ये आप हमे कॉमेंट करके बता सकते है। आगे भी हम ऐसे ही मजेदार कहानियाँ आपके लिए लेकर आते रहेंगे।

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