Knowledge Story in Hindi

नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से एक नए पोस्ट Knowledge Story in Hindi के साथ हाजिर है। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको पसंद आयेगी और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।

विश्वास की जीत 

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किसी राज्य के मुख्यमंत्री की मौत हो गई। राजा चाहता था कि उसके स्थान पर किसी योग्य व्यक्ति का चुनाव किया जाए। लेकिन राजा के लिए मुख्यमंत्री के पद के लिए बहुत से लोगों के नाम सामने आए। लेकिन राजा चाहता था कि वहां एक ऐसा व्यक्ति  बैठे जो सही मायने में इस पद की योग्यता रखता हो। उसने लोगों की कई तरह की परीक्षाएं ली आखिर में तीन लोगों को सैकड़ो लोगों में से चुन लिया गया।

अब समस्या यह थी कि उन तीनों के बीच कौन सी प्रतियोगिता रखी जाए जिससे किसी एक व्यक्ति का चुनाव हो सके। अंत में यह निश्चय किया गया कि उन तीनों को ही एक कमरे में बंद कर दिया जाए और दरवाजे पर एक ऐसा ताला लगा दिया जाए जिसे गणितीय फार्मूले की चाबी से ही खोला जा सकता हो। परीक्षा के लिए एक दिन तय किया गया तीनों प्रतियोगियों को बता दिया गया उन्हें परीक्षा के लिए कितने बजे आना है। 

उनमें से दो तो इस समय बाजार गए और गणित से जुड़ी बहुत सी किताबें खरीद कर ले आए। वह दीवानों की तरह उनकी पढ़ाई करने लगे ताकि उन्हें ताले की चाबी का गणितीय फार्मूला मिल सके। परीक्षा का दिन भी आ गया। उन तीनों को एक बड़े से कक्षा में ले जाया गया जिसका वैभव देखने लायक था। उन्हें वहां बहुत स्वादिष्ट भोजन परोसा गया। उन तीनों ने उस ताले को भी देखा जिसे दरवाजे पर लगाया जाना था। उन प्रतियोगियों में से दो तो अपने साथ कई तरह की किताबे लेकर आए। उन्हें लगता था शायद किताबों से ताला खोलने का कोई फार्मूला मिल जाए। तीसरा  प्रतियोगी मस्त था उसे मानो कोई चिंता ही नहीं थी। 

दोनों व्यक्तियों ने तीसरे व्यक्ति का मजाक उड़ाते हुए बोला तुम्हें लगता है कि तुम सब जानते हो। जब बाकी दोनों कमरों में घूमने के बाद ताले को उल्टा करने में लगे थे तीसरा वहां आराम से बैठकर अपने भोजन का स्वाद ले रहा था। रात को कमरे में ताला लगा दिया गया। उनमें से जो भी पहले उस कमरे से बाहर निकलता उसे ही मुख्यमंत्री बनाया जाना था। बाकी दो विद्वान अपनी किताबों में फार्मूला खोजते रहे और तीसरा मजे से बिस्तर पर जाते ही खर्राटे भरने लगा। वे दोनों तीसरे को देखकर हंसने लगे। 

उन्हें लगा यह व्यक्ति मंदबुद्धि का है जिसे कोई प्रतियोगिता की चिंता ही नहीं है। उसने परीक्षा आरंभ होने के बाद से किसी भी तरह का अध्ययन तक नहीं किया था। वे दोनों प्रतियोगी भी थक हार कर सो गए। जब वह उठे तो सूरज सर पर चढ़ा आया था। वहां तीसरा प्रतियोगी कहीं दिखाई ही नहीं दे रहा था। वे दरवाजे से बाहर आए तो उन्होंने राजा को बाग में खड़ा देखा। 

राजा बोल रहा था – सज्जनों मैंने अपना नया मुख्यमंत्री का चुनाव लिया है। आप सबके प्रयासों के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। उनके पीछे ही तीसरा प्रतियोगी खड़ा था। वह दोनों प्रतियोगी हैरानी से उसे ताकते ही रह गए। 

उन्होंने बाद में मुख्यमंत्री बने प्रतियोगी से पूछा – तुमने ताला कैसे खोला, यह कैसे संभव हुआ?

