नमस्कार दोस्तों, हमेशा क तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट Hindi Story for Class 1 के साथ। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको पसंद आएगी और आप इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करेंगे।
शेर और खरगोश
Hindi Story for Class 1
जानवरों के राज्य में एक बहुत घमंडी शेर रहता था। वह बहुत ही ताकतवर और निर्दयी था। वह जानवरों को मजे के लिए ही मार देता था और जंगल के बाकी जानवर भी उससे बहुत डरते थे। सभी जानवर जंगल के भविष्य के लिए भी चिंतित थे। क्योंकि शेर अपनी खुराक से ज्यादा जानवरों को मार डालता था।
सभी जानवरों ने एक सभा बुलाई की हमें क्या करना चाहिए? सब ने मिलकर ये निर्णय लिया की अब से उसका भोजन हम उसके पास रोज भेज देंगे और रोज हम मे से एक जानवर को अपनी मर्जी से उसके पास जाना होगा। बाकी बचे जंगल के जानवरों को बचाने के लिए यह एक गंभीर निर्णय था पर सबको मंजूर था।
भेड़िए ने यह संदेश को शेर तक पहुंचा दिया। शेर को भी यह मंजूर था क्योंकि अब उसे बिना शिकार किए ही भोजन मिल जाएगा। इस तरह रोज एक जानवर शेर के पास पहुंच जाता था। पहले भैंस की बारी थी। दूसरे दिन शेर के पास हिरण गया, उसके बाद जेब्रा की बारी थी, कुछ समय ऐसे ही चलता रहा।
अब बारी थी खरगोश की जिसको शेर का भोजन बनना था। खरगोश जंगल में घूमता रहा और सोचता रहा कि शेर से कैसे बचे? उसने शेर की गुफा तक पहुंचने में बहुत समय लगा दिया। जब तक वह गुफा तक पहुंचा तब तक काफी देर हो चुकी थी और शेर बहुत भूख और गुस्से में था। शेर ने बोल मैं बहुत भूखा हूं, तुम अब तक कहां थे? तुम बहुत छोटे हो तुम्हें खाकर मेरी भूख शांत नहीं होगी।
जंगल के सभी जानवरों को इतना कम भजन भेजने की सजा भुगतनी पड़ेगी। खरगोश ने बोल मुझे आने मे देर इसलिए हो गया क्योंकि मुझे दूसरा शेर मिल गया था। जंगल में वह मुझे खाना चाहता था और उसने कहा कि मैं जंगल का राजा हूं। जब मैंने बताया कि मैं आपका भोजन हूं तो उसने हंसकर आपके बल और आपकी ताकत को ललकारा है। उसने यह भी कहा कि वह आपको जरूर हरा देगा।
इतना सुनते ही शेर को और गुस्सा या गया और वो गुस्सा कर बोल – उसकी इतनी हिम्मत ? मुझे उसके पस ले चलो। इस पर खरगोश ने जंगल के राजा को कुएं के पास ले गया और उस तरफ इशारा करते हुए बोला शेर कुएं के अंदर है। शेर ने कुएं में झांका और अपना ही चेहरा देखा और उसको लगा कि कोई दूसरा खूंखार शेर है।
शेर उसे देखकर बहुत तेज दहाडा कुएं से और भी भयानक आवाज सुनाई दी। शेर गुस्से मे दूसरे शेर को मरने के लिए कुएं मे कूद गया और डूब के मर गया। जब जंगल के जानवर को पता चला तो सब खुश हो गए और खुशी खुशी जीवन बिताने लगे। इस तरह से खरगोश मे अपनी जान बचाई।
मन की बुरी भावना
Hindi Story for Class 1
