Islamic Story in Hindi

हमेशा की तरह आज फिर से एक नए पोस्ट Islamic Story in Hindi के साथ हाजिर है। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको जरूर पसंद आएगी और आप इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करेंगे।

गरीब की मक्का मदीना यात्रा

Islamic Story in Hindi
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अख्तर एक गाँव मे अपनी बेगम के साथ रहता था। अख्तर गरीबी से बहुत परेशान था। ना उसके पास खुद की जमीन थी, ना पैसा की रोजगार कर सके। दिन भर मजदूरी करके जो थोड़े बहुत 20-30 रुपए मिलते वह दो वक्त की रोटी के लिए ही निकाल पाते। अख्तर की पत्नी अल्लाह पर बहुत विश्वास करती थी। वह रोजाना अपनी पांच वक्त की नमाज पढ़ा करती थी।

एक दिन जब वह नमाज पढ़ कर खड़ी होती है। तब अख्तर बोलता है -अरे गुलशन तुम्हारी खुदा को मानने और पांच टाइम की नमाज पढ़ने का कोई फायदा नहीं है। यह अल्लाह भी बड़ा कठोर दिल वाला है। कोमल हृदय की आवाज नहीं सुनेगा मत किया कर इतना अल्लाह की इबादत। आज तकअल्लाह ने तेरी सुनी है जो अब सुनेगा। वही गरीबी में दिन काट रहे हैं और इतने सालों से औलाद का सुख नहीं मिला वह अलग दुख है हमारे भाग्य में।

गुलशन – मुझे विश्वास है अल्लाह हमारी जरूर सुनेंगे। मुझे अपनी इबादत और अल्लाह पर पूरा भरोसा है। अल्लाह एक दिन हमारी जरूर सुनेंगे। हमारे सारे दुखों को एक दिन जरूर दूर करेंगे। अल्लाह के घर देर हो सकती है अंधेर नहीं।

अख्तर – चल देखता हूं तेरे अल्लाह तेरे दिन रात नमाज पढ़ने और इबादत करने का कितना फल देते हैं। अभी मैं काम पर जा रहा हूं। देखता हूं कहीं मजदूरी का काम मिल जाए।

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गुलशन को अपने अल्लाह पर पूरा भरोसा था पर अख्तर का अल्लाह पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं कर पाता था। उसे लगता था कि गरीबी और निसंतांता दोनों ही दुख अल्लाह ने उसके भाग्य में क्यों लिखे हैं?

एक दिन गुलशन ने बोला – सुनो जी घर में कुछ भी खाने का नहीं रखा है। मैं क्या बनाऊं?
अख्तर – मैं भी क्या करूं गुलशन? आज मैं भी साहब के पास गया था लेकिन इस वक्त किसी के पास काम देने के लिए नहीं है।

गुलशन – खुदा पर भरोसा रखो वह जरूर हमें इस मुसीबत से निकालेंगे। यह थोड़े से चावल रखे थे पानी में उबले हैं। खा लो दिल छोटा मत करो कोई ना कोई काम मिल जाएगा। हो सकता है कल सुबह कोई काम मिल जाए।
अख्तर – बस कर गुलशन बस कर इतना भी अंधा विश्वास मत जगा अपने मन में अल्लाह के लिए। मुझे पता है वह हम गरीबों की नहीं सुनेगा।

गुलशन भी अख्तर की बात सुनकर परेशान हो जाती है। वह हमेशा अल्लाह का ध्यान करके सोती थी। रमजान के नेक दिन चल रहे होते हैं। गुलशन सारे रोजे किया करती थी और सच्चे मन से नमाज भी पढ़ा करती थी। एक दिन जब गुलशन सो रही होती है वह सपने में देखती है की खुदा बोल रहे होते है – उठो गुलशन! तुम मुझ पर बहुत विश्वास करती हो। तुम बहुत ही मन से रमजान और इबादत करती हो। मै तुम्हारी इबादत से बहुत खुश हूँ। अब तुम्हारी सारी चिंताए दूर होने वाली है।

गुलशन – हे खुदा! मुझे आप पर विश्वास था। आप मेरी विपदा जरूर दूर करेंगे। गुलशन सपने से उठती है और इधर-उधर देखने लगती है पर वहां कोई नहीं होता है। वह अल्लाह का ध्यान करती है और सपना की बात अख्तर को बताती है

गुलशन – सुनो! अल्लाह मेरे सपने में आए थे। उन्होंने कहा बहुत जल्दी हमारी सारी विपदाएं दूर हो जाएगी।

अख्तर – गुलशन वह सपना है और सपने कभी सच नहीं होते। पर कोई बात नहीं सपने में ही सही तुम्हें अपने अल्लाह के दीदार तो हुए। अच्छा मैं जा रहा हूं देखता हूं खान साहब के पास कोई काम मिल जाए।

अख्तर खान साहब के पास जाता है पर उसे वहां कोई काम नहीं मिलता है। अख्तर निराश होकर घर वापस आने लगता है और रास्ते में सोचता है कि आज तो उसके पास बिल्कुल भी पैसे नहीं है वह कैसे घर खर्च निकलेगा? चलते-चलते वह थोड़ी दूर ही पहुंचता है तभी उसे पीछे से एक आवाज आती है – अरे भैया! सुनो तो मैं तुम्हें ही बुला रहा हूं।

अख्तर – जी बोलिए क्या काम है?