व्यक्ति ने उत्तर दिया – मैं तो बस दरवाजे के पास गया और हैंडल घुमा दिया। दरवाजा तो बंद ही नहीं था। मुझे लगा कि हल खोजने से पहले समस्या को तो जान लेना चाहिए। मुझे अपने परमात्मा पर भरोसा था कि वह मुझे मेरे बंद रास्ते भी खोल देगा। जहां पर विश्वास होता है वहां पर महात्मा खुद सारे बंद रास्ते भी खोल देता है।  

छोटी सोच

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एक औरत अपने परिवार के सदस्यों के लिए रोजाना भोजन पकाती थी। एक रोटी वहां से गुजरने वाले किसी भी भूखे के लिए पकाती थी। वह उस रोटी को खिड़की के सहारे रख दिया करती थी जिसे कोई भी ले सकता था एक कूबड़ व्यक्ति रोज उस रोटी को ले जाता और बिना धन्यवाद दके अपने रास्ते पर चलता रहता। वह कुछ इस तरह बड़बड़ाता – जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट आएगा। 

दिन गुजरते गए यह सिलसिला चलता रहा। वह कुबड़ा रोज रोटी ले जाता रहा और इन्हीं शब्दों को बड़बड़ाता रहता। जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और अच्छा करोगे वो तुम तक लौट कर आएगा। वह औरत उसकी इस हरकत से तंग आ गई। मन ही मैन खुद से कहने लगी कितना अजीब व्यक्ति है एक शब्द धन्यवाद का तो देता नहीं है और न जाने क्या क्या बड़बड़ाता रहता है मतलब क्या है इसका?

एक दिन क्रोधित होकर उसने एक निर्णय लिया और बोली मैं इस कुबड़े से निजात पाकर ही रहूंगी। उसने क्या किया उसे रोटी में जहर मिला दिया जो वह रोज उसके लिए बनाती थी और जैसे ही उसने रोटी को खिड़की पर रखने की कोशिश की अचानक उसके हाथ कांपने लगे और रुक गए। 

वह बोली हे भगवान! मैं यह क्या करने जा रही थी और उसने तुरंत उस रोटी को चूल्हे की आग में जला दिया। एक ताजा रोटी बनाई और खिड़की के सहारे रख दिए। हर रोज की तरह वह कुबड़ा  आया और रोटी को लेकर फिर वही बात दोहराने लगा। जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट कर आएगा। वह फिर बड़बड़ाता हुआ चला गया। 

इस बात से बिलकुल बेखबर कि उस महिला के दिमाग में क्या चल रहा था वह बड़बड़ाता हुआ व्यक्ति वहां से निकल गया। हर रोज जब वह महिला खिड़की पर रोटी रखती तो वह भगवान से अपने पुत्र की सलामती और अच्छी सेहत और घर वापसी के लिए प्रार्थना भी करती थी जो कि अपने सुंदर भविष्य के निर्माण के लिए कहीं बाहर गया हुआ था। महीनो से उसकी कोई खबर नहीं थी। 

शाम को उसके दरवाजे पर एक दस्तक होती है। जब वह दरवाजा खुलता है तो अपने बेटे को सामने खड़ा देख कर खुश हो जाती है। वह पतला और दुबला हो गया था। उसके कपड़े फटे हुए थे और वह भूखा भी था। भूख से वह कमजोर हो गया था। जैसे ही उसने अपनी मां को देखा उसने कहा मां यह एक चमत्कार है कि मैं यहां हूं।  जब मैं एक मील दूर था मैं इतना भूखा था कि मैं गिरकर मर गया होता लेकिन तभी एक को बूढ़ा वहां से गुजर रहा था। उसकी नजर मुझ पर पड़ी और उसने मुझे अपनी गोदी में उठा लिया। 

भूख के मारे मेरे प्राण निकल रहे थे। मैंने उससे खाने को कुछ मांगा तो उस इंसान ने अपनी रोटी मुझे यह कह कर दे दी मैं हर रोज यही खाता हूं लेकिन आज मुझसे ज्यादा जरूरत इसकी तुम्हें है सो यह ले लो। अपनी भूख  को तृप्त कर लो। 

जैसे ही मां ने उसकी बात सुनी मां का चेहरा खिल गया और अपने आप को संभालने के लिए उसने दरवाजे का सहारा लिया और दिमाग में बात घूमने लगी कि कैसे उसने सुबह रोटी में जहर मिलाया था। अगर उसने वह रोटी आग में जलकर नष्ट नहीं की होती तो उसका बेटा उस रोटी को खा लेता और उसकी मौत हो जाती। 