किसी गांव में एक ठग रहता था। वह राह चलते लोगों को बातों में उलझा कर मूर्ख बनाना उसके लिए बाएं हाथ का खेल था। एक बार वह गांव में पहुंचा उसने पता कर लिया कि गांव में एक बूढ़ा है जिसके पास बहुत पैसा है। वह एकदम अकेला रहता है। शाम के समय तक बूढ़े के दरवाजे पर जा खड़ा हुआ चलते समय वह लंगड़ा रहा था। उसने आवाज लगाई भाई मेरे पैरों में बहुत कष्ट है चला भी नहीं जा रहा है।
तभी बारिश शुरू हो गई । बूढ़े व्यक्ति ने दरवाजा खोला और उसे अंदर बुला लिया ठग तो यही चाहता था। बूढ़े ने उसे पलंग पर बिठाया और कहा – मैं तुम्हारे लिए भोजन लेकर आता हूं। बूढ़े के जाने के बाद वह खुश हो गया कि यहां खूब हाथ मारने का मौका है। तभी बूढ़ा गरमा गरम भोजन ले आया। ठग ने जमकर खाया तो उसे नींद आने लगी।
ठग ने सोचा – बूढ़ा सो जाए तो वह घर की तलाशी लेगा और जो कुछ हाथ लगेगा उसे लेकर रफू चक्कर हो जायगा। लेकिन ठग ने देखा बूढ़ा जाग रहा है। बूढ़े के सो जाने के प्रतीक्षा करते-करते ठग को कब नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला। नींद खुली तो सुबह का उजाला फैल चुका था। बूढ़ा हाथ में चाय का प्याला लिए खड़ा था। उसने कहा लगता है तुम्हें खूब नींद आई है। खैर लो चाय पी लो फिर मैं तुम्हारे लिए भोजन बनाऊंगा। ठग ने उठना चाहा पर वो हिल भी न सका। उसके पैरों में बहुत दर्द हो रहा था।
उसने कहा बाबा रात में तो मैं भला चंगा था। बूढ़ा हंस कर बोला – तुम भूल रहे हो कल तो तुमने बताया था कि तुम्हारे पैर में दर्द था। यह सुनकर ठग चौक उठा वह तो भूल ही गया था कि कल शाम उसने बूढ़े को क्या बताया था। वह हड़बड़ा कर बोला हां पैर मे दर्द तो था पर इतना नहीं जितना इस समय हो रहा है। बूढ़े ने ठग को सहारा देकर बैठाया फिर कहा घबराओ मत यहां आकर जैसा सोचो वैसा ही हो जाता है। यह सुनकर ठग घबरा गया एकाएक उसके मुंह से निकला – बाबा मैंने अपना गलत परिचय दिया था।
यह कहकर उसने सब कुछ सच-सच बता दिया। बूढ़े ने उसकी कमर थपथपा कर कहा – कल शाम तुम्हें देखते ही मैं समझ गया था कि तुम किस इरादे से मेरे पास आए हो। यहां जो भी आता है उसे सब कुछ सच-सच बताना ही पड़ता है। फिर वह बदले हुए रूप में यहां से जाता है। ठग ने घबराकर पूछा तो क्या मैं भी बदल सकता हूं ?
बूढ़ा बोला तुम बदल गए हो तभी तो तुमने मुझे सच-सच बता दिया है। ठग की आंखों में आंसू आ गए वह बोला – मैं खूब समझता हूं की ठगी चोरी बुरी बातें हैं लेकिन न जाने क्यों मैं अपनी आदत से मजबूर हो जाता हूं। बूढ़ा बोला अब बुरी आदत तुम्हारी मजबूरी नहीं बन सकेगी। आओ मैं तुम्हें कुछ दिखाना चाहता हूं। ठग ने बोला – लेकिन बाबा मैं तो चारपाई से उठ भी नहीं सकता।
बूढ़े ने कहा तुम आओ तो सही यह कहकर बूढ़े ने सहारा देकर ठग को उठाया ठाकुर लगा जैसे उसका सारा दर्द एकाएक छूमंतर हो गया हो। अब वह आराम से ऐसे चल रहा था जैसे दर्द कभी था ही नहीं। बूढ़े के मकान में एक तहखाना था उसका दरवाजा बंद था। ठग ने भारी स्वर में पूछा कि आप मुझे तहखाना में कैद करेंगे?
