नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से एक नए पोस्ट God Story in Hindi के साथ हाजिर है। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको पसंद आयेगी और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।
हनुमान जी का अवतार
God Story in Hindi
हजारों वर्ष पहले कंचन गिरि सुमेरु पर्वत पर वनराज केसरी निवास करते थे। उनकी पत्नी का नाम अंजना था। जो वानर राज कंजर की पुत्री थी। पति पत्नी दोनों बहुत सुखी थे लेकिन एक ही चिंता उन्हें परेशान किया रहती थी कि उनके यहां कोई संतान नहीं थी। विवाह हुए कई वर्ष बीत चुके थे लेकिन अभी तक अंजना माँ नहीं बन पाई थी। इसलिए वह उदास रहती थी।
इस मानसिक परेशानी से तंग आकर एक दिन दोनों महर्षि मतंग के पास पहुंचे और सादर दंडवत करके महर्षि को अपनी परेशानी बताई। यह सुनकर महर्षि मतंग ने अंजना से बोले मैं तुम्हारी मनोः स्थिति जानता हूं पुत्री लेकिन मैं विवश हूं क्योंकि मैं विधि के विधान में कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता। हां एक उपाय जरूर बता सकता हूं जिसे तुम्हें संतान की प्राप्ति हो सकती है। तुम्हें कठिन तप करना होगा।
अंजना बोली बताइए ऋषिवर पुत्र प्राप्ति के लिए मैं कोई भी कठिन तक करने के लिए तैयार हूं। महर्षि बोले तुम वेंकटचला पर्वत पहुंचकर भगवान वेंकटेश्वर की आराधना करो तत्पश्चात आकाशगंगा नामक तीर्थ में पहुंचकर न करो। भगवान वेंकटेश्वर प्रसन्न हुए तो अवश्य ही तुम्हें संतान प्राप्ति होगी। अंजना वेंकटचला पर्वत पहुंची और वायु देव की उपासना में जुट गई। उन्होंने वर्षों तक कठिन तप किया।
उनके तप से प्रसन्न होकर एक दिन वायुदेव प्रकट हुए और बोले मैं तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हूं देवी जो इच्छा हो बताओ। अंजना बोली – भगवान मुझे पुत्र प्राप्ति का वर दीजिए। मैं एक पुत्र चाहती हूं जो बिल्कुल आपकी ही तरह हो। वायुदेव बोले – मैं समझ गया देवी मैं तुम्हें वरदान देता हूं कि मैं स्वयं ही तुम्हारे गर्भ से तुम्हारे पुत्र के रूप में जन्म लूंगा। वायुदेव से वरदान पाकर अंजना मुदित मन से पति के पास लौटी। अंजना को वापस पाकर वानर राज केसरी की खुशी का ठिकाना ना रहा।
उसके कुछ महीने बाद चैत्र शुक्ल पूर्णिमा मंगलवार की पवित्र बेला में अंजना के गर्भ से पवन पुत्र महावीर हनुमान जी ने जन्म लिया। धरती पर हनुमान जी के चरण रखते ही माता अंजना और वनराज केसरी के आनंद की सीमा नहीं थी। चारों दिशाओं में हर्ष और उल्लास की लहरे दौड़ पड़ी। देवगण, ऋषिगण, कपितगण, पर्वत सर, सरिता, समुद्र, पशु, पक्षी और जड़ चेतन ही नहीं स्वयं माता वसुंधरा भी पुलकित हो रही थी। सर्वत्र हर्ष एवं उल्लास प्रसारित था। चारों दिशाओं में आनंद का साम्राज्य व्याप्त हो गया।
बाल हनुमान जी – मुख मे सूर्य
God Story in Hindi
एक बार की बात है कविराज केसरी कहीं बाहर गए हुए थे। माता अंजना भी बालक को पालने में लिटाकर वन में फल फूल लेने चली गई। बालक हनुमान को भूख लगी तो माता की अनुपस्थिति में वे हाथ पैर उछाल उछालकर खेल रहे थे। सहसा उनकी दृष्टि प्राची के क्षितिज पर पड़ी सूर्योदय हो रहा था। उन्होंने सूर्य के अरुण बिम्ब को लाल फल समझा। वायु देव के वरदान से उत्पन्न बालक हनुमान जी ने तुरंत देख छलांग लगाई और सीधे सूर्य की ओर उड़ चले।
आकाश मार्ग में जाते हुए उन्हें अनेक देवों ने देखा। वे सब विस्मित होकर आपस में बातें करने लगे जरा देखो इस बंदर के बच्चे को सीधा भगवान सूर्य की ओर लपक रहा है। इतना वेग तो स्वयं भगवान वायुदेव में भी नहीं है। चलो इंद्रदेव के पास चलते हैं उन्हें इस बात की सूचना देना बहुत जरूरी है। देव इन्द्र के पास पहुंचे और उन्हें सारी घटना सुनाई।