इसके बाद उसे उन शब्दों का मतलब बिल्कुल स्पष्ट हो चुका था। जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट कर आएगा। किसी ने सही कहा है जो व्यवहार आपको दूसरों से पसंद ना हो ऐसा व्यवहार आप दूसरों के साथ भी ना करें।

इलाज से परहेज भी जरूरी 

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एक बार एक राजा की तबीयत बहुत खराब हो गई। उन्हें बुरी तरह से जुकाम हो गया। राज वैद्य ने उन्हें आचार, खट्टी चटनी ,मसालेदार चीजों और  दही खाने से मना कर दिया।परंतु महाराज तो महाराज थे वह भला किसकी मानने वाले थे। उन्होंने वैद्य की परवाह किए बिना सब कुछ खाना जारी रखा। सभी वैद्य और दरबार के मंत्री महाराज की इस आदत से परेशान हो गए। वह सभी मिलकर सलाहकार के पास गए क्योंकि वह जानते थे केवल वही एक व्यक्ति हैं जो महाराज को समझा सकते हैं। वह सभी मिलकर तेनाली राम  के पास गए और इस समस्या का हल निकालने को कहा। महाराज की खासी बढ़ती ही जा रही थी। 

तेनाली राम ने इसका भी उपाय सोच लिया। वह अगले ही दिन में महाराज के पास गए और उन्हें एक दवा देते हुए बोले महाराज एक बहुत ही पहुंचे हुए हकीम ने ये दवा आपके लिए भेजी है। आप इसे खा लीजिए और इसके साथ आप जो चाहे खा सकते हैं। महाराज चौकते हुए बोले क्या कहा – मैं सब कुछ खा सकता हूं, आचार  खट्टी चटनी और दही भी खा सकता हूं? जी महाराज आप सब कुछ खा सकते हैं। 

एक सप्ताह बाद तेनाली राम महाराज  से मिलने गए उन्होंने महाराज से उनकी तबीयत के बारे में पूछा। महाराज ने जवाब दिया – मेरी तबीयत तो पहले से भी ज्यादा खराब है। मेरा जुकाम बिल्कुल भी ठीक नहीं हो रहा। खांसी की हालत भी ज्यों की त्यों है। गले में लगातार खराश बनी हुई है। 

तेनाली राम  ने जवाब दिया – महाराज आप वही दवाई जारी रखें। इसे खाने से आपको तीन फायदे होंगे। 

महाराज – क्या कहा तीन फायदे, वह कैसे? 

तेनाली राम –  एक राजमहल में कोई चोर नहीं आएगा, दूसरा आपको कोई कुत्ता नहीं तंग करेगा, तीसरा आपको बूढ़े होने का कोई डर नहीं रहेगा। महाराज – मैं कुछ समझा नहीं मेरे जुखाम से कुत्ते और बुढ़ापे का क्या संबंध है?  महाराज सोच में पड़ गए। 

तेनाली राम  ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया – देखिए महाराज यदि आप खट्टी चीज खाना जारी रखेंगे तो सारा दिन और सारी रात आप तो खसते रहेंगे। आपको खासने से कोई भी चोर  महल में घुसने की हिम्मत नहीं कर सकता। क्योंकि आप हमेशा जागते रहेंगे और चौकस बने रहेंगे। 

महाराज – अच्छा यह बताओ कुत्ते से इस बात का क्या संबंध है ?

तेनाली राम बोले – जब आप लगातार खासेंगे तो कमजोर हो जाएंगे, खड़े भी नहीं हो पाएंगे, तो आपके सहारे के लिए लाठी की जरूरत पड़ेगी। लाठी पास होने से कुत्ते डर कर आपसे दूर भागेंगे। 

महाराज ने पूछा – अब तीसरी बात यानि बुढ़ापे के बारे में क्या कहते हो?

तेनाली राम – अरे हां जब आप हमेशा यूं ही बीमार रहेंगे तो बूढ़ा होने की नौबत ही नहीं आएगी। आप जवानी में ही मर जाएंगे तो आपको तो बुढ़ापे का कोई डर ही नहीं रहेगा। 

तेनाली राम  ने महाराज के सामने सच्चाई की जो तस्वीर पेश की उसे देखकर वो डर गए। उन्होंने खट्टी चीज व दही खाना भी बंद कर दिया। कुछ ही दिन में वह पहले की तरह पूरी तरह स्वस्थ हो गए। 

