नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से एक नए पोस्ट Spiritual Stories in Hindi के साथ हाजिर है। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको पसंद आयेगी और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।
यह एक प्राचीन कहानी है। पुराने काशी में एक व्यक्ति था जिसमें आत्मज्ञान, आत्म साक्षात्कार प्राप्त करने की बड़ी लालसा थी। उसकी पूरी खोज एक ऐसे गुरु की तलाश में थी जो उसे ज्ञान सिखा सके। वह एक अच्छे गुरु की तलाश में बहुत भटका। वह एक गुरु से दूसरे गुरु के पास , दूसरे गुरु से तीसरे गुरु के पास, तीसरे गुरु से चौथे गुरु के पास गया। ऐसे ही वह कई गुरुओं के पास ध्यान सीखने और खुद को जानने गया।
लेकिन कुछ भी नहीं हो रहा था उसके अंदर शांति नहीं थी। ऐसे करते-करते सालों बीत गए। अब वह थक चुका था क्योंकि उसकी तलाश ही पूरी ना हो रही थी। फिर किसी ने उसे कहा कि अगर तुम सच में गुरु को खोजना चाहते हो तो तुम्हें हिमालय जाना होगा। कहते हैं कि हिमालय की दुर्गम पहाड़ियों में एक योगी रहता है। कोई नहीं जानता कि वह कहां रहता है क्योंकि वह आज तक किसी को मिला ही नहीं है।
जब भी किसी को उसके बारे में पता चलता है तो वह योगी उस स्थान से चला जाता है और हिमालय पर्वतमाला की और भी गहराइयों में जाकर रहने लगता है। लेकिन एक बात निश्चित है कि वह हिमालय की दुर्गम घाटियों में ही कहीं रहता है बस किसी को पता नहीं कि वह कहां रहता है। तुम्हें हिमालय के दुर्गम घाटियों में जाकर ही उसकी तलाश करनी होगी।
वह आदमी बूढ़ा हो रहा था लेकिन फिर भी उसने हिम्मत जुटाई। उसने हिमालय की यात्रा के खर्च के लिए 2 साल तक मेहनत करके धन इकट्ठा किया फिर उसने यात्रा शुरू की। उसने प्रारंभिक कुछ यात्रा ऑटो पर सवार होकर की, फिर घोड़े पर और अब वह हिमालय के तलहटी पर पहुंच चुका था। जहां से अब ऊपर पहाड़ों में उसे पैदल ही चढ़कर जाना था।
वहां उसने हिमालय की निचली घाटियों में रहने वाले बहुत से स्थानीय लोगों से उस रहस्यमयी योगी के बारे में पूछताछ की। वहां के स्थानीय लोगों ने बताया कि हां हमने उस बूढ़े योगी के बारे में सुना है। वह बहुत प्राचीन है कोई नहीं बता सकता कि वह कितना पुराना है शायद 300 साल का या 500 साल का भी हो सकता है। वह इसी हिमालय पर्वत में कहीं तो रहता है लेकिन जगह आपको नहीं बताई जा सकती क्योंकि हम में से किसी को भी इस बात की जानकारी नहीं है कि आप उसे वास्तव में कहां पाएंगे।
लेकिन समय-समय पर इस बात के सबूत मिलते रहते हैं कि वह योगी इस हिमालय में ही रहता है। अगर तुम बहुत खोजते हो तो तुम उसे ढूंढ लोगे। वह इंसान हिमालय की ऊंची और दुर्गम चोटियों में गया। उसने हिमालय की एक चोटी में ढूंढा फिर दूसरी चोटी में फिर तीसरी चोटी मे । ऐसे ही वह उस योगी को ढूंढता रहा।
2 साल बीत गए उसे हिमालय में घूमते हुए लेकिन वह अब भी उस योगी की खोज में लगा हुआ था। वह ढूंढता ही जा रहा था बस उसने खोज जारी रखा। वह बहुत ही ज्यादा थक चुका था। कई बार तो उसकी मरने जैसी हालत हो जाती थी। वह जंगली फल, पत्तों और घास के भरोसे जिंदा था। वह बहुत ही ज्यादा पतला हो चुका था। उसकी हड्डियां दिखने लगी थी लेकिन फिर भी वह खोज में लगा हुआ था। उसका इरादा पक्का था कि उसे उस रहस्यमयी योगी को खोजना ही है। भले ही इस खोज में उसकी जान ही क्यों ना चली जाए।