बूढ़ा – जब तुम खान साहब के पास काम मांग रहे थे । मैं वहीं पर बैठा था और तुम्हारी बातें सुन रहा था। मैं तुम्हारे जैसे ही किसी व्यक्ति की तलाश में था। बेटा क्या तुम मेरे लिए काम करना चाहोगे? मैं तुम्हें अच्छे दाम दूंगा क्या नाम है तुम्हारा?

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अख्तर – हां मेरा नाम अख्तर है। मुझे अभी पैसों की बहुत जरूरत है। आपकी बड़ी मेहरबानी होगी अगर मुझे कोई काम मिल जाए तो बताइए ना मुझे क्या करना होगा?

बूढ़ा – मैं बहुत बूढ़ा हो चुका हूं। कुछ सालों से मेरी इच्छा थी कि मैं मक्का से जमजम का पानी लाऊं और यहां जरूरतमंद लोगों को मस्जिद में दूँ पर मेरी उम्र इतनी हो चुकी है कि मैं थोड़ा दूर भी चल कर थक जाता हूं। क्या तुम मेरे लिए मक्का की परिक्रमा कर सकते हो और वहां का पानी भरकर ला सकते हो? यदि हां तो मैं तुम्हें इस पूरे काम के लिए ₹100000 दूंगा।

बूढ़े व्यक्ति की बात सुनकर अख्तर को 2 मिनट के लिए विश्वास नहीं हुआ कि अचानक एक लाख रूपए कमाने का उसे मौका मिल गया। उसने सपने में भी ₹100000 कमाने का नहीं सोचा था। अख्तर ने बूढ़े व्यक्ति को एकदम हां कह दी। क्योंकि उसे पता था कि वह इस वक्त गरीबी और लाचारी में किस तरह दिन काट रहा था। उसके पास कोई काम नहीं था।

अख्तर बूढ़े व्यक्ति से बोला – ठीक है बाबा मैं आपका काम कर दूंगा। मैं मक्का से जमजम का पानी ले आऊंगा।

बाबा – ठीक है तुम कल सुबह ही मक्का के लिए निकल जाओ। फिर जब तुम वापस आओगे तो मैं तुम्हें पूरी रकम दे दूंगा। यह कुछ पैसे रखो रास्ते में तुम्हारे काम आएंगे।

बूढ़े व्यक्ति को मक्का से जमजम का पानी लाने के लिए हां बोलकर अख्तर घर आ जाता है और गुलशन को बताता है। गुलशन भी यह बात सुनकर बहुत खुश होती है और अख्तर के जाने की तैयारी करती है। अगले दिन सुबह अख्तर मक्का के लिए निकल जाता है। वह तो सिर्फ इसी इच्छा से पानी लेने जा रहा था जैसे ही वह जमजम का पानी ले आएगा उसे रकम मिल जाएगी जिससे उसकी गरीबी दूर होगी। अख्तर मक्का पहुंच जाता है और परिक्रमा कर जमजम का पानी भर लेता है।

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अख्तर अकेला ही मक्का के लिए निकला था इसलिए जब वह अकेला आ रहा होता है तो रास्ते में उसे बहुत से लोग मिलते हैं। जो अल्लाह की इबादत कर रहे होते हैं। अख्तर भी अल्लाह की इबादत करता हुआ वापस आ रहा होता है तभी आते समय अख्तर को एक झाड़ी के पास से आवाज आ रही होती है – “बहुत प्यास लगी है, बहुत प्यास के मारे मेरा गला सूख रहा है। कोई मेरी मदद करो।

अख्तर – अरे आप कौन है बाबा और यहां कैसे? वह भी इस हालत में ?