अनोखी पहेली 

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एक गाँव मे ओमप्रकाश नाम का एक व्यक्ति रहता था। वह बड़ा ही धनी और जमीदार था। वह तेनाली राम का पक्का मित्र भी था। वह उमरुर नाम के गांव में रहता था ओमप्रकाश कुछ ही दिनों का मेहमान था। उसके तीन बेटे थे। एक दिन उसने अपने तीनों पुत्रों को अपने पास बुलाया और कहा मेरे मरने के बाद मेरे पलंग के नीचे से जमीन खोदकर देखना। तीनों पुत्रों ने ओमप्रकाश की मौत के बाद ऐसा ही किया उन्होंने पलंग के नीचे खुदाई करनी शुरू कर दी। 

खुदाई के दौरान उन्हें जमीन में दबे हुए तीन कटोरा मिला। जो एक के ऊपर एक करके रखे हुए थे। पहले कटोरे में मिटटी भरी हुई थी, दूसरे में सूखा हुआ गाय का गोबर था और तीसरे में टिके रखे हुए थे तीनों कटोरा के नीचे उन्हें 10 सोने की मुद्राएं भी रखी हुई मिली। तीनों पुत्रों ने उन्हें ध्यान से देखा और अपना दिमाग लगाया लेकिन उनकी समझ में कुछ भी ना आया। 

उन्होने सोचा – चलो तेनाली राम  चाचा जी के पास चलते हैं वह समझदार हैं और बुद्धिमान भी है वे हमें इन सब का सही मतलब बताएंगे और वो तेनाली राम के पास चले गए।  उन्होंने तेनाली से कहा – चाचा जी आप इस बारे में क्या कहते हैं ?क्या हमारे पिताजी ने इस बारे में कभी आपसे कोई बात की है। 

तेनाली रामा ने जवाब दिया – नहीं नहीं तुम्हारे पिता ने कभी भी इस बारे में मुझे कोई बात नहीं कि। मैं तुम्हारे पिता को कई सालों से जानता हूं.। वे शुरू से ही पहेलियां बुझाने की शौकीन रहे हैं। यहभी एक पहेली है मुझे सोचने के लिए थोड़ा समय दो। तीनों लड़के उनके पास ही बैठ गए और तेनाली कुछ सोचने लगे। 

थोड़ी देर बाद तेनाली राम – मुझे पता चल गया। आओ मैं तुम्हें बताता हूं की इस पहेली का क्या हाल है ? तेनाली राम  ने उत्तर दिया। लड़के उत्सुकता से आगे बड़े और बोल क्या हल है? चाचा जी जल्दी से बताइये । तेनाली ने जवाब दिया तीनों कटोरा को ध्यान से देखो। यह तीनों कटोरा तुम्हारे लिए ही है। 

सबसे ऊपर वाला कटोरा सबसे बड़ा है। जिसमें की मिटटी भरी हुई है। इसका मतलब है कि तुम्हारे पिता सारे खेत बड़े वाले पुत्र के हिस्से में आए हैं। दूसरा कटोरा जिसमें गाय का सूखा हुआ गोबर भरा हुआ है वह मंझीले पुत्र के लिए है इसका अर्थ है सारे पशु जानवर उसी के हिस्से में आए हैं। तीसरा कटोरा छोटे पुत्र के लिए है जिसमें तीन सिक्के रखे हुए हैं। इन तीनों को ध्यान से देखो यह सुनहरे रंग के हैं इसका अर्थ है कि छोटे पुत्र के हिस्से में सारा सोना आया है। 

बेटे ने पूछा – लेकिन चाचा जी पहेली  तो अभी भी पूरी नहीं हुई। यह 10 सोने के सिक्के यह किसके हिस्से में आए हैं?

तेनाली राम – अच्छा यह सोने के सिक्के यह मेरा मेहनताना है। तुम्हारे पिताजी कभी भी कोई चीज मुफ्त में नहीं लेते थे। वह 10 सोने की मुद्राएं मेरे मेहनताने के रूप में छोड़ गए हैं। तीनों पुत्रों को अपने पिता की पहेली का उत्तर मिल चुका था। उन्होंने वह सोने की मुद्राएं तेनाली रमन को दिए और वहां से विदा हो गए।

