दोस्तों, आज हम जानेंगे की डिमैट अकाउंट (Demat Account) क्या होता है, डिमैट अकाउंट शेयर मार्केट मे क्यों जरूरी होता है, डिमैट अकाउंट कहां खोला जाता है, और इसमें कितने पैसे लगते हैं और कहां से डिमैट अकाउंट ओपन करवाना अच्छा रहता है। अगर आप इन सारे सवालों के जवाब ढूंढ रहे हैं तो आप बिल्कुल सही पोस्ट पर हैं। आज हम डीमेट अकाउंट से जुड़े इन्ही सवालों के जवाब जानेंगे।
डिमैट अकाउंट (Demat Account) क्या होता है?
डिमैट अकाउंट का फूल फार्म डिमैटराइज्ड अकाउंट (Dematerialized Account ) है और डिमैटेरियलाइज्ड शब्द का अर्थ होता है – किसी भी पेपर डॉक्यूमेंट को डिजिटल रूप में बदलना और डिजिटल फॉर्म में सेव करना । अकाउंट का मतलब होता है खाता जहा किसी चीज का रिकार्ड रखा जाता हो। तो चलिए जानते है डिमैट अकाउंट में किस चीज को डिमैटेरलाइज करते हैं और किस चीज का रिकॉर्ड रखा जाता है।
आज से कुछ समय पहले डिजिटल बैंकिंग नहीं था। लोग पैसे कैश में ही रखते थे। सारे लेन-देन फिजिकल मनी मतलब कैश में होते थे। इसकी सबसे बड़ी समस्या यह थी कि लोगों को बहुत सारा कैश लेकर चलना पड़ता था और आए दिन लूट पाट की घटनाएं होती थी। पैसे गुम हो जाते थे या जो नोट थे वह पुराने होकर फट जाते थे। ऐसे मे लोगों को बहुत ध्यान से कैश हैंडल करना पड़ता था।
अगर हम अभी की बात करें तो जब से डिजिटल बैंकिंग आई है। तब से सब कुछ बदल चुका है। कैश लेकर अब बहुत कम लोग सफर करते हैं। डिजिटल बैंकिंग में अब हमारे पैसे डिजिटल फॉर्मेट में होते हैं, जो कैश से बहुत ज्यादा सेफ है।
इसी तरह से पहले जब भी कोई शेयर खरीदता था तो उसे शेयर सर्टिफिकेट मिलता था। जो पेपर के फॉर्म में होता था। यह सर्टिफिकेट की यह सबूत होता था कि शेयर का मालिक कौन है। इससे बहुत समस्या होती थी जैसे शेयर सर्टिफिकेट गुम हो जाते थे, लोग नकली शेयर सर्टिफिकेट बना लेते थे या सर्टिफिकेट रखे रखे खराब हो जाते थे। इन वजह से इन्वेस्टर को बहुत प्रॉब्लम होती थी।
इन सारी प्रॉब्लम्स को देखते हुए गवर्नमेंट ने 1996 में यह निर्णय लिया कि अब से सारे शेयर सर्टिफिकेट डिजिटल फॉर्म में रहेंगे। मतलब सारे शेयर सर्टिफिकेट अब डिमैटराइज्ड होंगे और डिजिटल फॉर्म में सेव होंगे। शेयर के खरीद बिक्री का रिकॉर्ड भी डिजिटल रूप में अकाउंट में होगा। इसी अकाउंट को हम डीमेट अकाउंट (Demat Account) कहते हैं। मतलब ऐसा अकाउंट जिसमें हमारे खरीदे हुए शेयर डिजिटल रूप में सेव रहते हैं और जहां हमारे सारे शेयर्स के खरीद बिक्री का रिकॉर्ड होता है। उसे डिमैट अकाउंट कहते हैं। अगर आप किसी कंपनी का एक शेयर खरीदते हैं तो वह आपके डिमैट अकाउंट में जाकर सेव हो जाता है।
डिमैट अकाउंट क्यों जरूरी है?
शेयर मार्केट में अगर हम कोई शेयर खरीदते हैं, तो वह हमारे डिमैट अकाउंट में जाकर सेव हो जाता है। अगर हमें किसी कंपनी का शेयर खरीद कर रखना है तो हमें डिमैट अकाउंट ओपन करवाना ही पड़ेगा। बिना डिमैट अकाउंट के हम शेयर खरीद कर सेव नहीं रख सकते।
डिमैट अकाउंट कहाँ खोला जाता है?
