Old Story in Hindi

नमस्कार दोस्तों, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट Old Story in Hindi के साथ। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको पसंद आएगी और आप इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करेंगे। ये कहानी सुनीता और उसके बेटे और बहु की है।

माँ का पेंशन

Old Story in Hindi

Old Story in Hindi
Old Story in Hindi

सुनीता जी बैंक की जॉब से रिटायर हुई थी। उनके पति का काफी वक्त पहले देहांत हो चुका था। अब सुनीता जी के घर में उनका बेटा आदेश और बहुत सुरभि थे। आदेश और सुरभि का 5 साल का एक बेटा था। सुरभि एक स्कूल में टीचर का काम करती थी और आदर्श की एक प्राइवेट कंपनी में जॉब थी। लेकिन एक दिन जब आदेश अपने ऑफिस से लौटकर घर आया तो बहुत उदास था।

माँ – अरे आदेश बेटा क्या हुआ? ऑफिस में काम ज्यादा था क्या? क्यों थका थका सा लग रहा है।

सुरभि – आज आप बहुत उदास लग रहे हैं। बॉस से झगड़ा हुआ है क्या?

आदेश – अरे नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं है कंपनी में कई दिनों से फायरिंग चल रही थी तो मेरी भी जॉब चली गई है।

समझ में नहीं आ रहा है ऐसे वक्त में अब नई जॉब कहां और कैसे मिलेगी?

सुरभि – अरे यह क्या हो गया अब काम कैसे चलेगा?

आदेश – मैं नई जॉब ढूंढने की कोशिश करूंगा, मुझे लगता है मुझे जल्दी ही कोई नई कोई जॉब मिल जाएगी और तब तक तुम्हारी जॉब तो है ही।

सुरभि – हां वह तो है लेकिन अभी अभी तो हमने नई कार खरीदने के बारे में सोचा था और अभी आपकी जॉब चली गई। कार के बिना कितनी परेशानी होती है।

माँ – तुम दोनों को परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है। अभी तुम्हारी मां है ना कोई चिंता मत करो और वैसे भी बैंक की जॉब से रिटायर हूं मैं। इतना पेंशन तो आती है कि तुम दोनों को आराम से रख सकूं।

सुरभि – आपकी बात सही है मम्मी जी। लेकिन यह पैसे आपके हैं कार तो हम बाद में भी ले सकते हैं। आप बेकार का खर्चा मत करिए

माँ – अरे मुझे इन पैसों का क्या करना है और वैसे भी कार घर में आएगी तो मैं भी तुम्हारे साथ घूमने चलूंगी।

आदेश – ठीक है मम्मी अगर आपका मन है तो कार ले लेते है।

इस तरह से आदेश और सुनीता अपने घर एक नई कार खरीद कर ले आते हैं। घर में कार आने से सब लोग बहुत खुश थे। सुरभि और आदेश भी नई कार आने के बाद बहुत खुश थे।

सुरभि – चलो ना आदेश कहीं घूमने ले चलो ना नई कार में घूमने का मजा ही कुछ और है।

आदेश – ठीक है जल्दी से तैयार होकर आ जाओ।

आदेश की बात सुनकर सुनीता भी जल्दी-जल्दी तैयार होकर बाहर आती है।

सुनीता – चलो बेटा जल्दी से नई कार में घूमने चलते हैं।

Old Story in Hindi


सुरभि – आप रेडी हो गई आपको पता है ना कल चिंटू का एग्जाम है तो किसी को घर पर रुकना होगा।

माँ – अरे लेकिन चिंटू बेटा भी तो हमारे साथ चल रहा है।

सुरभि – हाँ मम्मी जी लेकिन घूम कर वापस आएंगे तो खाना बनाने में कितना टाइम निकल जाएगा। देखिए हम घूम कर आते हैं तो आप खाना बनाकर तैयार रखना। सुरभि की बात सुनकर सुनीता को बुरा लगा लेकिन फिर उसे लगा कि बच्चों की खुशी के लिए वह इतना तो कर ही सकती है और यही सोचकर वह इस बात का बुरा नहीं मानी।

कुछ दिनों के बाद सुरभि – आदेश ये सेमी वाली वाशिंग मशीन ना बिल्कुल भी अच्छी नहीं है। मुझे फुली ऑटोमेटिक मशीन चाहिए।

आदेश – लेकिन अभी कैसे? तुम्हें पता तो है कि 1 महीने से मेरी जॉब भी नहीं है। पैसे कहां से आएंगे ?