छेद वाला मटका

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चंदनपुर गाँव मे रवीश नाम का युवक रहता था। उसके पास पानी भरने के दो बड़े मटके थे। वह पास वाले झरने से उन मटकों में पानी भरकर लाता था। रविश मटको को एक डंडे के दोनों कोनों पर बांध  कर अपने कंधों पर रख लेता था। रविश के एक मटके में छोटा सा छेद था और दूसरा मटका पूरी तरह ठीक था। झरने से घरों तक के लंबे रास्ते के दौरान छेद वाले मटके से पानी गिरता रहता था। घर तक पहुंचने पर उसमें आधा मटका पानी ही बचता था। दूसरे मटके में भरपूर पानी रहता था। 

इस तरह 2 साल बीत गया। रवि हमेशा उन्ही दो मटको  में पानी भरकर लोगों के घर तक पहुंचाया करता था।  कुछ समय बाद बिना छेड़ वाले मटके को अपने कार्य के कारण घमंड हो गया। उसने अपने साथी मटके से बात करना बंद कर दिया। यह देखकर छेद वाले मटके को अपनी किस्मत पर रोना आ रहा था। वह अपने इस अधूरेपन पर बहुत शर्मिंदा हो रहा था। छेद वाला मटका दिनों दिन इस चिंता के कारण घुटता जा रहा था कि उसे यथासंभव जितना काम करना चाहिए वह उसका केवल आधा भाग ही कर पा रहा था। 

बिना छेद वाला मटका छेद वाले मटके को इस बात का ताना दिया करता था कि वह अपना काम ठीक से नहीं कर रहा था। ऐसे में छेद वाले मटके का मन दुखी रहने लगा। एक दिन छेद वाले मटके ने निश्चय किया कि वह इस विषय में रवीश से बात करेगा। जब रवीश छेद वाले मटके में पानी भर रहा था तो छेद वाले मटके ने कहा – मैं बहुत शर्मसार हूं आप पूरा पानी भर कर ले जाते हैं लेकिन घर तक पहुंचने पर  मेरे भीतर आधा पानी ही रह जाता है। आप मुझे फेक  कर पानी भरने के लिए नया मटका ले ले।

रवीश ने देखा कि छेद वाला मटका बहुत उदास है दुखी भी लग रहा है। रवीश ने उसे समझाते हुए कहा – तुम्हें ऐसा क्यों लगता है कि तुम अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हो ? तुम्हारा काम पानी रखने का है और तुम रोजाना पानी भरने में मेरी मदद करते हो। छेद वाला मटका बोला – लेकिन मैं उतना पानी नहीं रख पाता जितना एक सबूत मटके में आता है। आपको मुझे ढोने में पूरी मेहनत करनी पड़ती है जबकि पानी केवल आधा मिलता है। 

रवीश ने मुस्कुरा कर कहा – क्या तुमने कभी देखा की वापसी के रास्ते में तुम्हारी तरफ फूल खिले रहते हैं जबकि सबूत मटके की ओर एक भी फूल नहीं खिला होता। मुझे पहले ही तुम्हारी इस कमी का पता था। इसलिए मैंने तुम्हारे वापसी के रास्ते में फूलों के कुछ बीज बो दिए। जब हम वापस लौटते हैं तो तुम अनजाने में ही उन्हें सींचते  हुए आते हो। 

रवीश की बातें सुनकर छेद वाले मटके को बहुत हैरानी हुई.। वह उसे गौर से देखने लगा। रविश – मैं उन फूलों को घर ले जाकर उनसे  सजावट करता हूं। अगर तुम ना होते तो मुझे इतनी सुंदर फूल कभी भी ना मिलते।  सबूत मटका उन दोनों की बातें सुन रहा था। उसे एहसास हुआ कि वह अपनी उपलब्धियां पर घमंड करते हुए कितनी बड़ी गलती कर रहा था। प्रत्येक इंसान में कोई ना कोई गुण अवश्य छिपा होता है लेकिन उसे देखने के लिए हमें सचेत होना चाहिए। 

साहस की जीत 

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एक बार किसी छोटे शहर में एक की निःसंतान दंपति रहते थे। एक दिन वो लोग चर्च में प्रार्थना कर रहे थे तभी पत्नी ने चर्च की दीवारों पर रिश्तो की सुंदर तस्वीर देखी। उसने पति से कहा काश हमारा बच्चा भी ऐसा होता जिसके फरिश्तों की तरह सुनहरे बाल होते। शीघ्र ही उस निसंतान दंपति की इच्छा पूरी हो गई और उनके घर एक सुनहरे बालों वाले लड़के ने जन्म लिया। उन्होंने बड़े प्यार दुलार से उसका नाम मिर्जा रखा। 