बूढ़ा जोर से हंसकर बोला अरे नहीं नहीं तहखाना में कुछ कैदी हैं। सच बोलने वाला मकान उन्हें अपने आप तहखाना में बंद कर देता है। तहखाना में उन लोगों की बुरी भावनाएं कैद हैं जो मुझे लूटने के इरादे से यहां आए थे। बूढ़े ने तहखाना का बंद दरवाजा जरा सा उठाया तो अंदर से रोने चीखने की आवाज आने लगी । ठग को लगा जैसे गरम हवा के झोंके से उसका मुह झुलसा जा रहा है। वह घबराकर पीछे हटा तो बूढ़े ने तहखाना का दरवाजा बंद कर दिया। बोला भैया वे सब तुम्हारे मन की बुरी भावनाएं थी।
जो तुम्हारे अंदर से निकलकर यहां कैद है। ठग ने डरे हुए स्वर में पूछा आप हैं कौन? बूढ़ा बोला – मैं कोई नहीं मन में रहने वाला सच हूं। जो यहां आने वाले व्यक्ति के झूठ को बाहर निकाल देता है बूढ़े ने हंस कर कहा और तभी ठग बेहोश हो गया। जब उसकी मूर्छा टूटी तो वह एक मैदान में पेड़ के नीचे घास पर पड़ा था। ठग ने इधर-उधर देखा पर उसे बूढ़ा और उसका मकान दूर दूर तक दिखाई नहीं दिया वही मकान जो झूठ बोलने वाले लोगों से बिल्कुल सच बुला लेता था।
अभ्यास का अंतर
Hindi Story for Class 1
एक बार राजा भोज अपने मंत्री के साथ कहीं दूर यात्रा कर रहे थे। राष्ट्र में उन्होंने किसी को ऊबड़ खाबड़ जमीन पर गहरी नींद में सोते देखा। राजा ने मंत्री से पूछा ऐसी ऊंची नीची ढेले और कंकड़ों से भरी हुई जमीन में इस किसान को गहरी नींद कैसे आ गई? हमें तो थोड़ी अड़चन होने पर निंद्रा टूट जाती है। मंत्री ने कहा – महाराज यह सब अभ्यास और परिस्थितियों पर निर्भर है। मनुष्य से अधिक कोई कठोर नहीं और ना उससे अधिक कोई कोमल होता है। परिस्थितियां मनुष्य को अपने अनुकूल बना लिया करती हैं।
पर यह बात राजा को पूरी तरह नहीं जची। मंत्री ने कहा तब इसकी परीक्षा कर ली जाए? दोनों ने सलाह करके उस किसान को महलों में रखने का निर्णय किया जिससे उसे कुछ दिन तक राजश्री ठाट बाट में रखकर उसकी जांच की जाए। महलों में पहुंचने पर उसके खाने पीने और सोने का बढ़िया से बढ़िया इंतजाम किया गया और उसे खूब आराम से रखा जाने लगा। किसान को राजश्री जीवन का अभ्यास हो गया। प्रयोग का दिन आ पहुंचा मंत्री ने किसान के पलंग पर बिछे गद्दे के भीतर कुछ पत्ते और तिनके चुपके से खिसका दिए।
राजा छिपकर देखने लगा की देखे इस परिवर्तन का क्या परिणाम होता है? किसान रात भर करवटें बदलते रहा उसे नींद नहीं आई। सुबह राजा उसके पास पहुंचे तो उसने शिकायत की के गद्दे में कुछ गड़ने वाली चीज मालूम पड़ती है। जिससे नींद हराम करती है। मंत्री ने कहा- महाराज यह वही किसान है जो ढेले कंकड़ पर धूप में पड़ा सो रहा था। आज इसे पलंग पर बिछे हुए रुई मे तिनके भी चुभते हैं। यह अभ्यास का ही अंतर है। कठोरता और कोमलता की जैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़े कुछ ही दिनों में मनुष्य को उन्हीं का अभ्यस्त हो जाता है।
मेहमान का स्वागत
Hindi Story for Class 1
एक गांव में एक ब्राह्मण रहता था बहुत धार्मिक और बहुत उदार। उसने शास्त्रों में पढ़ा था अतिथि देव के समान होते हैं यानी मेहमान भगवान के समान होते हैं। इसी वजह से कोई भी उसके दरवाजे पर आ जाता वह उसे खाना खिलाए बिना नहीं जाने देता। जैसे-जैसे उसका अतिथि सत्कार बढ़ता जा रहा था उसकी पत्नी का क्रोध भी बढ़ता जा रहा था। क्योंकि उसे परेशानी यह थी कि वह खाना पकाय तो कैसे? ब्राह्मण का दिल जितना बड़ा था उसकी आय उतनी बड़ी नहीं थी। इसी वजह से उसे अक्सर भूखा रह जाना पड़ता था।