बूढ़ा – यही पास के गांव में रहता हूं मेरी आंखें नहीं है बेटा। मैं देख नहीं सकता, भोजन की तलाश में गांव से दूर निकल आया और रास्ता भटक गया। मुझे मुझे बहुत प्यास लगी है बेटा। दो घुट पानी पिला दो अल्लाह तुम्हारा भला करेंगे।

अख्तर मन मे सोचता है – क्या करूं मेरे पास पीने का पानी नहीं है? बस यही जमजम का पानी है जो उन बूढ़े बाबा के लिए लेकर जाना है। अगर मैं यह पानी इन्हे पिला दूंगा तो उन्हें क्या बोलूँगा? यह पानी तो जरूरतमंद और परेशान लोगों के लिए है और लाचार बाबा को जो प्यास से व्याकुल हो रहे हैं ऐसे तो नहीं छोड़ सकता ना मैं इन्हें पानी पिला देता हूं और उन बूढ़े बाबा को बोल दूंगा कि मैं पानी नहीं ला सका। शायद मेरी किस्मत में पैसा कमाना लिखा ही नहीं था।

अख्तर उस व्यक्ति को मक्का का जमजम का पानी पिला देता है और व्यक्ति की प्यास बुझ जाती है। वह अख्तर को शुक्रिया कहता है और बोलता है – मेरी सहायता की मेरी प्यास बुझाई अल्लाह तुम्हें हमेशा खुश रखे बेटा। आज तुमने इस अंधे फकीर को पानी पिलाया है। मैं भी तुम्हें कुछ देना चाहता हूं। यह पोटली अपने पास रखो और घर जाकर ही इस पोटली को खोलना।

अख्तर – बाबा मैं आपको घर छोड़ देता हूं। आप अकेले कैसे जाओगे?

फकीर – नहीं बेटा मैं चला जाऊंगा। तुम्हें भी तो समय पर घर पहुंचना होगा। तुम्हारी बेगम गुलशन तुम्हारी राह देख रही होगी।

अख्तर अपने घर की तरफ चल पड़ता है। रास्ते भर अख्तर यही सोचता है वह बूढ़े बाबा को क्या जवाब देगा ? रमजान का भी आखिरी दिन है। दोबारा पानी लेने नहीं जा सकता वह ईद पर नहीं पहुंच पाएगा। वह मायूस अवस्था में गांव पहुंचता है और खान साहब के पास जाता है और पूछता है – खान साहब जब मैं उस दिन आपसे काम मांगने आया था तो यहां एक बूढ़े बाबा बैठे थे क्या आपने उन्हें कहीं देखा है ?

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खान – कौन से बूढ़े बाबा ? मेरे यहां तो मक्खी भी मेरी बिना इजाजत के नहीं बैठती । तो कोई बूढ़ा बाबा कैसे बैठेगा। मेरी दुकान के पास यहां कोई नहीं आया था।

अख्तर – उन्होंने तो मुझे कहा था कि वह मुझे यही मिलेंगे।

अख्तर ने गांव में हर तरफ उसे बूढ़े व्यक्ति की खोज की पर वह बूढ़ा व्यक्ति अख्तर को कहीं भी नहीं मिला। अख्तर निराश होकर घर आ गया। घर जाकर अख्तर ने अपनी पत्नी को सारी घटना बताई।

गुलशन बोली – सुनो जी आपने जिन बाबा को जमजम का पानी पिलाया था। क्या उन्हें मेरा नाम बताया था?

अख्तर – अरे गुलशन! मैं तो उस बाबा को तुम्हारा नाम नहीं बताया था फिर भी उन्हों कहा कि तुम्हारी बेगम गुलशन तुम्हारी राह देख रही होगी। इतना कहा और यह पोटली दी और इसे घर जाकर ही खोलने को कहा। यह सब क्या हो रहा है? गुलशन – आप पोटली खोल कर देखो क्या है इसमें और बाबा ने की आपको क्यों दी है?

अख्तर पोटली खोलकर देखा तो उसमे 1 लाख रुपए थे। उसने सोचा इतना तो उस बाबा ने मक्का से जमजम की पानी लाने की रकम बोली थी। आज मैंने उस बाबा को पूरे गांव में ढूंढा पर वह नहीं मिले।

गुलशन – आप अभी भी नहीं समझे पर मैं पूरी बात समझ गई। यह सब हमारे अल्लाह की मेहरबानी है। आप ने भले ही खुदा पर कभी विश्वास नहीं किया पर आपका दयालु स्वभाव देखकर अल्लाह ने उसका फल दिया है। यह सब उन्हीं का चमत्कार है। वह सारा अल्लाह का ही किया था। आपने जरूरतमंद की सहायता की और अल्लाह ने आपकी परीक्षा ली जिसमें आप खरे उतरे। हमें अल्लाह का शुक्रिया करना चाहिए जिन्होंने फरिश्ते के रूप में आकर हमारी गरीबी दूर की।

अख्तर – हां गुलशन! यह तुम्हारी अल्लाह की इबादत करने का फल है। तुमने हमेशा सच्चे मन से उनकी इबादत की इसलिए उन्होंने तुम्हें इसका फल दिया। आज से अल्लाह पर मेरा भी अटूट विश्वास बन गया है। हे खुदा! मुझे माफ करना।

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