मिर्जा धीरे-धीरे बड़ा होने लगा। मिर्जा के पिता ड्रम बजाकर सुंदर गीत गाते थे। मिर्जा बचपन से ही बहुत दयालु, खुश मिजाज और मदद करने वाला लड़का था। मिर्जा की आवाज बहुत ही अच्छी और माधुरी थी। वह भी अपने पिता की तरह ड्रम और नगाड़े बजाकर सुंदर गीत गाता था। सभी लोग उसके सुंदर गीत और व्यवहार के कारण उसे बहुत पसंद करते थे मिर्जा की मां चाहती थी कि वह चर्च में सबके साथ मिलकर गाना गए। वहीं दूसरी और उसके पिता चाहते थे कि मिर्जा  उनकी तरह ड्रम बजाने की बजाय कोई बड़ा काम करके नाम कमाए। 

मिर्जा ने कहा – मैं सैनिक बनना चाहता हूं। मैं वर्दी पहनकर अपने देश और जनता की सेवा करना चाहता हूं। एक दिन मिर्जा ने सुना कि उसके देश और पड़ोसी देश में लड़ाई होने वाली है। राजा चाहता है कि देश के सारे नौजवान सीन में भर्ती हो जाएं। यह सुनकर मिर्जा की खुशी का ठिकाना ना रहा। लड़ाई के मैदान में जीवन आसान नहीं है। सैनिकों को भोजन और पानी के बिना खुले आकाश के नीचे सोना पड़ता है। ऐसे में मिर्जा अपना नगाड़ा बजाकर नौजवान सैनिकों का मन बहलाना था। 

धीरे-धीरे जंग का आखिरी दिन आ पहुंचा। सूरज न निकलने से काफी सर्दी हो रही थी। सैकड़ो सैनिक मारे जा चुके थे और बहुत से सैनिक घायल हो गए थे। मिर्जा ने अपना नगाड़ा बजाते हुए जोर से कहा – साथियों हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। साथियों आगे बढ़ो और दुश्मन का सफाया कर दो। जब तक मिर्जा को टुकड़ी को वापस जाने का आदेश नहीं मिला तब तक वह नगाड़ा  पीट कर अपने साथियों को जोश दिलाता रहा। 

सभी सैनिक आगे बढ़ते रहे शीघ्र ही उसके साथियों ने दुश्मनों का सफाया कर दिया और उनकी जीत हुई। उस दिन मिर्जा सब का हीरो बन गया। सभी सैनिकों ने उसे अपना रक्षक माना और उसके साथ ताल से ताल मिलाकर जीत के गीत गाने लगे। मिर्जा जोर-जोर से नगाड़ा बजाने लगा। मिर्जा को उसकी टुकड़ी के नेता ने अपने पास बुलाया और कहा मिर्जा अगर तुम ना होते तो हम लड़ाई हार जाते और हमारे सैनिकों का मनोबल टूट जाता। तुमने अपने साहस के बल पर हम सब मे नया जोश भरा है। हमें तुम पर गर्व है। 

जब मिर्जा ने ये  सुना तो उसका सीना चौड़ा हो गया। उसे बहुत खुशी हुई कि उसका हुनर देश के काम आ सका। मिर्जा का यह कारनामा राजा तक भी पहुंचा और उसे वीरता पुरस्कार के रूप में मेडल प्रदान किया गया।  भरी सभा में उसका सम्मान हुआ और सब ने तालियां बजाई। 

कुछ दिनों के बाद मिर्जा गले में चांदी का मेडल पहनकर अपने शहर लौटा तो उसके माता-पिता ने उसे अपने गले लगा कर चूम लिया। उन्हें अपने बेटे के कार्यकाल पर बहुत गर्व था। वहां के सभी लोगों ने कहा किसने सोचा था कि मिर्जा अपने नगाड़े की सहायता से सैनिकों में इतना जोश भर देगा कि हम हारी हुई बाजी भी जीत जाएंगे। इस तरह मिर्जा के माता-पिता दोनों की इच्छा पूरी हो गई। मानो उनके घर में मिर्जा के रूप में एक फरिश्ते नहीं जन्म लिया था।

दोस्तो, आज की ये पोस्ट Knowledge Story in Hindi आपको कैसी लगी ये आप हमें कॉमेंट करके बता सकते है। ऐसे ही मजेदार कहानियां आपके लिए आगे भी लेकर आते रहेंगे। 

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