एक दिन ब्राह्मण की पत्नी खाना बनाकर पति का इंतजार कर रही थी कि वह आए तो दोनों साथ बैठकर खाना खा ले। ब्राह्मण आया तो सही पर साथ में मेहमान भी ले आया। उसने बड़े आदर्श से उन्हें बैठाया और पत्नी से बोला मैं अभी स्नान करके आता हूं तुम तैयारी रखना। आज ब्रह्माणी की सहनशक्ति का अंत हो गया उसने तुरंत एक उपाय सोचा। ब्रह्माणी उस कमरे में गई जहां मेहमान बैठा था। वहां उसने अपने मायके से लाए हुए मुसल को रखा और उसके चारों ओर सुंदर रंगोली बनाई और घुटनों के बल बैठकर उस मुसल को नमस्कार किया।
मेहमान भौचक्का साथ सब कुछ देख रहा था। 33 करोड़ देवताओं के नाम उसे याद थे लेकिन यह मुसलदेव तो उसे नया ही देवता दिख रहा था। उसने इस बारे में ब्राह्मणी से पूछा ब्राह्मणी सर झुकाकर खड़ी हो गई और पैर के अंगूठे से जमीन पर रेखाएं खींचने लगी। मेहमान और आसंकीत हो उठा। उसके बहुत आग्रह करने पर ब्राह्मणी बोले की बात यह है कि मेरे पति ने का अनुष्ठान किया है।
उसके अनुसार रोज एक विद्वान को वह घर पर आमंत्रित करते हैं। उसे बड़ी भक्तिपूर्वक इस मुसल से तीन बार पीटते हैं और फिर 16 व्यंजनों वाला खाना खिलाकर बड़े आदर से विदा करते हैं। आपने सुना नहीं वह कह कर गए हैं कि मैं उनके स्नान करके आने तक सब तैयार रखूं। मेहमान ने सोचा 16 व्यंजनों की दावत कितनी भी आकर्षक हो लेकिन मुसल से तीन बार मार खाना फिर चाहे वह कितनी भी भक्ति पूर्वक क्यों ना हो बाप रे बाप। यह सोचकर वह अपनी जान बचाकर भागने लगा।
इतने में ही ब्राह्मण स्नान कर लौटा। मेहमान को कमरे में नहीं पाया तो उसने पत्नी से पूछा – पत्नी सर झुका कर खड़ी हो गई ब्राह्मण को कुछ शक हुआ। उसने डांट कर पूछा तो पत्नी ने कहा की बात यह है कि आपके मेहमान ने कोई अनुष्ठान किया है उसके लिए वह यह मुसल घर ले जाना चाहते थे। पर मैं भला यह मुसल कैसे दे दूं? मैं जब जब इस मुसल को देखती हूं तो मुझे मेरी मां की याद आती है।
ब्राह्मण ठहरा मेहमानों की खातिर करने वाला यह सुनते ही एक क्षण में मुसल लेकर मेहमान के पीछे दौड़ा। ब्राह्मण ने उस मेहमान को जोर से आवाज दिया – अरे सुनिए! अनुष्ठान कभी अधूरा नहीं रखना चाहिए। मेरी पत्नी तो मूर्ख है रुकिए रुकिए।
अनुष्ठान यह सुनकर तो मेहमान और भी तेज भागने लगा उसे लगा के ब्राह्मण उसे अपने अनुष्ठान के लिए पुकार रहा है और वह तेज भागने लगा। क्योंकि वह तो अपनी पिटाई की कल्पना कर रहा था। उसने आसपास के लोगों को भी इस बात की सूचना दे दी और क्योंकि वहां सभी अपने को विद्वान मानते थे इसलिए दूसरे दिन से लोगों ने ब्राह्मण के साथ उसके घर जाना बंद कर दिया।
अहंकार दुख का मूल
Hindi Story for Class 1
एक गांव के तीन आदमी मुंबई गए। कभी बड़ा शहर नहीं देखा था जिसके घर ठहरे थे वहां थोड़ी बहुत इंग्लिश बोली जाती थी। एक महीना रहने के बाद तीनों एक-एक अंग्रेजी शब्द सीख गए । एक सिख गया yes कोई बात हो yes कोई कहे मरना है तो कहता है yes। दूसरा सीख गया We are three हम तीन है कोई भी कुछ पूछता तो वह कहता We are three और तीसरा सीख गया डोंट वरी( Don’t worry ) चिंता मत करो।
महीने भर बाद तीनों गांव में विद्वान हो जाने का अहंकार लेकर लौटे। गांव के लोग कुछ पूछते तो तीनों कहते थे – Yes, We are three, Don’t Worry गांव के लोग कहते = यह क्या मामला है बात क्या है? और तीनों एक साथ में खड़े रहे तभी बोल सकते थे। कोई भी बात हो Yes, We are three, Don’t Worry पूरा गांव परेशान हो गया है इस जुमले से।
