Poem on Krishna in Hindi

Poem on Krishna in Hindi: नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से एक नए पोस्ट Poem on Krishna in Hindi के साथ हाजिर है। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको पसंद आएगी और आप इसे आप अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे। 

Poem on Krishna in Hindi
Poem on Krishna in Hindi

श्याम रंग में रंगीन,
बांसुरी की मधुर धुनें।

माखन चोर, नंद के लाल,
गोपियों के मन का मोहन।

वृंदावन की धरा पर,
रास लीला का मधुर संग।

गोपाल कृष्ण, माधव हमारे,
भगवान वासुदेव कहलाएं।

राधा के संग रंगी रातें,
प्रेम की गहराईयों में बसे।

मोहन मुरारी, गोविंद हरे,
भक्तों के दिलों में बसे।

कान्हा की आराधना में,
भक्ति की राहों को चलें।

गीता का ज्ञान सिखाए,
कृष्ण का सच्चा प्रेम बताए।

मुरली की तान

श्यामा वर्ण पर् सोहे पीताम्बर, मुख पर मनमोहक मुस्कान,
आओ नंदलाल, आओ कान, हमें भी तो सुनाओ मुरली की तान।

हम भी गोपी बन जायें, तेरे संग रास रचनायें,
आनंद अलौकिक पायें, हमारे लिए होगा यह स्वर्ग समान।

हे यशोदा के लाल देवकीनंदन, जग करता तेरा वंदन,
मैं कैसे करूँ तेरा अभिनंदन, धन्य हो जायेगा मेरा जन्म पाकर तेरी शरण

Poem on Lord Krishna in Hindi

सब दीवाने तुम्हारे

नटखट तुम, फिर भी मन मोह लेते हो।
माखन चोर तुम, फिर भी दिल चुरा लेते हो।

मटकी फोड़ तुम, फिर भी दिल जोड़ जाते हो।
साँवरी सूरत वाले, मन सबका कैसे हर लेते हो?

गैंया मैंया गोपियाँ, सब दीवाने तुम्हारे,
जादू ये सब कैसे कर लेते हो?

बंसी कि धुन में तुम्हारी, राधा भी मतवाली प्रेम का संदेस तुम कैसे बजा देते हो?

बसे हो कन कन में तुम हर हृदय में तुम्हारा वास।
जनमदिन तुम्हारा मनाऐगें मिलकर हमसब आज।

सब नाम तुम्हारा ही लेते

कृष्ण तुम जगन्नियंता हो, और हो मेरी मंज़िल भी,
तुम मेरी प्रार्थना सुनते हो और दुनिया से भी परिचित हो,

मुझे चाहिए जितना जो कुछ सदा मुझे दे देते हो,
किन्तु, इनसे हट कर जीवन में कुछ और दीजिये,

मुझे तुम्हारा मार्गदर्शन और बु‌द्धिमता चाहिए,
हो जाए अदृश्य दृश्य जो राज्य तुम्हारा देख सकूँ

क्यों अपना याचक और दाता से आगे है संबंध नहीं?
क्यों इसे समझने की तुमने मुझको दी तौफ़ीक़ नहीं?

रहनुमा बनो, समझाओ मुझे मुझको क्या करना लाज़िम है,
तुम अगर मुझे बतला देते तो क्या मैं अमल नहीं करता?

इतने सारे पैगंबर, पर सब में क्यों अंतर्विरोध है,
सब नाम तुम्हारा ही लेते अपनी संतुष्टि के निमित्त,

मैं खुद ही से दुखी हुआ हूँ; हुआ लापता इतना,
कैसे जानू बतलाओ है किस पर विश्वास मुझे करना?

Poem on Krishna in Hindi

श्रीकृष्ण की बाट

Poem on Krishna in Hindi
Poem on Krishna in Hindi

श्री कृष्ण पुनः अवतरण करो, बाट जोहती, विकल मही।
गीता के पन्ने पलट रही, कब है आने की बात कही।।

कंटक-कौरव, बढ़ गए अधिक व्यभिचार, पाप व अनाचार ।
श्री- हत पांडव, बल-क्षीण अधिक, सद- आचरणों का, हो रहा दुराव ।।

विरत, साधु निज धर्मों से, मद, मोह, काम में रहते हैं।
निरत, लोभ-आवरणों में शासक, शासन को करते हैं।।

