नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल नफरत शायरी(Nafrat Shayari) है। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको पसंद आयेगी और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।
मुझे शौहरत कितनी भी मिले मैं हसरते नहीं रखता,
मैं सब भूल जाता हूँ पर दिल में नफरतें नहीं रखता
ये मोहब्बत भी कितना गजब का है जनाब,
कल जिनसे हमें मोहब्बत थी आज उनसे हमें बेइंतहा नफरत है।
नफरत भी हैसियत देखकर करते हैं,
प्यार तो बहुत दूर की बात हैं।
हमे लगाओ है नफरत से
मोहब्बत हमे रास नही आती।
मोहब्बत नफरत सुकून दर्द गम सब कुछ बदल जाता है,
जब वक्त गुजरता है तो इंसान भी बदल जाता है।
किसी को नींद आती है मगर ख्वाबों से नफरत है,
किसी को ख्वाब प्यारे हैं मगर वो सो नहीं पाता।
दिमाग की मुहब्बत से दिल की नफरत बेहतर है,
पीठ पीछे नफरत मुंह पर प्यार आजकल के लोग का
बस यहीं हैं कारोबार।
मुहब्बतों की बारिश से कहो ज़रा ज़ोर से बरसें,
नफरतों के आईनों पर बड़ी धूल जमी है।
Nafrat Shayari
अंजाम-ए-इश्क़ क्या होगा यह तो खुदा जाने,
किसी से मैं नफ़रत करूँ इतनी फुरसत कहाँ।
मैं फ़ना हो गया अफ़सोस वो बदला भी नहीं,
मेरी चाहतों से भी अच्छी रही नफरत उसकी।
मुझे रुला कर सोना तो तेरी आदत बन गई है,
जिस दिन मेरी आँख ना खुली तुझे नींद से नफरत हो जायगी।
ए बादल इतना बरस की नफ़रतें धुल जायें,
इंसानियत तरस गयी है प्यार पाने के लिये।
जरूर उन्हें भी हमसे मुहबबत हुई होगी,
वरना बेवजह कोई किसी से इतनी नफरत नहीं करता।
लोग नफ़रत की फ़ज़ाओं में भी जी लेते हैं,
अब हम मोहब्बत की हवा से भी डरा करते हैं।
इससे बड़ा गुनाह क्या होगा,
कि तुम्हारी वजह से किसी को मोहब्बत से नफरत हो जाए।
मोहब्बत नफरत सुकून दर्द गम सब कुछ बदल जाता है,
जब वक्त खराब हो तो इंसान भी बदल जाता है।
Dard Nafrat Shayari
नफरत ही करते हैं ना लोग हमसे,
और हमारा कर भी क्या सकते हैं।
मोहब्बत में वफा का गुरुर जब टूटता है,
तो सबसे ज्यादा नफरत खुद से होती है।
एक तरफ मोहब्बत जल रही है एक तरफ नफरत पल रही है,
कैसे होगा फैंसला अब इसका दिलों में ये जो हलचल चल रही है।
तेरी नफरतों को प्यार की खुशबु बना देता,
मेरे बस में अगर होता तुझे उर्दू सीखा देता।
नफरत का रिश्ता भी नहीं रखना तुमसे,
वो रिश्ता भी निभा सको इस काबिल तुम नहीं।
नफरते लाख मिली पर मोहब्बत ना मिली,
ज़िन्दगी बीत गयी मगर राहत ना मिली।
मोहब्बत और नफरत सब मिल चुके हैं मुझे,
मैं अब तकरीबन मुकम्मल हो चोका हूँ।
अब भी दुआओं में ख़ैर मांगता हूँ मेरी जान,
कहा था ना मैंने मेरी नफरतों में भी प्यार है।
Mohabbat Nafrat Shayari
वो मेरे नाम से नफरत करने वाली,
सुना है मेरी शायरी पे मरती है।
जब नफरत करते करते थक जाओ,
तो प्यार को भी एक मौका दे देना।
हमने तो नफरतों से ही सुर्खियाँ बटोर ली जनाब,
सोचो अगर महोब्बत कर लेते तो क्या होता।
हम को तहज़ीब सिखाती है मुहब्बत करना,
और दुनिया हमें नफ़रत पे लगा देती है।
ना मोहब्बतें सँभाली गई ना नफ़रतें पाली गई,
है बड़ा अफ़सोस उस जिंदगी का जो तेरे पीछे ख़ाली गई।
भरोसा कोई एक तोड़ता है और
नफ़रत सबसे होने लगती है।
वो तो मोहब्बत करने से फुर्सत नही मिली हमे,
वरना हम कर के बताते नफरत किसे कहते हैं।
इसी हथियार से फतेह करूंगा अपने किरदार से फतेह करूंगा,
