Share Kya Hota Hai

अक्सर लोगों के मन मे ये सवाल आता है की शेयर क्या होता है(Share Kya hota hai), शेयर को खरीदने का आखिर क्या मतलब होता है, मै शेयर कैसे खरीद सकता हूँ, ये सवाल अक्सर उन लोगों के मन मे आता है जिन्होंने अभी अभी शेयर मार्केट सीखना शुरू किया है। आज के इस पोस्ट मे हम इन्ही सवालों का जवाब जानेंगे।

शेयर क्या होता है?

शेयर का हिन्दी मतलब होता है अंश या फिर हिस्सा। शेयर किसी भी कंपनी की पूंजी का एक सबसे छोटा पार्ट यानि हिस्सा होता है।

उदाहरण के लिए मान लीजिए एबीसी एक कंपनी है जिसकी कुल पूंजी ₹100 है।अब अगर इस कंपनी की ₹100 की पूंजी को 100 अलग-अलग हिस्सों में बांट दिया जाए तो हर एक हिस्सा अपने आप में एक शेयर कहलाएगा। इस तरह से अब कंपनी की पूंजी में टोटल 100 शेयर होंगे जिसमें हर एक शेयर की कीमत होगी एक रुपए। इस तरह से आप देखेंगे कि एबीसी कंपनी के टोटल 100 शेयर में जिसके पास जितना शेयर होगा वह व्यक्ति एबीसी कंपनी में उतने प्रतिशत का मालिक बन जाएगा।

कंपनी अपना शेयर क्यों बेचती है?

जब भी किसी कंपनी को अपना व्यवसाय बहुत बड़े लेवल पर करना होता है तो अपनी पूंजी की कमी को पूरा करने के लिए कंपनी अपने शेयर्स को आम पब्लिक में बेचकर पैसे जुटाती है और उस पैसे से अपना बिजनेस करती है। जैसे जैसे कंपनी आगे बढ़ती है कंपनी के शेयर के प्राइस भी बढ़ते हैं और साथ ही साथ वह कंपनी अपने शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड भी देती है।

शेयर कितने प्रकार का होता है?

शेयर 2 प्रकार के होते है –

  1. एक्विटी शेयर ( Equity Share)
  2. प्रेफरेंस शेयर (Preference Share)

एक्विटी शेयर ( Equity Share) क्या होता है?

कंपनी अपने बिजनेस को एक्सपेंड करने के लिए अक्सर इन्वेस्टर से कैपिटल रेज करती है और बदले मे इन इन्वेस्टर्स को कंपनी के शेयर मिलते हैं। इस प्रकार इन्वेस्टर्स कंपनी के शेयर होल्डर्स बन जाते हैं। इन्ही शेयर्स को इक्विटी शेयर्स कहा जाता है। मान लीजिए किसी को कंपनी के कुल शेयर के 0.5% शेयर्स मिले तो उसे कंपनी में 0.5% ओनरशिप मिल जाता है और कंपनी को ज्यादातर डिसीजंस लेने से पहले इक्विटी शेयरहोल्डर से कंफर्मेशन लेनी पड़ती है। क्योंकि इन शेयरहोल्डर्स को वोटिंग राइट्स भी मिलते हैं।

प्रेफरेंस शेयर (Preference Share) क्या होता है?

प्रेफरेंस शेयर्स की बात करें तो इसके नाम से ही क्लियर है कि प्रेफरेंस शेयरहोल्डर्स को इक्विटी शेयर होल्डर्स के मुकाबले प्रेफरेंस मिलता है। प्रेफरेंस शेयर्स में शेयर होल्डर (Share Holder) को एक फिक्स रेट का डिविडेंड (Dividend) मिलता है और साथ ही साथ प्रेफरेंशियल राइट्स भी मिलते हैं। इसका मतलब यह है कि अगर कंपनी दिवालिया हो जाती है तो कंपनी के संपत्ति को बेचकर मिले फंड्स पर इक्विटी शेयर होल्डर से पहले प्रेफरेंस शेयरहोल्डर्स का हक होता है। प्रेफरेंस शेयरहोल्डर्स को प्रेफरेंस तो मिलता है लेकिन वोटिंग राइट्स नहीं मिलते।

इक्विटी शेयर और प्रेफरेंस शेयर मे अंतर

  • डिविडेंड: के बारे में प्रेफरेंस शेयरहोल्डर्स को कंपनी डिविडेंड पहले देती है फिर कंपनी जरूरत पूरा करती है और पैसा बचा तो इक्विटी शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड देती है। लाभ हो या हानि प्रेफरेंस के लिए डिविडेंड का रेट एक ही रहता है। दूसरी तरफ इक्विटी शेयरहोल्डर्स के मामले में डिविडेंड का रेट लाभ या हानि के अनुसार बढ़ता या घटता रहता है।
  • बोनस शेयर: प्रेफरेंस शेयरहोल्डर्स को बोनस शेयर (Bonus Share) नहीं मिलते जबकि इक्विटी शेयर होल्डर्स को अच्छे परफॉर्मेंस के बाद कंपनी बोनस शेयर्स देती है। जब कंपनी बंद होती है तब प्रेफरेंस शेयर होल्डर्स को इक्विटी शेयर होल्डर से पहले पैसा मिलता है। इक्विटी शेयरहोल्डर्स को सबसे आखिर में पैसा मिलता है।
  • वोटिंग राइट्स: शेयरहोल्डर्स के पास वोटिंग राइट्स नहीं होते लेकिन इक्विटी शेयर होल्डर्स को वोटिंग राइट्स मिलते हैं।
  • प्रेफरेंस शेयर्स को इक्विटी शेयर्स में बदला जा सकता है लेकिन इक्विटी शेयर्स को प्रेफरेंस शेयर्स में नहीं बदला जा सकता।
  • रिस्क: प्रेफरेंस मिलने से प्रेफरेंस शेयर्स में इक्विटी शेयर्स के मुकाबले रिस्क कम होता है। आपको प्रेफरेंस शेयर्स लेने के लिए इक्विटी शेयर्स के मुकाबले ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं। इसीलिए यह शेयर मिड साइज और बड़े इन्वेस्टर्स को शूट करते हैं,दूसरी तरफ इक्विटी शेयर्स सस्ते होते हैं इसीलिए आम इन्वेस्टर भी इनको खरीद सकता है।
  • प्रेफरेंस शेयरहोल्डर्स को मौजूदा डिविडेंड के साथ एरियर्स का भी मिल सकता है लेकिन इक्विटी शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड एरियर्स नहीं मिलते।
  • आमतौर पर कंपनी मीडियम टर्म या लॉन्ग टर्म जरूरत के लिए प्रेफरेंस शेयर्स अनाउंस करती है, जबकि इक्विटी शेयर्स का इस्तेमाल लॉन्ग टर्म जरूरतों के लिए किया जाता है।
  • प्रेफरेंस शेयर ज्यादा डिनॉमिनेशन में आते हैं और इक्विटी शेयर्स कम में। प्रत्येक कंपनी के लिए प्रेफरेंस शेयर कैपिटल जारी करना जरूरी नहीं होता लेकिन इक्विटी शेयर कैपिटल हर कंपनी के लिए जरूरी होता है।
  • कंपनी के लिए प्रेफरेंस शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड देना जरूरी होता है लेकिन इक्विटी शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड देना ऑप्शनल होता है।

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