प्रेम, स्निग्ध ना, दूषित है, हेय, प्रवंचना-लता बढ़ी।
कपटी-व्यवहार-व्यवस्था है, कुम्हलायी संयम-बेल खड़ी।।

न्याय-दंड, सु-विलंबित है, अन्यायी का उद्दाम बढ़ा।
सज्जन, सत-कार सु-शोषित है, अपचारी का सम्मान बढ़ा ।।

नारी अबला ना होते भी, दुष्कर्म झेलती रहती है।
जीवन-दान सुन पापी की, सीने पर मूंग दरकती है।।

धर्म, शांत बन दबता है, उद्दंड, पाप सिर चढ़ता है।
कंस, दुःशासन, जरासंध, हर रूप, अधर्मी रखता है।।

अपना दम, घुटता जाता है, बोझिल होता, अप-कर्म घड़ा।
सबका जीवन निष्पाप रहे, धर, चक्र सुदर्शन आन धरा।।

उसने हमें स्वीकारा है

ना जाने कितने जन्मों से उसे पुकारा है,
की इस जन्म उसने हमें स्वीकारा है,

आँखें मूँद लूँ मैं अगर, वो छवि बन मन उतर आया है,
ना जाने कितने जन्मों की पुकार है,

की अब वो सुन पाया है, डर लगता है थोड़ा सा,
छलिया कहीं हमें फिर से भूल ना जाए,

उसको पाने के लिए, ना जाने कितने जन्मों के तप सजाए,
पर उसके प्रेम के आगे, कहाँ कोई डर टिक पाया है,

निर्भय सा ढीठ प्रेम करना वो हमें सिखाया है,
ना जाने कितने जन्मों से उसे पुकारा है, की इस जन्म उसने हमें स्वीकारा है!

धर्म पड़ा लथपथ

कान्हा की सुन बाँसुरी, राधा दौड़ी आए प्रेम रहे निश्छल जहाँ, राधा कृष्ण हो जाए
यमुना में आतंक बन, घुसा कालिया नाग कान्हा पैरों जब पड़ा, बुझी जहर की आग
मामा कंश ना होइए, करो ना अत्याचार ग्वाला जब कान्हा बने, कर देगा संहार
मोहना देत उपदेश, गीता का रहे पथ अर्जुन शस्त्र उठाइए, धर्म पड़ा लथपथ

Poem on Bal Krishna in Hindi

नन्द घर आनंद है छाया

नन्द घर आनंद है छाया, लाल गोकुल में है आया !!
सुन समाचार सारे ऋषि मुनि, दौड़े दौड़े आये !!

खुद शिव भी महात्मा बन, दर्शन को अकुलाये !!
मैया झलक लाला की दिखा, सब तेरा ऋण पाये !!

बिठा पालकी में मैया ने, सबसे झूला झुलवाया !!
लाल गोकुल में है आया, नन्द घर आनंद है छाया !!

नशीली बोलियाँ

बोलिये सुरिली बोलियाँ, खट्टी मीठी आँखों की रसीली बोलियाँ रात में घोले चाँद की मिश्री,

दिन के गम नमकीन लगते हैं नमकीन आँखों की नशीली बोलियाँ गूँज रहे हैं डूबते साए.

शाम की खुशबू हाथ ना आए गूँजती आँखों की नशीली बोलियाँ।

।। राधाकृष्ण ।।

जो दो होकर भी दिल से एक थे, जो दूर होकर भी हृदय से पास थे,
वो जैसे प्रेम शब्द का ही भावार्थ है, वो ब्रेन के पुजारी सिर्फ ‘राधाकृष्ण” है।।

निस्वार्थ प्रेम का उदाहरण है वो, सच्यी भावना का प्रतीक है वो,
मुरलीधर की को बावटी राधे थी, राधा रानी के वो दुल्हारे काना थे ।।

उनके टोम रोम में सिर्फ गया दोनों को एक दूजे का साथ था,
अगर राधा को चोट लगती थी. जाने कृष्ण की आँख क्यू भर जाती थी ।।

बिना बोले समाजते थे वो एक दूजे की बात, पास ना होकर भी दिल से थे,
वो हमेशा ग्राप मुरली वी धुन सुनकर राचा उसमें ही खो जाती थी, मटा भर मान हाथ से वो काका को खिलाती थी ।।