तुम लड़ो जंग मुझसे नफरत की मैं तुम्हें प्यार से फतेह करूंगा।
Nafrat Wali Shayari
देख कर उसको तेरा यूँ पलट जाना,
नफरत बता रही है तूने मोहब्बत गज़ब की थी।
सुकून-ए-दिल को नसीब तेरी बेरूखी ही सहीं,
हमारे दरमियाँ कुछ तो होगा चाहे नफरत हो या फ़ासले ही सही।
मोहब्बत में प्यार भरे अल्फाज लिखना मुश्किल है,
मगर नफरत में सब कुछ देना आसान है।
करके तो देखो जरा एक बार हम तो आपकी नफ़रत से भी टूटकर मोहब्बत कर लेंगे।
बे तहाशा अजियत भरे लम्हे गुजार के आया हूं,
तू मुझेसे किया नफरत करेगा में खुद से नफरत करके आया हूं।
ये मेरे प्यार की जिद है कि अगर प्यार करु तो सिर्फ तुमसे ही करु,
वरना तुम्हारी जो फितरत है वो नफरत के काबिल भी नही।
नफरत सी क्यों होती है इस ज़माने से हमको,
मोहब्बत में तो उम्मीद किसी एक से ही की थी।
दिल तो कहता है कि छोड जाऊँ ये दुनिया हमेशा के लिए,
फिर ख्याल आता है कि वो नफरत किस से करेगी मेरे जाने बाद।
Nafrat ki Shayari
नफरत सी क्यों होती है इस ज़माने से हमको,
मोहब्बत में तो उम्मीद किसी एक से ही की थी।
प्यार का तो पता नहीं मगर
नफरत बहुत लोग करते हैं मुझसे।
नफरत भी हम औकात देख कर करते हैं,
मोहब्बत की तो बात ही कुछ और है।
नफ़रतों के शहर में चालाकियों के डेरे हैं,
यहां वो लोग रहते हैं जो तेरे मुँह पर तेरे है मेरे मुँह पर मेरे हैं।
मैं खुश हूं कि उसकी नफ़रत का अकेला वारिस हू,
मोहब्बत तो उनको बहुत से लोगों से है।
नफरत ही नहीं दुनिया में दर्द का सबब,
मोहब्बत भी बड़ी तकलीफ़ देती है।
बीच रस्ते में मुझे छोड़ कर जाने वाले,
मुझको नफ़रत है तेरे शहर की हर गाड़ी से।
रिश्तें कभी भी कुदरती मौत नहीं मरते इनको हमेशा,
इंसान कत्ल करता है नफ़रत से नज़र अंदाजी से गलत फहमी से।
Khud se Nafrat Shayari
मुझ में थोड़ी सी जगह भी नहीं नफ़रत के लिए
मैं तो हर वक़्त मोहब्बत से भरा रहता हूं।
भरोसा कोई एक तोड़ता है,
नफ़रत सबसे होने लगती है।
उसको नफरत थी बेवफाओ से,
कैसे खुद से निभा रही होंगी।
कोई पूछे आप से अगर मेरी कहानी,
तो कहना नफ़रत के लायक़ भी नही था।
हमारा ज़िक्र छोड़ो हम ऐसे लोग हैं कि जिन्हे,
नफरत कुछ नहीं करती मोहब्बत मार देती है।
मोहब्बत का तो पता नहीं,
नफरत बहुत लोग करते है मुझसे।
नफ़रत का दोर चल रहा है जनाब
मौहबत कि उम्मीद ना करें।
मतलबी जमाना है नफरतों का कहर है,
ये दुनिया दिखाती शहद है पिलाती जहर है।
Nafrat Bhari Shayari
दरमियां हमारा बीच कुछ तो रहने दे,
नफ़रत या मोहब्बत कुछ तो रहने दे।
नफरत कमाना भी इस दुनिया में आसान नहीं,
लोगों की आंखों में खटकने के लिए भी कुछ खूबियां होनी चाहिए।
नफरतों के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोल रखी है जनाब ने,
तभी आजकल कुछ जायदा बदले बदले लग रहे जनाब।
मुझे अच्छे लगते है वो लोग जो मुझसे नफ़रत करते है
क्योंकि,
अब हर कोई प्यार से देखेगा तो नज़र नहीं लग जाएगी मुझे।
बहुत मुश्किल से निकाला हैं ख़ुद को उन लोगों की ज़िंदगी से,
जो हमारे लिए प्यार और उनके लिए हम नफ़रत के पात्र थे।
तरस रहे हैं वो हमारी मुहब्बत के लिए,
जिनसे नफरत भी अब हमे गवारा नहीं।
उडा दो हवा मैं सारी रंजिशें यारो,
दो पल की जिंदगी है कब तक नफरत करोगे।
अब मैं नफरत करूं तुझसे,
तू उस लायक भी नहीं है।
Pyar se Nafrat Shayari