एक दिन उसने एक छोटी सी झोपड़ी देखी। वह इतना थक गया था कि वह चल भी नहीं पा रहा था। वह लगभग घसीटते हुए उस कुटिया तक पहुंचा। उस कुटिया में कोई दरवाजा नहीं था। उसने अंदर देखा -अंदर कोई नहीं था और उस कुटिया को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे सालों से उस कुटिया के भीतर कोई नहीं था। उस इंसान को लगा कि वह योगी अब इस दुनिया में नहीं रहा। वह जमीन पर गिर पड़ा। बड़ी थकान से उसने सांस बाहर छोड़ते हुए कहा – मैं हार मानता हूं ।
वह हिमालय की ठंडी हवा में सूरज के नीचे लेटा हुआ था।अब उसके अंदर से किसी भी प्रकार की तलाश की सारी आशा खत्म हो चुकी थी। सारा विचार खत्म हो चुका था। वह बस शांति से लेटा हुआ था और जिंदगी में पहली बार उसे इतना आनंद महसूस होने लगा था। उसने कभी ऐसा आनंद नहीं हुआ था। अचानक उसे हल्कापन महसूस होने लगा। अचानक सभी विचार गायब हो गए। अचानक उसे लगने लगा जैसे वह इस दुनिया में ही नहीं है। उसका शरीर और उसकी आत्मा दोनों ही अलग-अलग चीज हैं।
फिर अचानक उसे महसूस हुआ कि कोई उसके ऊपर झुका हुआ है। उसने आंखें खोली तो सामने एक बहुत ही तेजस्वी आंखों वाला एक बहुत प्राचीन व्यक्ति खड़ा हुआ था। जिसे देखकर लग रहा था कि यह सैकड़ो सालों से इन्हीं पहाड़ों में रह रहा है। उस बूढ़े प्राचीन आदमी ने मुस्कुराते हुए कहा – तो आखिर तुम मुझ तक पहुंच ही गए। वह व्यक्ति मुस्कुराया। उस प्राचीन आदमी ने फिर कहा – क्या तुम्हें मुझसे कुछ पूछना है? उस आदमी ने कहा – नहीं।
इतना सुनते ही बूढ़ा आदमी बड़े जोर से हंसा। यह एक अद्भुत एक जादुई हंसी थी। उसकी हंसी पूरी घाटी में गूंजने लगी। ऐसा लग रहा था जैसे उसे योगी के साथ पूरी की पूरी हिमालय की वह पहाड़ी भी हंस पड़ी हो। उसके हंसी काफी समय तक पूरे पहाड़ी में गूँजती रही। फिर उस बूढ़े योगी ने कहा – तो अब तुम समझ गए कि ध्यान क्या है ? उस आदमी ने जमीन पर लेटे हुए ही उत्तर दिया – हां मैं समझ गया।
यह शब्द जो उसके अस्तित्व के सबसे गहरी मूल उसकी अंतरात्मा से आए थे कि मैं हार मानता हूं। इस हार में उसके सारे लक्ष्य, सारी खोज, सारे प्रयास गायब हो गए। उसने यह कहा – मैं हार मानता हूं। अब मेरी तलाश खत्म हुई। उसी क्षण में वह वही व्यक्ति नहीं था और उस पर आनंद की वर्षा हुई। वह चुप था।
वह कुछ भी नहीं था और उसने गैर अस्तित्व के अंतिम स्तर को छुआ। जिस क्षण उसके जीवन से सारी खोज, सारे लक्ष्य, सारी लालसा समाप्त हो गई। उसी क्षण उसे पता चला कि ध्यान क्या है? वह समझ गया कि ध्यान एक ऐसी मानसिक अवस्था है जब ना तो मन में कोई लक्ष्य हो, ना कोई लालसा, न कोई उम्मीद, ना कोई विचार, और ना ही कोई बंधन हो।
दोस्तो, आज की ये पोस्ट Spiritual Stories in Hindi आपको कैसी लगी ये आप हमें कॉमेंट करके बता सकते है। ऐसे ही मजेदार कहानियां आपके लिए आगे भी लेकर आते रहेंगे।
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