सुरभि – कार के लिए जहां से आए वहीं से, मम्मी से।

आदेश – हां वैसे बात तो सही है।

सुरभि – मम्मी भी इतने पैसों का क्या करेगी? तुम मम्मी को बोल देना वह वाशिंग मशीन दिलवा देंगी।

इस तरह से सुरभि अपनी सास के पैसों से एक नई वाशिंग मशीन खरीद लाई। धीरे-धीरे सुरभि और आदेश को सुनीता के पैसों से सामान खरीदने और सुनीता के पैसों को बेकार की चीजों पर उड़ाने की आदत गई। एक दिन शाम को जब आदेश और सुनीता बैठकर चाय पी रहे थे। तो सुनीता ने आदेश से उसकी नौकरी के बारे में बात की।

माँ – आदेश बेटा अब तो पूरे 3 महीने हो चुके हैं। अब तक तुम्हें नौकरी नहीं मिली। ऐसे कब तक काम चलेगा बेटा

आदेश – अब क्या बताऊँ मम्मी? आपके पेंशन के पैसे से घर इतने आराम से चल रहा है कि मन ही नहीं करता नौकरी करने का।

माँ – अरे लेकिन पेंशन के पैसे से जिंदगी तो नहीं चलेगी ना। नौकरी तो तुम्हें करनी पड़ेगी बेटा।तभी सुरभि अपने स्कूल से लौट कर आती है। मम्मी जी बहुत थक गई हूं।

बेटा – मम्मी जल्दी से मेरा होमवर्क करवा दो ना और कुछ खाने को भी दे दो, बहुत भूख लगी है।

सुरभि – हां बेटा बस 5 मिनट रुक जाओ। तभी दरवाजे की घंटी बजती है। सुरभि जैसे ही दरवाजा खोलती है तो वह सामने अपनी बेस्ट फ्रेंड एकता को देखती हैं।

एकता – कैसी हो सुरभि?सुरभि – अरे! एकता तू अचानक यहां क्या बात है? जल्दी से सुरभि और एकता दोनों सुरभि के रूम में चले जाते हैं और बातें करने लगते हैं।

एकता – कितनी थकी हुई लग रही है तू ? क्या बात है सब ठीक तो है ना?

सुरभि – अरे क्या बताऊं यार। यह नौकरी और घर के चक्कर में परेशान हो जाती हूं।

एकता – क्या जरूरत है तुझे नौकरी करने की? तू बस अपना ख्याल रखा कर। यह नौकरी कर करके अपने आप को क्यों इतनी जल्दी बूढ़ा करने पर तुली है।

सुरभि – हां तेरी बात तो सही है। लेकिन फिर घर कैसे चलेगा?

एकता – क्यों आदेश नौकरी नहीं करता क्या?

सुरभि – अरे क्या बताऊं तुझे पिछले 3 महीना से नौकरी नहीं कर रहा है। नौकरी छूट गई है उसकी।

एकता – अब तू सोच ले। तुझे क्या करना है अरे नौकरी की जिम्मेदारी तो आदमी की होनी चाहिए।

एकता तो चली जाती है लेकिन जब आदर्श रूम मे आता है तो सुरभि कहती है – आदेश मैं और जॉब करना नहीं चाहती।

आदेश – क्यों क्या हो गया?

सुरभि -अब देखो ना सुबह से शाम तक कितना थक जाती हूं।

आदर्श – ठीक है तो फिर छोड़ दो नौकरी क्या फर्क पड़ता है?

सुरभि – सच में मुझे तो लगा तुम मुझे जॉब छोड़ने से मना करोगे?

आदर्श – अरे सुरभि माँ है ना उनके पेंशन के पैसों से मजे की जिंदगी चल रही है। क्यों नौकरी करके अपने आप को परेशान करना। घूमो फिरो मजे करो क्या रखा है जिंदगी में? और इस तरह से सुरभि भी अपनी जॉब छोड़कर बैठ जाती है। सुनीता को यह सब अच्छा तो नहीं लगता लेकिन वह कुछ नहीं कहती। सुनीता अपनी पेंशन और अपने सेविंग के पैसों से आदेश और सुरभि के हर जरूरत को पूरा करती है।

Old Story in Hindi

एक दिन सुबह के वक्त सुरभि ने बोला – मम्मी जी अगले महीने हमारे वेडिंग एनिवर्सरी है। हम लोग इस बार कहीं विदेश जाने का सोच रहे थे।

सुनीता – लेकिन बहू अभी तो तुम दोनों के पास जॉब भी नहीं है। फिर विदेश कैसे जाओगे? कितने सारे पैसे चाहिए विदेश जाने के लिए।

सुरभि – अरे मम्मी आप ने तो कहा था। आपके रहते हम लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। अब आप है तो पैसों की क्या फिक्र करना।

सुनीता – लेकिन बेटा यह सब ठीक नहीं है।

सुरभि – अरे मम्मी आप जाने दो ना सब ठीक है। आप बस हमारे दुबई के टिकट करवा दो जल्दी से। इस तरह सुरभि और आदेश विदेश घूमने चले जाते हैं।

उनके जाने के बाद सुनीता की तबीयत अचानक खराब हो जाती है और वह अपनी बहन उर्मिला को घर बुला लेती है।

उर्मिला – क्या हुआ दीदी? अरे आपको तो तेज बुखार है। चलिए हम हॉस्पिटल चलते हैं और सुरभि और आदेश कहां है?

सुनीता – बच्चे अपनी एनिवर्सरी मनाने विदेश गए हुए हैं ।

उर्मिला – लेकिन अभी कैसे अभी तो उनके पास जब भी नहीं है?