मोहब्बत की है तुमसे यार बेफ़िकर रहो,
नाराजगी हो सकती है नफरत नही।
हमको नहीं कुबूल तीसरा कोई,
आप नफ़रत भी करे तो हमसे करे।
मोहब्बत है तुझसे आज भी दीदार किए थे तुझसे,
यू नही होगी नफरत तेरे एक नजर अंदाज कर दीए जाने से।
हम तो उनको भी दुआ देते हैं,
जिनको हमारे नाम से भी नफरत है।
कुछ इस अदा से निभाना है किरदार मिरा मुझको,
जिन्हें मोहब्बत न हो मुझसे, वो नफरत भी न कर सकें।
तेरी नफरत बता रही है ,
मेरी मोहब्बत गजब की थी।
हम भी क्या लोग हैं नफरत के शजर बो बो कर,
आसमानों से मोहब्बत की झड़ी मांगते हैं।
जितना हो सके मुझे देखो नफ़रत की नज़र से,
नज़र तो आखिर नज़र है मोहब्बत पर रुकेगी।
Nafrat Shayari 2 Line
कांटों को कभी फुलों से नफ़रत नहीं होती,
गर होती तो वो फिर फूलों को खिलने ही न देते।
हमारे क़िरदार की भी अलग पहचान है जनाब,
हम वो हैं जिन्हें नफ़रत करने वाले भी गौर से देखते हैं।
दिलों में गर पली बेजा कोई हसरत़ नहीं होती,
हम इंसानों को इंसानों से यूं नफ़रत नहीं होती।
अपने गुज़रे हुए अयाम से नफ़रत है मुझे,
अपनी बेकार तमन्नाओं पर शर्मिंदा हूँ मैं।
तुमसे अब कुछ रिश्ता ऐसा है,
ना नफरत है, ना इश्क़ पहले जैसा है।
नफरतों में ही दर्द हो ये जरूरी तो नहीं,
कुछ मोहब्बतें भी कमाल कर जाती हैं।
प्यार ही करना सीखना है नफरत की कोई जगा नहीं,
तू ही है इस दिल में किसी और के लिए नहीं समझेंगे।
उसने तो बस इतना कहा तेरी जुल्फों का फैन हूँ,
और मैनें भी नफ़रत की हद पार कर दी।
नफरत शायरी
मुर्शीद जो हमसे नफरत करते हैं शौक से करें,
हम हर शख्स को मोहब्बत के काबिल नहीं समझते।
हम नफरत भी शिद्दत से करते हैं,
हमसे इश्क करने में ही भलाई हैं।
मुझसे नफ़रत करनी है तो होंश से करना,
ज़रा भी चुके तो तो मोहब्बत हो जाएगी
नफरत हो जाएगी तुझे खुद से,
अगर में तेरे ही अंदाज़ में बात करूँ।
मैं क़ाबिल-ए-नफ़रत हूँ तो छोड़ दो मुझको,
यूं मुझसे दिखावे की मोहब्बत ना किया करो।
मैं खुश हूँ क्योंकि उसके नफ़रत का अकेला वारिस हूँ,
मैं वरना मोहब्बत तो उसे कई लोगों से है।
नफरत, जख्म गिले और सिकवे,
अब इन सबने उसको भुला दिया।
नफरत शायरी हिंदी में
कुछ वक्त के लिए मेरी नज़र उधार ले तू,
फिर देख मुझे कितनी नफ़रत है तुझसे।
तू तगाफुल भी करे इश्क भी नफरत भी करे,
में तेरे हिस्से में इतना नही आने वाला।
मैं कभी प्यार में नफ़रत तो,
कभी नफ़रत में प्यार ढूंढता हूं।
मैं वो हूं जो कभी अपनों में भी ग़ैर,
तो कभी गैरों में भी अपनों को ढूंढता हूं।
बेवफा लोगो को हमसे बहतर कौन जानेगा,
हम तो वो दिवाने है जिन्हे किसी की नफरत से भी प्यार था
नहीं कोई अहल-ए- जिगर ऐसा जो खरीद पाए मिजाज़ मेरा,
मोहब्बत और नफरत दोनों में बेमिसाल हूं मैं।
यह तो नसीब का खेल है,कोई नफरत कर के भी प्यार पाता है और कोई बेशुमार प्यार कर भी धोखा पाता है।
एक नफरत ही है जिसे दुनिया चंद लम्हों में जान लेती है,
वरना चाहत का यकीन दिलाने में तो ज़िन्दगी बीत जाती है।
नफ़रत सारे ज़माने की मेरे लिए के मोहब्बत मिले तो तू ले जाना,
सफ़र तेरे हिस्से का मैं करता हूं जो मंज़िल मिले तो तू ले जाना।
तेरी नफरत में वो दम कहाँ,
जो मेरी चाहत को कम करदे।
हक़ से दो तो तुम्हारी नफरत भी कबूल हमें,
खैरात में तो हम तुम्हारी मोहब्बत भी न लें।
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