जैसे हमारा बैंक अकाउंट किसी भी बैंक में होता है और हमारे सारे पैसों का रिकॉर्ड बैंक अकाउंट में होता है। ठीक उसी तरह डिमैट अकाउंट एक डिपॉजिटरी कंपनी में ओपन होता है। डिपॉजिटरी शब्द का मतलब होता है – स्टोर करने की जगह डिपॉजिट करने की जगह। डिपॉजिटरी मे शेयर्स जमा होता है। हमारे देश में सैकड़ो बैंक है जहां हम अपना बैंक अकाउंट ओपन करवा सकते हैं। लेकिन डिमैट अकाउंट के लिए बस दो ही डिपॉजिटरी है जहां हम डीमेट अकाउंट ओपन करवा सकते हैं। पहले डिपॉजिटरी का नाम है सीडीएसएल (CDSL) यानि सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विस लिमिटेड (Central Depository Services Limited) और दूसरे डिपॉजिटरी का नाम है एनएसडीएल (NSDL) नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड( National Securities Depository LImited) है। डिमैट अकाउंट बस इन्हीं दो डिपॉजिटरी में खुलते हैं।
अब आपके मन में यह सवाल आया होगा कि फिर ब्रोकरेज फर्म्स में डीमैट अकाउंट कैसे ओपन होता है। हम बैंक अकाउंट की तरह सीधे डिपॉजिटरी में अकाउंट नहीं ओपन करवा सकते। डिमैट अकाउंट हमेशा किसी ब्रोकरेज फर्म्स के द्वारा ही ओपन होता है। कोई भी ब्रोकरेज फर्म्स चाहे वह जीरोधा हो या मोतीलाल ओसवाल या कोई और अन्य इन्ही दो डिपॉजिटरी से लिंक होते हैं।
इंडिया में लाखों ब्रोकरेज फर्म है जो सबके सब या तो सीडीएसएल (CDSL) या तो एनएसडीएल (NSDL) से लिंक है। आप किसी भी ब्रोकरेज फर्म् से डिमैट अकाउंट ओपन करवा सकते है। आपका डिमैट अकाउंट या तो सीडीएसएल (CDSL) में ओपन होगा या एनएसडीएल (NSDL) में। अगर आपने अपना डीमैट अकाउंट जीरोधा से ओपन करवाया है और जीरोधा सीडीएसएल (CDSL) से लिंक है तो आपका डिमैट अकाउंट सीडीएसएल (CDSL) में है।
डिमैट अकाउंट ओपन करवाने में कितने पैसे लगते हैं?
डिमैट अकाउंट के लिए हर ब्रोकर का अपना चार्ज होता है। कई ब्रोकर ₹300 कोई ₹500 तो कोई ₹1500 तक चार्ज करते हैं। लेकिन इन सब के बीच में आते हैं, वैसे ब्रोकर जो आपका डिमैट अकाउंट बिल्कुल फ्री में ओपन कर देते हैं। दोस्तों जब भी आपको डिमैट अकाउंट फ्री में ओपन करवाने का ऑफर आए तो आप सावधान हो जाए। फ्री में अकाउंट ओपन करवाने वाले ब्रोकर फर्म्स की कमिशन चार्जेस बहुत ज्यादा होते हैं। वह फ्री में हमारा अकाउंट ओपन कर देते हैं, क्योंकि उन्हें पता होता है कि वह बाद में हमसे कहीं ज्यादा पैसे कमीशन से कमा लेंगे। फ्री में डीमैट अकाउंट ओपन करवाने के चक्कर में बिल्कुल ना पड़े, क्योंकि डिमैट अकाउंट काफी समय तक हम उसका इस्तेमात करते हैं और ₹300 बचाने के चक्कर में हर साल हजारों रुपए कमीशन में देना पड़ सकता है।
कौन सा डिमैट अकाउंट सही होता है ?
इस सवाल का जवाब देना थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि यह पर्सन टू पर्सन डिपेंड करता है। इन्वेस्टिंग की नजर से अगर देखा जाए तो इन्वेस्टिंग से ज्यादा जरूरी होती है सेविंग्स। अगर आप पैसे नहीं बचाएंगे तो फिर इन्वेस्ट करने के पैसे कहां से ला पाएंगे। वारेन बफे ने सही कहा है कि एक बचाया हुआ रुपया एक कमाए हुए रुपए से बिल्कुल अलग नहीं होता। इसलिए डिमैट अकाउंट वही से ओपन करवाना चाहिए जहां अकाउंट ओपनिंग फीस भले लग जाए, लेकिन जहां कमीशन बहुत कम हो, ताकि लंबे समय मे आपकी हजारों और लाखों रुपए बच जाए। इस बचाए हुए पैसों को आप इन्वेस्ट करके और पैसे बना सकते है।पैसों से लेकर कोई भी निर्णय लेने से पहले इतना जरूर सोचे की इसका लंबे समय में क्या रिजल्ट होगा। यकीन मानिए इस थोड़े देर की थिंकिंग से आप हजारों और लाखों रुपए बचा सकते हैं।
आज के इस पोस्ट मे हमने डिमैट अकाउंट से जुड़ी कई सारी बातें जानी। हमने जाना की डिमैट अकाउंट क्या होता है, डिमैट अकाउंट कहां ओपन होता है, डिमैट अकाउंट ओपन करवाने में कितने चार्ज लगते हैं और कहां से डिमैट अकाउंट ओपन करवाना सही रहेगा।