ये सुनकर देवराज इंद्र क्रोधित हुए और बोले मैं देखता हूं कौन है वह बंदर का बच्चा ?अभी मजा चखाता हूं। बालक हनुमान जी सूर्य के नजदीक पहुंचे। यह देखकर सूर्य देव को बड़ा विस्मय हुआ और साथ ही साथ कुछ डर भी गए। मन ही मन बोले – यह कौन है जो सीधा मेरी दिशा में लपक रहा है और मेरी गर्मी का इस पर जरा भी असर नहीं हो रहा है। बालक हनुमान जी सूर्य के पास पहुंचे और उन्होंने सूर्य को पकड़कर मुंह में रखना चाहा। इतने में ही हाथी पर सवार देवराज इंद्र वहां पहुंचे। उनके साथ अन्य कई देवता भी थे।
इंद्र ने बालक हनुमान जी को ललकारा – बंदर के बच्चे तुम कौन हो और यहां तक कैसे पहुंचा? हनुमान जी बोले देख नहीं रहे उड़कर पहुंचा। मुझे भूख लगी है और मैं इस फल को खाऊंगा। यह कहकर बालक हनुमान जी ने सूर्य को अपने मुख में रख लिया। हनुमान जी के ऐसा करते ही सर्वत्र अँधेरा छा गया।
यह देख क्रोधित होकर इंद्र ने अपना वज्र उठाया और हनुमान जी की ओर चला दिया। वज्र सीधे बालक हनुमान जी के चेहरे के पास ठुड़ी पर आकर पड़ा जिससे बालक हनुमान जी थोड़ी जख्मी हो गए और वह मूर्छित हो गए। फिर सूर्य का गोला उनके मुख से निकलकर बाहर आ गया। अपने प्राणप्रिय पुत्र को वज्र के आघात से मूर्छित देखकर वायुदेवे इन्द्र पर अत्यंत कुपित हुए।
शक्तिशाली वायु देव ने अपनी गति रोक दिया और वे अपने पुत्र को लेकर पर्वत की गुफा में प्रवेश हो गए। फिर तो त्रिभुवन के समस्त प्राणियों में श्वास आदि का संचार रुक गया। उनके अंग प्रत्यङ्गो के जोड़ टूटने लगे। प्राण संकट से भयभीत इंद्रदेव,गंधर्व,असुर,नाग आदि जीवन रक्षा के लिए ब्रह्मा जी के पास गए।
ब्रह्मा जी सबको साथ लेकर उस पर्वत की गुफा में पहुंचे जहां वायु देव अपने पुत्र को गोद में लेकर पत्थर से सटे दुख से आंसू बहा रहे थे। मूर्छित हनुमान जी की सूर्य अग्नि एवं सुवर्ण के समान अंत क्रांति देखकर ब्रह्मा जी चकित हो गए।
अपने सम्मुख ब्रह्मा जी को देखते ही वायु देव पुत्र को गोद में लेकर खड़े हो गए। उस समय हनुमान जी के कानों में अलोकी कुंडल हिल रहे थे। उनके मस्तक पर मुकुट गले में हार और दिव्य अंगों पर सुवर्ण के आभूषण सुशोभित थे। वायु देवता ब्रह्माजी के चरणों में गिर पड़े।
ब्रह्मा जी ने अपने हाथों से अत्यंत स्नेह पूर्वक वायु देव जी को उठाया और उनके पुत्र के अंगों पर अपना कर कमल फेरने लगे। कमल योनि के कर स्पर्श से वायुदेव के पुत्र हनुमान जी की मूर्छा दूर हो गई और वे उठकर बैठ गए। अपने पुत्र को जीवित देखते ही जगत के प्राण स्वरूप पवन देव शांतिपूर्वक बहने लगे और त्रिलोक कोजीवनदान मिला। ब्रह्मा जी ने संतुष्ट होकर हनुमान जी को वर प्रदान करते हुए कहा इस बालक को ब्रह्म श्राप नहीं लगेगा और इसका कोई अंत कभी भी शस्त्र से नहीं जीत सकेगा।
फिर उन्होंने सुर समुदाय से कहा देवताओं यह असाधारण बालक भविष्य में आप लोगों का बड़ा हित साधना करेगा। अब आप लोग इसे वर प्रदान करें। देवराज इंद्र ने तुरंत प्रसन्नता पूर्वक हनुमान जी के कंठ में अम्लान कमल की माला पहनाकर कहा मेरे हाथ से छूटे हुए वज्र के द्वारा इस बालक के अनु टूट गई थी इसलिए इस कपि श्रेष्ठ का नाम हनुमान होगा। इसके अतिरिक्त इस बालक पर मेरे वज्र का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और इसका शरीर मेरे वज्र से भी अधिक कठोर होगा।
वरुण देव ने कहा मेरे पास और जल से यह बालक सदा सुरक्षित रहेगा। कुबेर ने कहा युद्ध में इसे कभी विषाद नहीं होगा। मेरी गदा से यह सुरक्षित तो रहेगा ही मेरे राक्षसों से कभी पराजित नहीं हो सकेगा.। विश्वकर्मा बोले यह बालक मेरे द्वारा निर्मित समस्त दिव्य अस्त्रों से सदा सुरक्षित रहकर दीर्घायु होगा।
दोस्तो, आज की ये पोस्ट God Story in Hindi आपको कैसी लगी ये आप हमें कॉमेंट करके बता सकते है। ऐसे ही मजेदार कहानियां आपके लिए आगे भी लेकर आते रहेंगे।
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