एक दिन गांव में चोर आए और किसी के घर को लूट कर चले गए। फिर चोर की तलाश करने के लिए पुलिस आई। गांव वालों ने सोचा इतने बड़े साहब आए हैं। हम क्या जवाब देंगे? ना हमारी भाषा का कोई ठिकाना, न कुछ बोलना आता है। तो एक ने कहा कि वे तीन मुंबई से आए हैं उनको लगा दिया जाए। अंग्रेजी पढ़कर आए हैं इतने तो शिक्षित हैं।
तो उनको बुलाया गया फौजदार बैठा था थाने पर और तीनों को गांव वाले बीच में रखकर ला रहे थे। इंस्पेक्टर को लगा की वे तीनों शक मंद लगते हैं। शायद लोगों ने इनको पकड़ लिया है। तीनों को पेश कर दिया गया फौजदार ने अपने रौब से पूछा बताइए गांव में चोरी हुई है? पहले ने कहा Yes फिर पूछा कितने लोग चोरी में है दूसरे ने कहा we are three हम तीन हैं। फौजदार ने कहा जेल में जाना होगा। तीसरे ने कहा don’t worry ।
फिर क्या था तीनों के हाथों में जंजीर डाल दी गई। विद्या का अहंकार बंधन में डाल देता है मुक्त नहीं कर सकता वरना तो विद्या मुक्ति देने वाली है।
अच्छी और बुरी ऊर्जा
Hindi Story for Class 1
एक गुरु नदी के किनारे अपने शिष्य के साथ बैठकर वार्तालाप कर रहा था। उसके आश्रम में और भी कई शिष्य थे लेकिन उस वक्त वे साधना स्वाध्याय के दूसरे कामों में लगे हुए थे। आश्रम में रोजमर्रा के काम भी वहां के शिष्य ही करते थे। जिस शिष्य से गुरु वार्तालाप कर रहे थे वह नया था। आश्रम में आए हुए उसे तीन चार सप्ताह ही बीते थे। उम्र में भी वह बहुत छोटा था कोई 8 से 10 वर्ष का। उसने गुरु से अच्छाई और बुराई के बारे में पूछा ? गुरु ने उसके प्रश्न का सीधे कोई उत्तर नहीं दिया। उसकी जगह उससे पूछा क्या तुम जानते हो कि हमारे भीतर एक युद्ध चलता रहता है?
शिष्य ने उत्तर दिया नहीं गुरुदेव। गुरु ने कहना जारी रखा, दो भेड़ियों के बीच एक अंतहीन रक्तरंचित युद्ध। गुरु ने शिष्य की ओर देखा उसकी आंखों में प्रश्नवाचक चिन्ह तैर रहा था जैसे वह जानना चाहता हो कि कैसा युद्ध? गुरु ने कहना जारी रखा पहले भेड़िया बुरा है – वह क्रोध, शत्रुता, लाभ, निंदा, दुख, असत्य, अहंकार, स्वार्थ, झूठ और मत्सर आदि से बना है और दूसरा भेड़िया अच्छा और सुंदर है वह मित्रता, प्रश्नता, शांति, प्रेम, आशा मानवता, दयालुता, दान, न्याय, सहानुभूति, सत्य, करुणा, नैतिकता और गहनता आदि से बना है। ऐसे ही दो भेड़ियों के बीच तुम्हारे भीतर ही द्वंद हम मनुष्य के भीतर चलता रहता है।
शिष्य ने बहुत ही तल्लीनता और चिंता पूर्वक गुरु की बात सुनी। फिर उसने गुरु से पूछा – गुरुदेव इनमें से कौन सा भेड़िया जीत जाता है ? गुरु ने कहा – वह जिसे तुम भोजन और पोषण देते हो?
शिष्य के मन में जिज्ञासा फिर भी बनी रही। वह पूछना चाहता था की मन भेड़िया किस तरह से है? पहले उसने अपने भीतर खुद उत्तर तलाशनाचाहा लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली तो उसने गुरु जी की ओर देखा। गुरु ने जैसे उसके मानस को पढ़ लिया था उसी के अनुसार वह बोला मन भेड़िया नहीं है। वह तो एक रन क्षेत्र की तरह है। दो भेड़िए मन के भीतर रहने वाली अच्छी ऊर्जा और बुरी ऊर्जा मन की विशेषता है।
तुम उसके जिस भाव के पूर्ण और संवेदना पर ध्यान देते हो उसे ही ऊर्जा मिलने लगती है। सत्यवतियों और सद्भावनाओं पर ध्यान दोगे तो वह सशक्त होंगी और बुरी प्रवृत्तियां तथा दुर्भावनाओं पर ध्यान दोगे तो उन्हें पोषण मिलेगा। यह तुम पर निर्भर है कि कहां ध्यान देते हो उसी के अनुसार अच्छाई या बुराई की जय होगी।
आज की ये पोस्ट Hindi Story for Class 1 आपको कैसी लगी ये आप हमें कमेन्ट करके बता सकते है। हम आगे भी ऐसे ही कहानियाँ आपके लिए लेकर आते रहेंगे।
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