सुनीता – मैं ही उन्हें पैसे दिए थे।

उर्मिला- ठीक है कोई ना चलो अभी हम हॉस्पिटल चलते हैं। उर्मिला सुनीता को लेकर हॉस्पिटल पहुंचती है लेकिन वहां जाकर जैसे ही सुनीता अपने कार्ड से पेमेंट करती है। उसे पता चलता है कि उसके कार्ड में पैसे ही नहीं है।

उर्मिला- अरे दीदी! आपका अकाउंट तो खाली है। सारे पैसे कहां गए? लेकिन मेरे अकाउंट में तो पूरे एक लाख रुपए थे।

सुनीता – हां याद आया मैं आदेश और सुरभि को इस अकाउंट से पैसे निकालने के लिए कहा था।

उर्मिला – दीदी अब क्या कहूं? आप बहुत भोली है। ज्यादा सीधे होने का नतीजा देख लिया आपके अपने बच्चे आपके पैसों पर ऐश कर रहे हैं।

सुनीता – आदेश और सुरभि को ऐसा नहीं करना चाहिए था। मुझे नहीं पता था कि मेरे बच्चे भी ऐसा कर सकते हैं।

उर्मिला – देखो दीदी बच्चों की हेल्प करना ठीक है लेकिन उनकी बेकार की जरूरत को पूरा करना बिल्कुल ठीक नहीं है। आपकी पेंशन के चक्कर में उन लोगों ने अपनी नौकरी छोड़ दी। यह कहां का न्याय हुआ ? ऐसे अपनी मां की पेंशन पर ऐश करना ठीक नहीं है।

सुनीता – तुम ठीक कहती हो मुझे कुछ करना होगा।

दो-तीन दिन के बाद सुरभि और आदेश लौट आते हैं।

सुरभि – मम्मी जी यह देखिए मैंने कितनी सारी शॉपिंग की है। सच में मम्मी बहुत मजा आया विदेश घूमने में और शॉपिंग का तो कहना ही क्या?

सुनीता – वो सब तो ठीक है बेटा लेकिन अब आगे का क्या? तुम लोगों ने जॉब छोड़ दी है। मैं कहती हूं वापस से जॉब स्टार्ट कर दो।

सुरभि – अरे मम्मी! क्या जरूरत है जॉब करने की आप है ना। कितनी अच्छी जिंदगी चल रही है। कोई टेंशन नहीं काम करने की सब कुछ मजे में चल रहा है।

सुनीता – लेकिन तुम दोनों ने तो मेरे अकाउंट के पैसे उड़ा दिए।

सुरभि – तो क्या हुआ मम्मी जी? आपके दूसरे अकाउंट में तो पैसे है ना और वैसे भी और पेंशन आ जाएगी।

सुनीता समझ गई थी की सुरभि और आदेश ऐसे मानने वालों में से नहीं थे। अब सुनीता को अपने बेटे और बहू के इरादे भी सही से समझ में आ गए थे। उन्हें लग रहा था कि अगर वक्त रहते सुरभि और आदेश को समझाया नहीं गया तो वह और ज्यादा लापरवाह हो जाएंगे।

Old Story in Hindi

कुछ दिनों के बाद आदेश ने बोला – अरे मम्मी! मेरा यह मोबाइल एकदम खराब हो गया है। मार्केट में नया आईफोन आया है मुझे वह चाहिए।

सुरभि – हां मम्मी जी और मुझे भी एक घड़ी चाहिए क्योंकि अभी मैं अपनी फ्रेंड के पास में डायमंड वाली घड़ी देखी थी बहुत अच्छी लग रही थी।

सुनीता – माफ करना बेटा! लेकिन मैं तो अपने सारे पैसे एक ट्रस्ट को दान में दे दिए।

सुरभि – क्या? लेकिन क्यों मम्मी जी।

सुनीता – क्योंकि तुम्हारे ससुर जी की इच्छा थी कि मैं ऐसा करू। यह ट्रस्ट बूढ़े लोगों के लिए काम करता है।

सुरभि – अरे लेकिन मम्मी यह आपने क्या किया। अब घर कैसे चलेगा?

सुनीता – उसके लिए तुम दोनों को नौकरी करनी पड़ेगी बेटा क्योंकि अब मेरे पास तो पैसे हैं नहीं और मैं भी उस ट्रस्ट के ओल्ड एज होम में शिफ्ट हो रही हूं। जब तुम्हारी जॉब लग जाएगी तब वापस आ जाऊंगी।

सुनीता की बात सुनकर आदेश और सुरभि के होश उड़ जाते हैं लेकिन अब उन दोनों को समझ में भी आ जाता है कि उन्होंने कितनी बड़ी गलती की थी।

आज की पोस्ट Old Story in Hindi आपको कैसी लगी? ये आप हमें कमेन्ट करके बता सकते है। हम आगे भी ऐसी ही मजेदार कहानियाँ आपके लिए लेकर आते रहेंगे।

इन्हे भी पढे:

Leave a Comment