वो नटखट सा कान्हा उसे तग भी बहुत करता था,
लेकिन राधा रानी की सारी इच्छा भी वही पुरी करता था,

पुरा संसार साक्षी है इनके इसी हर एक-एक पल का,
इसलिए सिर्फ राधाकृष्ण’ ही दुसरा नाम है सच्चे प्रेम का ।।

कन्हैया कृष्ण कहलाया

Poem on Krishna in Hindi
Poem on Krishna in Hindi

शीश मुकुट मोर पंख बसाया, कानों में कुण्डल स्वर्ण का सजाया,
अंजन किंचित मात्र नयन में बसाया,
बंसी बांध कमर पर, पीताम्बर सजाया,
फोड़ी मटकी वृंदावन बरसाने की,
नटखट नंदलाला कन्हैया कृष्ण कहलाया।

धर्म युद्ध करा संसार को धर्म सिखाया,
राजनीति का प्रथम उच्चतम पाठ पढ़या,
महाभारत मध्य गीता सार दे अर्जुन को,
जीवन का सत्य पूरे संसार को समझाकर,
श्याम सलोना मोहन वो श्री कृष्ण कहलया।

बासुरी की धुन

हाथन में हाथ लिए, नैनन से नैन मिले,
राधा कृष्ण की जोड़ी मन को लुभाने लगी ।

सुधबुध बिसराए सारी, नैनन में धार कारी,
प्रेम जोड़ी प्रेम की परिभाषा समझाने लगी ।।

बरसाने वाली को दीवानो भयो हाय चोर,
दिशाएं भी प्रेम भर, प्रेम गीत गाने लगी ।

बासुरी की धुन सुन, राधिका हुई रे मुग्ध,
ऋतुएँ भी बन्दन कर सुमन बरसाने लगी ।।

कृष्ण सुदामा की मित्रता

कृष्ण सुदामा की मित्रता ऐसी, जग मैं ना ऐसी दूजी कोई,
पाकर संदेशा कृष्ण दौड़े आए, स्नेह से हृदय से गले लगाए।

हुई पूरी आशा, मिटी निराशा, द्वारकाधीश ने स्वागत किया,
नयन से प्रभु के बहे अश्रु धारा, अश्रु से चरण वो पखारे।

हुई पूरी आशा, मिटी निराशा, द्वारकाधीश संग, जो खड़ा है,
कृष्ण सुदामा का करुणामई मिलन, किया सारे जग ने नमन।

Short Poem on Krishna in Hindi

आपके दर्शन हो जाए

प्रेम से श्री कृष्ण का नाम जपो,
दिल की हर इच्छा पूरी होगी,
कृष्ण आराधना में लीन हो जाओ,
उनकी महिमा जीवन खुशहाल कर देगी।
पलकें झुकें, और नमन हो जाए मस्तक झुके,
और वंदन हो जाए ऐसी नज़र, कहां से लाऊं,
मेरे कन्हैया कि आपको याद करूं और आपके दर्शन हो जाए

ढोल नगाड़े बज रहे

Poem on Krishna in Hindi
Poem on Krishna in Hindi

कान्हा की मुरली का देखो कितना मुधुर संगीत है.
गां रहा औज उनकी धुन में हर कोई गीत है।

सब आज कान्हा जी के रंग में सज रहे हैं,
हर तरफ ढोल नगाड़े बज रहे हैं।

उनकी लीला अपरम्पार है. उनमें बसा सारा संसार है।
मोरपंख मुकुट और बांसुरी के साथ मोहन लग रहे

हैं. दुखीयों के श्री कृष्ण एक मात्र सहारे हैं।
बड़े बड़े चमत्कार एक ही पूल में कर देते हैं,

सबको अपनी और आकर्षित कर लेते हैं।
ऐसी रात है रंगो से भी आई. सबके आँगन में बज रही शहनाई।
सांवला सलोना देखो कृष्ण कृन्हाई, आज जन्माष्टमी की हो सेब को बंधाई।

आज की ये पोस्ट Poem on Krishna in Hindi आपको कैसी लगी ये आप कमेन्ट करके जरूर बताइएगा। हम आगे भी आपके लिए ऐसे ही मजेदार पोस्ट आपके लिए लेकर आते रहेंगे। 

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